Uttarakhand

देवभूमि का अनोखा बटर फेस्टिवल

  •    मोहन सिंह राणा

उत्तराखण्ड में पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक ट्टारोहर से जुड़े तीज- त्यौहारों की लंबी सूची है। यहां गढ़वाल और कुमाऊं में हर माह कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। लेकिन पशुपालन और प्रकृति के अनूठे मिलन से जुड़े उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल का ‘बटर फेस्टिवल’ दुनिया के अनोखे और पौराणिक त्योहारों में अलग स्थान रखते हैं। 16 अगस्त को यह त्यौहार दयारा बुग्याल में धूमधाम से मनाया गया। दयारा बुग्याल पहुंचे स्थानीय लोगों और देश-दुनिया से जुटे पर्यटर्कों ने जमकर दूध, मक्खन और मट्ठा की होली खेली। साथ ही श्रीकृष्ण और राधा का शानदार नृत्य भी बटर फेस्टिवल में आकर्षण का केंद्र रहा।

बटर फेस्टिवल दुनिया के तीज त्योहारों में अनोखा

उत्तरकाशी के रैथल और बारसु गांव से आठ किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करने के बाद करीब 11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल में मनाए जाने वाला बटर फेस्टिवल इस क्षेत्र में खुशी और सांस्कृतिक उत्साह की एक अलग झलक है। इस पर्व को पहले अंढूडी उत्सव के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसको स्थानीय लोगों ने बटर फेस्टिवल नाम दिया है। दयारा पर्यटन उत्सव समिति के बैनर तले यह फेस्टिवल पिछले 20 सालों से बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस साल भी दयारा बुग्याल की मखमली घास में इस पर्व का आयोजन ग्रामीणों ने पारम्परिक रूप से दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलते हुए किया। साथ ही स्थानीय देवी देवताओं और दयारा गई सोमेश्वर देवता की डोली की पूजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। प्रकृति का आभार जताने वाला यह उत्सव ग्रामीणों और प्रकृति के बीच के मधुर सम्बंध का भी प्रतीक है। यह त्यौहार दयारा बुग्याल के खुले घास के मैदानों में चरते समय मवेशियों को बुरी ताकतों से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है तथा समृद्ध पशुपालन की कामना का लोकपर्व है। इस पर्व में दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल के साथ नटीण, भटवाड़ी, क्यार्क, बंद्राणी सहित पांच गांव के ग्रामीण भी शामिल हुए। इस मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान भी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। चौहान ने कहा कि दयारा बुग्याल के विकास को लेकर सरकार गम्भीर है। यहां रोपवे से लेकर साहसिक खेलों की भी सरकार योजना बना रही है। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि अंढूडी यानी बटर फेस्टिवल देश और दुनिया में प्रकृति और पशुपालन के प्रति आभार जताने वाला अनोखा त्यौहार है। इस दिन ग्रामीण भगवान श्रीकृष्ण का प्रकृति और पशुपालन की समृद्धि की कामना करते हैं।

ग्रामीण इसलिए मनाते हैं बटर फेस्टिवल
रैथल और बारसु गांव के ग्रामीण हर वर्ष अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ ही दयारा बुग्याल छानियों में चले जाते हैं। बुग्याल में कई किमी, तक फैले बुग्याल मवेशियों के आदर्श चारागाह होते हैं और यहां उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधों से दुधारू मवेशियों के दुग्ध उत्पादन में गांव के मुकाबले अप्रत्याशित वृद्धि होती है। मानसून बीतने के साथ ही जब बुग्याल में सर्दी दस्तक देने लगती है तो ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ वापस गांव लौटने की तैयारियों में जुट जाते हैं लेकिन इससे पूर्व ग्रामीण दयारा बुग्याल में मवेशियों और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए, दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि के लिए प्रकृति व स्थानीय देवताओं का आभार जताना नहीं भूलते। प्रकृति का आभार जताने के लिए ही ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

हर साल मनाया जाता बटर फेस्टिवल

दयारा पर्यटन उत्सव समिति हर वर्ष भाद्रपद माह की संक्राति यानी अगस्त महीने के मध्य में दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल का भव्य आयोजन करती आ रही है। पूरी दुनिया में मक्खन मट्ठा दूध की यह अनोखी व अनूठी होली का आयोजन सिर्फ दयारा बुग्याल में ही होता है। दयारा पर्यटन उत्सव समिति विगत दो दशकों से दयारा बुग्याल में इसे भव्य रूप से ग्रामीणों के साथ मिलकर मना रही है जिस कारण इस उत्सव को अपने अनोखे रूप के कारण बटर फेस्टिवल का नाम मिला तो देश विदेश से हजारों पर्यटक भी हर साल इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए रैथल व दयारा पहुंचते हैं।

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