अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी के लिए यह साल चौतरफा सौगात लेकर आया। हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही अडानी ग्रुप के शेयर रॉकेट बन गए। इस साल उनकी नेटवर्थ में 5.64 अरब डॉलर की रिकॉर्ड तेजी आई है जबकि पिछले साल वह सबसे ज्यादा नेटवर्थ गंवाने वाले शख्स थे। नया साल आते ही उनकी किस्मत ने पलटी खाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में अपने फैसले में कहा है कि इस मामले की जांच सेबी ही करेगा और इसे एसआईटी या सीबीआई को ट्रांसफर नहीं किया जाएगा
भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी दो साल पहले यानी 2022 में दुनिया के तमाम अरबपतियों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टॉप 3 अमीरों में शामिल रहे और साल 2023 की शुरुआत में ही अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट आई, जिसका अडानी के साम्राज्य पर इतना बुरा असर हुआ कि उनकी कुल संपत्ति का पांचवां हिस्सा महज दो दिन में ही साफ हो गया। इसके बाद यहां तक कहा जाने लगा था कि अडानी का साम्राज्य गहरे संकट की ओर है। लेकिन अब साल 2024 के पहले ही हफ्ते में देश की सर्वाेच्च अदालत से मिली राहत से अडानी ग्रुप पर छाए काले बादल छंटने लगे हैं।
अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सेबी को एफपीआई और एलओडीआर नियमनों पर उसके संशोधनों को रद्द करने का निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं है। सेबी ने 24 में से 22 मामलों में जांच पूरी कर ली है। अदालत ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए, हम सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं।’ कोर्ट का मानना है कि जांच को सेबी से एसआईटी को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। इन्वेस्टर और कारोबारी जॉर्ज सोरोस और राकफेलर ब्रदर्स जैसे लोगों की फंडेड ‘ओसीसीआरपी’ 2006 में बनी एक इन्वेस्टिगेटिव संस्था है।
अडानी समूह को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह नियामकीय व्यवस्था के दायरे में नहीं आ सकता और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट या ऐसी कोई भी चीज अलग से जांच के आदेश का आधार नहीं बन सकती। सेबी आगे बढ़ेगा और कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखेगा। यह साबित करने का कोई आधार नहीं है कि सेबी ने कदम उठाने में ढिलाई बरती। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि वर्तमान में मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का कोई आधार नहीं है सरकार और सेबी शार्ट-सेलिंग पर हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए कानून के उल्लंघन के आरोपों, यदि कोई हो, की जांच करेंगे और इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और सेबी से नियामकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर विचार करने को कहा है। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने
अडानी- हिंडनबर्ग मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने से इंकार किया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी के लिए यह दिन चौतरफा सौगात लेकर आया। हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही अडानी ग्रुप के शेयर रॉकेट बन गए। ग्रुप के शेयरों में करीब 12 फीसदी तक तेजी आई और ग्रुप का मार्केट कैप 15 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया। शेयरों में तेजी से अडानी की नेटवर्थ में भी 4.01 अरब डॉलर यानी करीब 3,34,06,70,85,000 करोड़ रुपए की उछाल आई और यह 89.9 अरब डॉलर पहुंच गई। इसके साथ ही वह अमीरों की लिस्ट में एक स्थान चढ़कर 14वें स्थान पर पहुंच गए। इस साल उनकी नेटवर्थ में 5.64 अरब डॉलर की रेकॉर्ड तेजी आई है जबकि पिछले साल वह सबसे ज्यादा नेटवर्थ गंवाने वाले शख्स थे। लेकिन नया साल आते ही उनकी किस्मत ने पलटा खाया है। सबसे ज्यादा अडानी एनर्जी साल्यूशन 15 फीसदी तक बढ़ गए। इसके बाद अडानी टोटल गैस 10, अडानी ग्रीन एनर्जी 8, अडानी पावर 5, अडानी इंटरप्राइजेज करीब 8 फीसदी और अन्य शेयर भी उछाल देखा गया।
अर्थशास्त्रियों और कानून विदों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह लगभग साफ हो चुका है कि सेबी की जांच सही रास्ते पर है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर मानने से इनकार किया है। अडानी ग्रुप की कंपनियों पर लगे 24 आरोपों में से 22 को जांच में क्लीन चिट मिली है। हालांकि सेबी अभी 2 और मामलों की जांच तीन महीने में पूरी करेगी। कोर्ट के अभी तक के फैसले से कहा जा सकता है कि अडानी ग्रुप पर कोई संकट नहीं है। ऐसे में अडानी ग्रुप पर निवेशकों का भरोसा पूरी तरह से लौट सकता है, जिस कारण अडानी ग्रुप के शेयर खरीदारों को फायदा होगा। इसके साथ ही कंपनी का कारोबार भी बढ़ेगा और अडानी ग्रुप का पूरी तरह से अपने व्यापार पर फोकस रहेगा।
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अरबपति गौतम अडानी ने ‘कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी’ की है। पिछले महीने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो कुछ कहा गया है, उसे पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता।
अडानी समूह के मुखिया ने दी प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिखाता है कि सच्चाई की जीत हुई है। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की विकास गाथा में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा।’
कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
पिछले साल 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि हमें अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सही मानने की जरूरत नहीं है। हिंडनबर्ग यहां मौजूद नहीं है, हमने सेबी से जांच करने को कहा है।
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए थे। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर सेबी को भी जांच करने के लिए कहा था।
कोर्ट ने खारिज की याचिकाकर्ताओं की दलीलें
कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों की ओर से हितों के टकराव के संबंध में याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत सरकार और सेबी भारतीय निवेशकों के हितों को मजबूत करने के लिए कमेटी की सिफारिशों पर विचार करेंगे।
एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन की मांग की गई थी
एक याचिका में एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन की मांग की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि यह कमेटी के साथ बहुत अन्याय होगा और लोग सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति में काम करना बंद कर देंगे। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा था कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को सभी मामलों में जांच पूरी करनी होगी।
सेबी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग
सेबी की ओर से रिपोर्ट में देरी के कारण सुप्रीम कोर्ट में सेबी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग को लेकर भी एक याचिका दायर की गई थी। जनहित याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा था कि सेबी को दी गई समय सीमा के बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है और अपनी फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।
कमेटी सार्वजनिक कर चुकी है रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडानी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है।
क्या थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
25 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। इसमें दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर से बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान इस समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।
कई देशों में हैं मुखौटा कंपनियां
रिपोर्ट में मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स चोरी वाले देशों में अडानी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों के एक वेब का विवरण है। इसका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिग के लिए किया गया था। फंड की हेराफेरी भी की गई थी। शोध में अडानी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात करना, हजारों दस्तावेजों की समीक्षा करना और आधा दर्जन देशों में दौरा शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है। समूह की सात प्रमुख कंपनियों के मूल्य को देखें तो यह फंडामेंटल आधार पर मूल्यांकन से 85 फीसदी नीचे हैं।
अडानी ग्रुप पर क्या हैं हिंडनबर्ग के आरोप
1. अडानी ग्रुप की कंपनियों ने उसके शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट कर बढ़ाया।
2. मनी लॉन्ड्रिंग और अकाउंटिंग फ्रॉड किया। आठ साल के दौरान पांच सीएफओ बदले।
3. ग्रुप की 7 कंपनियों के शेयर की कीमत 85 फीसदी तक ज्यादा यानी स्काय रॉकेट वैल्यूएशन।
4. अडानी ग्रुप पर 2 .20 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है जो उसकी कंपनियों की हैसियत से ज्यादा है।
5. मॉरीशस और दूसरे देशों की कंपनियों में पैसे भेजे। उन कंपनियों ने अडानी के शेयर खरीदे।
हिंडनवर्ग रिपोर्ट के बाद धड़ाम हुए थे शेयर गौरतलब है कि 24 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की थी, जिसके बाद अडानी ग्रुप के सभी शेयर तेजी से गिरने लगे थे। सेबी की जांच के बाद 24 नवंबर को अडानी ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की थी। इसमें सेबी पर लगाए जा रहे आरोपों को नकारते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। इसके बाद से ही इसके शेयरों में तेजी आनी शुरु हो गई थी वहीं अब तीन महीने बाद अडानी के दो अन्य मामलों में फैसला आएगा।