गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में जो कल हुआ उससे सब स्तब्ध है । पहले से ही कहा जा रहा था कि किसान ट्रैक्टर परेड में हिंसा हो सकती है । इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने एहतियात बरतते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया था । साथ ही कुछ शर्तों पर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की परमिशन दी गई थी । लेकिन देखते ही देखते सब शर्तें तोड़ दी गई और देश की राजधानी दिल्ली में अमेरिका की 6 जनवरी का उपद्रव दिखाई दिया, जब अमेरिका में ठीक इसी तरह ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल पर हंगामा किया था।
किसानों ने ना केवल गाड़ियां तोड़ी बल्कि पुलिस कर्मियों को भी दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस दौरान 86 पुलिसकर्मी घायल हो गए तो एक किसान की मौत भी हो गई । फिलहाल इस मामले पर 22 रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है । सीसीटीवी कैमरों से उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।
उधर , दूसरी तरफ लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहराने पर किसान लोगों के निशानों पर आ गए हैं । सोशल मीडिया पर लाल किले पर फहराया जा रहा निशान साहिब के झंडे को खालिस्तान का झंडा बताया जा रहा है । जिसमें फिलहाल किसान नेता घिर गए हैं ।
किसान नेताओं ने अपना दामन बचाने के लिए लाल किले पर झंडा फहराने के लिए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू को दोषी बताते हुए कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों को भड़का रहा था। और वही उन्हें लाल किले पर ले गया था । फिलहाल दीप सिद्धू को लेकर किसान और मोदी समर्थक आमने-सामने हैं। किसान समर्थक दीप सिद्धू की प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक तस्वीर को सांझा करते हुए सोशल मीडिया पर यह दिखा रहे हैं कि लाल किले पर झंडा फहराने वाला यह एक्टर भाजपा समर्थक है।
उधर, दूसरी तरफ दीप सिद्धू को अभिनेता सन्नी देओल का ख़ास बताया जा रहा था। लेकिन इस मामले में सन्नी देओल सामने आए है और उन्होंने कहा है कि दीप सिद्धू से उनका कोई नाता नहीं है। यहां यह भी बताना जरुरी है कि लालकिले पर धवज फहराने वाले दीप सिद्धू पर खालिस्तान समर्थक के आरोप भी लगते रहे है। जबकि दूसरी तरफ भाजपा समर्थकों का कहना है कि किसानों के ही बीच से निकला वह व्यक्ति खालिस्तान समर्थक है और लाल किले पर खालिस्तान का झंडा लहरा कर उन्होंने देश को चुनौती दे दी है।
फिलहाल, जांच का विषय यह बन गया है कि कल की हिंसा के लिए दोषी कौन है ? जब 2 महीने से आंदोलन शांतिपूर्वक हो रहा था तो अचानक गणतंत्र दिवस के दिन अराजकता का माहौल क्यों पैदा किया गया ? इसके पीछे किसकी साजिश है? कल जो हुआ वह फिलहाल किसान नेताओं और सरकार के बीच बन रही समझौते की वार्ता को भी बाधित करता हुआ प्रतीत हो रहा है। ऐसे में अब किसानों द्वारा 1 फरवरी के दिन संसद पर किए जाने वाले धरना प्रदर्शन को लेकर भी सुरक्षा की दृष्टि से मामला संवेदनशील दिखने लगा है।