देश इस समय कोरोना संकट से गुजर रहा है। सरकार इससे निपटने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। लेकिन मरने वालों की सख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तेजी से सामने आ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों के जांच के लिए सरकारी लैब पर्याप्त न होने के कारण सरकार ने कुछ निजी लैब्स को भी जांच की इजाजत दी है।
लेकिन निजी लैब्स कोरोना जांच के लिए एक भारी रकम वसूल रहे हैं। लोगों को 4500 रुपये कोरोना जांच के लिए देना पड़ रहा है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिस पर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई किया।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा कि प्राइवेट लैब कोरोना टेस्ट के लिए अधिक चार्ज न करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि लैब की तरफ से टेस्ट के दौरान जो पैसे लिए गए हैं सरकार उन्हें रिइंबर्स कराने की कोई व्यवस्था करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले को लेकर आदेश पारित किया जाएगा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई
CJI एसए बोबडे ने कहा, “हम विशेषज्ञ नहीं हैं जो सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने का इरादा रखते हैं। कोर्ट सरकार के विवेक को दबाना नहीं चाहता है। हम स्वास्थ्य या प्रबंधन के विशेषज्ञ नहीं हैं। कोर्ट अगले 15 दिन सरकार के कामकाज में दखल नहीं देना चाहता।
इसके बाद उन्होंने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पढ़ने को कहा। मामले की अगली सुनवाईइस महीने की 13 अप्रैल को होगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को सुझाव दिया, “सरकार को चाहिए कि वो निजी लैब को ज्यादा पैसे न लेने दें। आप टेस्ट के लिए सरकार से रिइंबर्स कराने के लिए एक प्रभावी तंत्र बना सकते हैं।”
इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी और जो भी इसमें अच्छा किया जा सकता है उसे विकसित करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि इस मोर्चे पर सरकार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
उन्होंने कहा, “डॉक्टर कोरोना योद्धा हैं। उन्हें भी संरक्षित किया जाना है। उनमें से कई होटलों में रखे जा रहे हैं। केंद्र सरकार कोरोना के बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए अहम कदम उठा रही है। पीपीई किट का इंतजाम भी तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा कोरोना वायरस के पॉजिटिव लोग किसी को प्रभावित न करें, इसका भी ख्याल रखा जा रहा है।”
याचिका में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि देश के लोग लॉकडाउन की वजह से आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। लिहाजा जांच महंगी होने की वजह से लोग इसे कराने से बचेंगे इससे बीमारी और फैल सकती है। ऐसे में सरकार को सभी की जांचें मुफ्त कराना चाहिए।
दरअसल, ये याचिका अधिवक्ता शशांक देव सुधी की तरफ से दायर की गई है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि केन्द्र और संबंधित प्राधिकारियों को कोविड-19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।
गौरतलब है कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 5000 के पार चली गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में आने वाले दिन सरकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं।