पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें हैं। राज्य में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में जबर्दस्त घमासान चल रहा है। दोनों ओर से एक-दूसरे के खिलाफ निरंतर वार एवं पलटवार हो रहे हैं। भाजपा बंगाल में ‘दीदी’ के नाम से लोकप्रिय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दुर्ग को भेदकर वहां झंडा बुलंद करने को बेताब है, तो दीदी भी मोर्चे पर आसानी से पीछे हटने वाली नहीं। वे भाजपा के हर हमले का जोरदार ढंग से जवाब दे रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच का घमासान हिंसक दौर में पहुंच गया जिससे चुनाव आयोग को एक दिन पहले ही प्रचार रोक देना पड़ा।
पश्चिम बंगाल आज इतना अहम हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के तमाम अन्य बड़े नेता दीदी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। लेकिन बंगाल की धरती पर दीदी की मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें मात देने के लिए भाजपा ने अपने सारे अस्त्र-शस्त्र छोड़ डाले हैं। पूरी ताकत लगा दी है। खुद ममता ने कहा भी कि अमित शाह की रैली पर करोड़ों का खर्च हुआ। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। हालांकि भाजपा ममता को फैनी तूफान से निपटने में विफल बता रही है। उन्हें हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है। लेकिन ममता डटकर हर हमले का जवाब दे रही हैं। उनके मुताबिक हिंसा के पीछे भाजपा जिम्मेदार है।
दरअसल, ममता बनर्जी यानी दीदी कोई हल्की नेता नहीं हैं। पश्चिम बंगाल में वे कांग्रेस और वामपंथियों के मजबूत किलों को ढहाकर लोकप्रिय हुई हैं। एक समय जब पश्चिम बंगाल में वामपंथ की तूती बोलती थी, तब ममता बनर्जी ने कसम ली थी कि वे वाम सरकार के विजय रथ को रोककर रहेंगी। ममता उस दिन को कभी नहीं भूलीं जब ह्नाइट हाउस की सीढ़ियों से उन्हें घसीटकर बाहर निकाला गया था। अपने अपमान के खिलाफ भड़की वह ज्वाला उन्होंने कभी बुझने नहीं दी और लंबे संघर्ष के बाद वामपंथी सरकार की बुनियाद हिला दी।
एक वक्त था जब वामपंथ और तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के बीच जबर्दस्त घमासान मचा रहता था। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता आए दिन किसी न किसी बात पर एक दूसरे से टकराते रहते थे आज स्थिति उलट गई है। वामपंथ का स्थान अब भाजपा ने ले लिया है। भाजपा ने ममता बनर्जी को हटाने के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 42 सीट वाले राज्य में तृणमूल कांग्रेस की झोली में 33 सीटें आई थी। उस चुनाव में वाम नाम मात्र ही रह गया था। 2019 का चुनावी संघर्ष तृणमूल बनाम भाजपा हो गया है। ममता बनर्जी चुनावी जनसभाओं में लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ललकारती हैं। दीदी ने मोदी को संबोधित करते हुए कह दिया था कि उन्हें इस चुनाव में लोकतंत्र का थप्पड़ पड़ेगा। उन्होंने यहां तक कह डाला कि हमारी सरकार आएगी तो मोदी से उठक-बैठक करवाएगी। उनके व्यवहार में लगातार आक्रामकता साफ दिखाई पड़ी है।
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की संयोजक प्रियंका शर्मा को उन्होंने मॉर्फ तस्वीर लगाने पर गिरफ्तार करवा दिया। असल में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा मेम गाला के लुक के लिए सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही थीं। उसी लुक में प्रियंका शर्मा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक तस्वीर की मीम सोशल मीडिया पर फोटोशॉप कर अपलोड कर दी। जिसके बाद यह फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। आनन-फानन में प्रियंका शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया। इसके बावजूद उन्हें समय पर रिहा नहीं किया गया। रिहाई के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मैं माफी नहीं मांगूगी, मैं लड़ाई लड़ूंगी।
विपक्षी दलों के खिलाफ आक्रामकता समझ में आती है, लेकिन संघर्षशील दीदी की दिक्कत यह है कि वे मीडिया की आलोचना से भी विचलित हो जाती हैं। वर्ष 2012 में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा ने दीदी की आलोचना में एक कार्टून बनाया था। कार्टून में ममता बनर्जी और उनके पार्टी के नेता मुकुल राय इस पर चर्चा कर रहे थे कि वो अपनी पार्टी के सांसद दिनेश त्रिवेदी से कैसे छुटकारा पा सकते हैं। इस कार्टून को सिर्फ मेल पर लोगों को भेजा गया था। इसके बावजूद महापात्रा को अलग-अलग धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
वर्ष 2012 में ही नेटवर्क 18 के एक टॉक शो में एक छात्रा ने कहा कि क्या ममता की पार्टी के नेताओं को ज्यादा जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए। इस पर छात्रा को विपक्षी पार्टी लेफ्ट का कैडर बता दिया गया। हद तो तब हो गई जब वहां उपस्थित आधे से अधिक लोगों को माओवादी का आरोप लगाकर ममता शो को बीच में ही छोड़ कर चली गईं। वह अक्सर पत्रकारों को भी घेरती नजर आई हैं। ‘भविष्योत्तर भूत’ नाम की फिल्म अचानक सिनेमाघरों से मात्र इसलिए गायब करवा दी गई क्योंकि उस फिल्म में बंगाल की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, लेफ्ट और भाजपा जैसी पार्टियों की आलोचना की गई थी।
पश्चिम बंगाल की फायर ब्रांड मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह आक्रामक रूप क्या गुल खिलाएगा यह तो 23 मई को चुनावी नतीजे के बाद स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन इतना तो तय है कि जिस लोकतंत्र की दुहाई ममता बनर्जी देती हैं, वह आज उनके लिए परीक्षा की घड़ी बन चुकी है। खासकर तब जब उन पर आरोप लग रहे हैं कि वे लोकतंत्र को तार-तार करने पर तुली हैं। किसी भी राजनेता की चुनावी रैली को रोकना, उनके समर्थकों को पीटना, मामूली सी बात पर गिरफ्तार करवा देना, ममता की नीति बन गई है। इसे किसी भी दशा में जायज नहीं ठहराया जा सकता।