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गर्भवती को 18 किलोमीटर तक कंधों पर लादकर अस्पताल पहुंचीं महिलाएं

गर्भवती को 18 किलोमीटर तक कंधों पर लादकर अस्पताल पहुंचीं महिलाएं

हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं का कितना अभाव है इसका अंदाजा यहां की स्थितियों को देखकर लगाया जा सकता है। आलम यह है कि कंधों पर मरीजों को लादकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। रास्ते इतने दुर्गम हैं कि लोगों को किसी भी जरूरी काम के लिए इन दुर्गम रास्तों को पार करना पड़ता है। राज्य की दयनीय हालत के बावजूद हिमाचल के कुल्लू जिले से एक बेहद सराहनीय मामला सामने आया है। यहां कुछ महिलाएं 18 किमी तक गर्भवती महिला को कुर्सी पर कंधों के सहारे सड़क तक लेकर गई और फिर वहां से अस्पताल तक लेकर गईं।

आज़ादी के 72 साल बाद भी कुल्लू जिला की सैंज घाटी के अति दुर्गम क्षेत्र गाड़ापारली पंचायत के शाकटी, मरौड और शुगाड़ में सड़क सुविधा से वंचित है। इस गांव की एक महिला को जब इलाज की जरूरत पड़ी तो गांव की महिलाओं ने आगे बढ़कर मदद की। गर्भवती महिला सुनीता (27) को इमरजेंसी में 18 किलोमीटर कुर्सी में बांधकर महिलाओ ने कंधों पर उठाकर बड़ी मशक्कत के 8 घंटे उठाकर निहारानी तक पहुंचाया। उसके बाद यहां से वाहन से फिर महिला को बंजार अस्पताल पहुंचाया गया। इस इलाके से पहले भी कंधों पर मरीज ले जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

दरअसल, एक गर्भवती महिला को रविवार सुबह  प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी तो परिजन घबराने लगे कि वो क्या करें?  इस दौरान उन्होंने गांववालों से मदद मांगी। सुनीता को कुर्सी पर बैठाया और खड़े और उतराई वाले बर्फीले रास्ते से करीब 18 किलोमीटर पैदल चलकर पांच घंटे बाद निहानी तक पहुंचाया। यहां से सुनीता को गाड़ी से सैंज अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें उपचार दिया जा रहा है।

पंचायत प्रधान भाग चंद, उप प्रधान गोपाल, बीडीसी सदस्य जयवंती देवी, शेर सिंह, हीरा चंद, डोला राम, लग्न राणा, मोती राणा, तीर्थ राम, धर्म पाल, गोविंद राम और पूर्व प्रधान इन्द्रू ने बताया कि तीन गांव के ग्रामीणों को सड़क सुविधा के अभाव में परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकारें आईं और गईं, लेकिन दुर्गम क्षेत्र गाड़ा पारली पंचायत के आधा दर्जन गांव मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दुर्गम क्षेत्रों में विकास करवाए, ताकि लोगों के पीठ का बोझा उतरे और बीमारी की हालत में लोगों को वाहनों की सुविधा मिल सकें।

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