‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ वर्तमान दौर में गंभीर संकट का सामना कर रही है। पत्रकारों पर अनाप-शनाप मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं। राष्ट्रद्रोह जैसी गंभीर धाराओं में राज्य सरकारें पत्रकारों पर एफआईआर करवाने, गिरफ्तार करने में एक-दूसरे से होड़ लेती नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए बलात्कार कांड को कवर करने गए पत्रकार हों या फिर गुजरात के अहमदाबाद में ‘तनिष्क’ कंपनी के शोरूम में तोड़-फोड़ का मामला हो, अपराधियों के बजाय कानून का डंडा सच सामने लाने वालों के उपर ज्यादा चल रहा है। देश के सबसे प्रतिष्ठित टाटा समूह के ज्वैलरी ब्रांड ‘तनिष्क’ का एक विज्ञापन कथित हिंदुवादियों को इतना नागवार गुजरा कि भाजपा शासित गुजरात के अहमदाबाद में इस ब्रांड के शोरूम में वे अपना ‘जलवा’ दिखाने पहुंच गए। इस विज्ञापन में मुस्लिम परिवार में ब्याही गई एक हिंदू लड़की के साथ मुस्लिम सास-ससुर का हिंदू त्यौहार मनाया जाना दिखाया गया था। गंगा-जमुनी संस्कृति वाले देश में यह सामान्य बात है। लेकिन इससे नाराज कथित हिंदू धर्म रक्षकों ने भारी बवाल काट डाला। इतना बवाल कि टाटा समूह को यह विज्ञापन वापस लेना पड़ा है।
Day after Tanishq showroom in Gandhidham apologised for controversial ad, ‘ecosystem’ created a ‘Hindu mob attacked showroom’ narrative https://t.co/4K0mdGzCyp
— OpIndia.com (@OpIndia_com) October 14, 2020
अब इस मामले में ताजा अपडेट अहमदाबाद की पुलिस द्वारा ‘एनडीटीवी’ न्यूज चैनल के खिलाफ फेक न्यूज दिखाने का आरोप लगाने वाली एफआईआर दर्ज किया जाना है। एफआईआर दर्ज कराने वाले महाशय उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे जो ‘तनिष्क’ के शोरूम में घुसी थी। इन ‘गांधीवादी’ महाशय ने एफआईआर में लिखा है कि वे शांतिपूर्वक अपनी बात रखने शोरूम में गए थे जिसे गलत तरीके से एनडीटीवी ने फेक न्यूज बना प्रसारित किया। राज्य के गृहमंत्री प्रदीप जडेजा ने पहले ही ट्विट कर इस प्रकार की एफआईआर दर्ज कराने की बात कह दी थी। इसे कहते हैं ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’।