खेल विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय टीम को वर्ल्ड कप फाइनल में मिली हार के पीछे एक बड़ी वजह छठे बॉलर की कमी भी थी। अब अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटे चयनकर्ता इससे सीख लेते नजर नहीं आ रहे हैं। इसका अंदाजा हाल ही में सम्पन्न हुई ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टी-20 और अब दस दिसंबर से भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच खेली जाने वाली तीन मैचों की सीरीज से लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन गलतियों से कब सबक लेगा बीसीसीआई?
वनडे वर्ल्ड कप 2023 के बाद से अब सभी देशों की टीमों ने टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह वर्ल्ड कप साल 2024 में होने वाला है जिसमें कुल 10 टीमें हिस्सा लेने वाली हैं और इसकी मेजबानी वेस्टइंडीज और अमेरिका के पास है। इसी के तहत भारतीय टीम ने हाल ही में जहां ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी सरजमीं पर पांच टी टवेंटी मैचों की सीरीज खेली वहीं अब टीम तीन मैचों की सीरीज साउथ अफ्रीका की सरजमीं पर खेल रही है। लेकिन टीम की शुरुआती तैयारियों को देखकर लगता नहीं कि वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में मिली हार से उन्होंने कोई सीख ली है। इसका अंदाजा हाल ही में सम्पन्न हुई ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टी-20 सीरीज और अब दस दिसंबर से भारत दक्षिण अफ्रीका के बीच खेली जाने वाली तीन टी-20 मैचों की सीरीज से लगाया जा सकता है।
खेल विश्लेषक कहते हैं कि खिताबी मुकाबला गंवाने के पीछे कुछ अहम कारणों में एक कारण छठे गेंदबाज की कमी भी रही। बावजूद इसके टीम सलेक्टर कमेटी शायद इस एंगल से नहीं सोच रही, तभी वे छठे गेंदबाज यानी एक अतिरिक्त ऑलराउंडर की तलाश में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। भारत के पास हार्दिक पांड्या जैसा ऑलराउंडर है जो छठे गेंदबाज की कमी पूरी करके टीम में बेजोड़ संतुलन पैदा करता है, लेकिन वर्ल्ड कप में सभी ने देखा कि हार्दिक के चोटिल होने के बाद छठे गेंदबाज को लेकर टीम इंडिया के पास कोई प्लान-बी नहीं था। हाल ही में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टी-20 मैचों की सीरीज खेली और अब टी-20 वर्ल्ड कप से पहले उसे सिर्फ छह टी-20 इंटरनेशनल मैच खेलने को मिलेंगे। यानी प्रयोग के लिए आगे समय कम है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में ही प्रयोग करने का भरपूर मौका था। उस सीरीज में बैटिंग और बॉलिंग विभाग में कई नए विकल्पों को आजमाया गया, लेकिन कुल 17 सदस्यीय टीम में जिन दो खिलाड़ियों को एक भी मैच में मौका नहीं मिला, वो टीम के ऑलराउंडर विकल्प शिवम दुबे और वॉशिंगटन सुंदर थे। शिवम बिग हिटर हैं। अंतिम कुछ गेंदों में समीकरण बदलने की ताकत रखते हैं। गेंदबाजी में वह तेज गेंदबाजी में विकल्प देते हैं। वहीं सुंदर एक चालाक प्लेयर हैं और किसी भी नंबर पर बैटिंग और बॉलिंग करने का विकल्प कप्तान को मुहैया कराते हैं। बावजूद इसके उन्हें मौका नहीं दिया गया। वो भी तब जब यह सीरीज भारत में खेली गई।
वहीं स्पिन बॉलिंग ऑलराउंडर अक्षर पटेल को सभी पांचों मैच में मौका मिला और उन्होंने आखिरी दो मैचों में प्लेयर ऑफ द मैच बनकर सीरीज भारत के नाम कराने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अक्षर को आगामी साउथ अफ्रीका दौरे पर खेली जाने वाली टी-20 सीरीज के लिए टीम में जगह नहीं दी गई। इससे यही संदेश जा रहा है कि टीम मैनेजमेंट फिलहाल अक्षर को आगामी टी-20 वर्ल्ड कप के लिए ऑलराउंडर के तौर पर नहीं देख रहा है। मैनेजमेंट की पहली पसंद अभी भी रविंद्र जडेजा हैं जो शानदार फॉर्म में नहीं चल रहे हैं। इसके अलावा हार्दिक का चोट से उबरने का इंतजार जारी है। वे प्लान-बी के तहत ऑलराउंडरों में सबसे बेहतर विकल्प हैं। वह पिछले कुछ समय से बल्ले से अहम योगदान दे रहे हैं और टी -20 सीरीज में उन्होंने अपनी शानदार बॉलिंग का दमखम भी दिखाया है।
विश्लेषक इसका एक कारण यह भी बता रहे हैं कि टीम चयन में सिलेक्टर्स का सबसे बड़ा आधार आईपीएल ही रहा है। कई साल डोमेस्टिक में प्रदर्शन करने के बाद भी खिलाड़ियों को इनाम नहीं मिलता जो आईपीएल के महज एक सीजन में करने पर मिल जाया करता है। हालांकि राहुल तेवतिया इस मामले में बदकिस्मत रहे हैं। चंद आखिरी गेंदों पर अकेले दम पर अपनी टीम को कई मैच जिताने वाले इस बाएं हाथ के स्पिन बॉलिंग ऑलराउंडर का बल्ला फिलहाल डोमेस्टिक में भी खूब चल रहा है और वह भी एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं।
भारत का दक्षिण अफ्रीका दौरा
दिनांक मैच जगह
10 दिसंबर पहला टी-20 डरबन
12 दिसंबर दूसरा टी-20 जीक्यूबेरा
14 दिसंबर तीसरा टी-20 जोहानिसबर्ग
भारत की टी-20 टीम
यशस्वी जयसवाल, शुभमन गिल, ऋतुराज गायकवाड़, तिलक वर्मा, सूर्यकुमार यादव (कप्तान), रिंकू सिंह, श्रेयस अय्यर, ईशान किशन (विकेटकीपर), जितेश शर्मा (विकेटकीपर), रवींद्र जडेजा (उपकप्तान), वॉशिंगटन सुंदर, रवि बिश्नोई, कुलदीप यादव, अर्शदीप सिंह, मो ़सिराज, मुकेश कुमार, दीपक चाहर।