पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो गए. उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य ने मुखागिनी दी. अंतिम यात्रा बीजेपी मुख्यालय से शुरू हुआ. इस पूरी यात्रा में पधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं सहित हजारों कार्यकर्ता और लाखों आम लोग शामिल रहे. पुरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.
अटल बिहारी वाजपेयी को अंतिम विदाई देने कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष एवं प्रतिनिधि भी दिल्ली पहुंचे। दूसरे देशों के रष्ट्र अध्य्क्ष में भूटान नरेश, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, पाकिस्तान के कानून मंत्री, नेपाल के मंत्री, बांग्लादेश के विदेशमंत्री शामिल हुए. पूरी केंद्र सरकार के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी जैसे विपक्ष के बड़े नेता भी मौजूद रहे.
उनके अंतिम संस्कार के दौरान हल्की बारिश भी हुई. जिस पर वहां मौजूद लोग कहने लगे की यह अटल जी के विदाई में आसमान भी रो रहा है. अलग-अलग धर्म और समुदाय के लोग भी वाजपेयी के जाने से गमगीन हैं. मुस्लिम से लेकर ईसाई के धर्म गुरुओं ने भी वाजपेयी के जाने को देश की बहुत बड़ी क्षति माना। वाजपेयी का कवि मन कभी अपनी अंतिम विदाई से नहीं डरते थे. तभी तो उन्होंने लिखा, ‘ मैं लौटकर आऊँगा तो कूच करने में क्यों डरूं।’

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