शिवसेना की स्थापना बालासाहब ठाकरे ने की थी, लेकिन उन्होंने कभी खुद चुनाव नहीं लड़ा। यहां तक कि जब 1995 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन महाराष्ट्र में सत्ता में आया तब भी बालासाहब ठाकरे ने मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को बनाया। खुद उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ने भी चुनाव नहीं लड़ा।
हालांकि उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद सीएम बनने की ख्वाहिश जता दी थी। लेकिन अब शिवसेना परिवार के युवराज आदित्य ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारकर राजनितिक सियासत का नया अध्याय शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि आदित्य ठाकरे के चुनावी राजनीति में उतरने के संकेत तभी मिलने लगे थे जब उन्होंने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी। शिवसेना का दावा है कि आदित्य ठाकरे की यह जन आशीर्वाद यात्रा बहुत कामयाब रही थी।
बहरहाल , 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र की सियासत में बदलाव की बयार चलती नजर आ रही है। इस बार के चुनाव में पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में उतर गया है। बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना ने पहली बार ठाकरे परिवार के सदस्य आदित्य ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान किया है।
आदित्य ठाकरे शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र हैं। शिवसेना ने उन्हें मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट से वर्तमान में शिवसेना का ही विधायक हैं। इससे पहले महाराष्ट्र के सबसे चर्चित और ताकतवर माने जाने वाले राजनीतिक परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी समर में नहीं उतरा था।