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किसानों के लिए ममता का कठोर दिल क्यों? धरने पर न पहुंचने से उठे सवाल 

किसान इंतजार करते रह गए और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल लौट गईं। ऐसे में सवाल उठने स्वाभाविक हैं कि आखिर जिन किसानों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिन्होंने ममता में  नई संभावनाएं देखी थी, उनके धरने पर जाकर उन्हें समर्थन देने में ममता ने परहेज क्यों किया? किसान हताश-निराश हैं कि ममता ने उनके आंदोलन की सुध नहीं ली। हालांकि किसान आंदोलन के नेताओं द्वारा अब मामले को घुमाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यूपी बॉर्डर पर धरना स्थल पर ममता का आने का कोई प्रोग्राम नहीं था, लेकिन सच यही है कि किसान निराश है।
सवाल उठ रहे हैं कि अगर ममता का धरना स्थल पर आने का प्रोग्राम नहीं था तो पुलिस को कैसे भनक लगी और धरना स्थल के आसपास पुलिस सुरक्षा क्यों बढ़ाई गई? सवाल यह भी है कि जिस ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जिताने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत दल – बल के साथ पश्चिम बंगाल पहुंचे थे। वहां जाकर न केवल उन्होंने उनकी पार्टी का समर्थन किया बल्कि भाजपा विरोधी अभियान चलाया था। आज राजनीतिक गलियारों में यह जबरदस्त चर्चा है कि जिस राकेश टिकैत ने बंगाल जाकर ममता बनर्जी को जिताने में अहम भूमिका निभाई उनके पास ममता बनर्जी क्यों नहीं आई? आखिर क्या वजह रही की ममता बनर्जी किसानों के धरना स्थल पर आकर अपना समर्थन क्यों नहीं दे पाईं? जबकि पूर्व में किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत यह ऐलान कर चुके थे कि ममता बनर्जी उनके आंदोलन को समर्थन करने दिल्ली आएगी।
 याद रहे कि जून के दूसरे सप्ताह के दौरान राकेश टिकैत की पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता स्थित सचिवालय में मुलाकात हुई थी। इस दौरान टिकैत को ममता बनर्जी ने ना केवल किसान आंदोलन में अपना समर्थन दिया था, बल्कि दिल्ली आने की बात भी कही थी। इस मुलाकात के बाद राकेश टिकैत ने मीडिया के समक्ष कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमें आश्वासन दिया है कि वह किसान आंदोलन का समर्थन जारी रखेंगी। हम आश्वासन के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। इसी के साथ ही टिकैत ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को आदर्श राज्य के रूप में काम करना चाहिए और किसानों को अधिक लाभ दिया जाना चाहिए।
 कल यह चर्चा जोरों पर चली कि ममता बनर्जी यूपी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शिरकत करने पहुंचेगी। इसके चलते ही दिनभर पुलिस प्रशासन सतर्क रहा। यहां तक कि एक दिन पहले ही यूपी गेट पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। कल भी सुबह से यहां बम निरोधक दस्ता और खुफिया विभाग सतर्क रहा। यही नहीं बल्कि यूपी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के धरना स्थल के आसपास सुबह से ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने डेरा जमा लिया था। मीडिया कर्मी भी इसी उम्मीद से यहां जमे रहे कि ममता बनर्जी किसान आंदोलन को समर्थन देने यूपी बॉर्डर जरूर पहुंचेंगी।
 चर्चा है कि ममता बनर्जी के किसान आंदोलन में न पहुंचने पर किसान निराश हैं, जबकि इससे पहले ममता के आने की खबर से किसान उत्साहित बताए जा रहे थे। बताया तो यहां तक जा रहा है कि किसान नेता राकेश टिकैत भी दिनभर ममता बनर्जी का इंतजार करते रहे। हालांकि इस बाबत राकेश टिकैत ने कहा है कि ममता के आने की सूचना उन्हें मीडिया कर्मियों के द्वारा मिली थी । उन्होंने उन्हें यहां आने का न्योता नहीं दिया था। उनसे उनकी कोई बात नही हुई थी।
 राकेश टिकैत द्वारा जो यह सफाई दी जा रही है वह लोगों को हजम नहीं हो रही है। वह इसलिए कि विधानसभा चुनाव में किसान संघर्ष समिति ने राकेश टिकैत के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बनाया था। किसान आंदोलन से उठी भाजपा विरोधी लहर को पश्चिम बंगाल में तूफान बनाने में राकेश टिकैत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने पश्चिम बंगाल में जगह-जगह जाकर लोगों के मन में भाजपा विरोधी माहौल बनाया था।
 राजनीतिक पंडितों ने ममता बनर्जी की जीत में किसान संघर्ष समिति और किसान नेता राकेश टिकैत की महत्वपूर्ण भूमिका बताई थी। लेकिन जिस तरह से ममता बनर्जी चार दिन दिल्ली में रही और सभी बड़े राजनेताओं से मिली। लेकिन  राकेश टिकैत और किसान आंदोलन में उपस्थित हुए बिना ही वह दिल्ली से लौट गई। उससे राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं। हालांकि दूसरी तरफ ममता बनर्जी का धरना स्थल पर नए आने के पीछे पॉलीटिकल एजेंडा भी बताया जा रहा है। जिसमें कहा जा रहा है कि अगर ममता बनर्जी यूपी गेट पर किसानों के धरना स्थल पर पहुंचती तो भाजपा इस मुद्दे पर राजनीति कर सकती थी।

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