राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संग्राम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही आपसी खींचतान के कारण पिछले दो महीने से राजस्थान में शह और मात का खेल जारी है। इसमें कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पलड़ा भारी होता है तो कभी सचिन पायलट सत्ता पर भारी पड़ते दिखाई देते हैं। हालाँकि अंकों के हिसाब से देखा जाए तो अब तक अशोक गहलोत मजबूती से डटे हुए हैं। विधायकों के संख्या बल से मुख्यमंत्री बहुमत के करीब दिखाई देते हैं। जबकि सचिन पायलट अपने 18 साथी विधायकों के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं। एक तरह से देखा जाये तो सियासी जंग में पायलट और गहलोत अपने शस्त्र रूपी विधायकों के बल पर दो सेनाओं की तरह आमने सामने हैं। हालाँकि राज्यपाल कलराज मिश्र की तरफ से आगामी 14 अगस्त को गहलोत की मनसा पूरी करते हुए विधानसभा सत्र चलाने की स्वीकृति दे दी गई है। जिसमें गहलोत सरकार का बहुमत साबित करेंगे।
लेकिन इस दौरान गहलोत और पायलट दोनों ही मन ही मन में डरे हुए हैं। पायलट को यह डर है कि कहीं गहलोत विधानसभा सत्र में उनकी विधायकी को अयोग्य साबित करवाने में सफलता न हासिल कर लें। दूसरी तरफ गहलोत को अंदर ही अंदर यह भय सता रहा है कि फिलहाल 19 विधायक कांग्रेस के और तीन निर्दलीय सहित कुल 22 विधायक पायलट खेमे में हैं। जबकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार तीन विधायक ऐसे हैं जो हैं तो गहलोत के साथ जैसलमेर के होटल में ही, लेकिन वे अंदरखाने पायलट के समर्थक हैं। यह तीनों विधायक पहले भी पायलट खेमे में थे। लेकिन एक योजना के तहत इन्हें वापस गहलोत खेमे में भेजा गया है। अगर वह तीनों पायलट के साथ ही रहते हैं तो गहलोत सरकार का अल्पमत में आना तय है।
इसके चलते अब कांग्रेस आलाकमान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनों तरफ से कोशिश शुरू हो गई है कि किसी भी तरह पायलट को मनाया जाए। यहां तक कि कांग्रेस आलाकमान ने पिछले तीन दिन में सचिन पायलट और उनके विश्वस्तों से दो बार बात की है। वहीं पांच दिन पहले पायलट खेमे को लेकर आक्रामक रूख अपना रहे गहलोत अब कहने लगे हैं कि मैं तो कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं,आलाकमान जैसा कहेगा वो मानूंगा। गहलोत यह भी कहते हैं कि यदि बागी वापस आते हैं तो मैं उन्हें गले लगा लूंगा। गहलोत का अचानक यूटर्न लेने के पीछे पायलट खेमे का भय बताया जा रहा है।
शायद यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान और गहलोत ने बागियों के प्रति अपना रूख नरम करते हुए उन्हें मनाने की कोशिश शुरू कर दी है। वहीं पायलट खेमे के विधायक सोशल मीडिया पर लगातार बयान दे रहे हैं कि उनकी नाराजगी पार्टी से नहीं है, बल्कि सीएम गहलोत से है। पायलट खेमा सीएम बदलने से कम किसी समझौते को लेकर फिलहाल तैयार नहीं है। देखा जाए तो अब आगामी चार-पांच दिन गहलोत सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्ही दिनों में कांग्रेस की आंतरिक सियासत का कोई हल निकलने की उम्मीद है।