लोकसभा चुनाव में एक साथ चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने हरियाणा और दिल्ली में विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा। हालांकि दिल्ली चुनाव में इंडिया गठबंधन के कई दलों ने अपना समर्थन आम आदमी पार्टी को दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस चुनाव के नतीजों से इंडिया गठबंधन की गांठ भी कमजोर हुई है? अब भी गठबंधन की बागडोर कांग्रेस के हाथों में रहेगी या छिन जाएगी? राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक फोकस को बिहार की ओर मोड़ दिया है। इंडिया गठबंधन की छवि ऐसी है कि इसमें अलग-अलग दल हैं जिनके अपने-अपने राजनीतिक एजेंडे हैं। कांग्रेस के अलावा जो भी क्षेत्रीय पार्टियां हैं अब वह सवाल उठाने लगी हैं कि जब चुनाव में कांग्रेस वोट हासिल नहीं कर पा रही है तो गठबंधन की अगुआई क्यों कर रही है? हाल में हुए चुनावों में यह देखा गया कि बीजेपी का सामना क्षेत्रीय पार्टियां कर रही हैं, जबकि कांग्रेस उनके सामने प्रमुख पार्टी थी। इससे क्षेत्रीय पार्टियों का कांग्रेस के प्रति गुस्सा बढ़ रहा है कि कांग्रेस किस आधार पर इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन के खेमे में जो ऊर्जा आई थी वह राज्यों में उसके ख़राब प्रदर्शन से कम हो गई है। दिल्ली चुनाव के परिणाम से राष्ट्रीय राजनीति पर यह असर देखने को मिलता है कि विपक्ष के बिखरने का खतरा अब और बढ़ गया है। संदेश देते हैं।
कांग्रेस से छिनेगी गठबंधन की डोर!
