एम्स के अलावा पीजीआई जैसे बढ़े संस्थान भी अब रोगियों को दवा के साथ विशेषज्ञों की देखरेख में योग की सलाह दे रहे हैं। एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ के अनुसार, एम्स में हृदय रोगियों को स्वस्थ लाभ के लिए पिछले साल कार्डियो रिहेबलिटेशन योग नाम का कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके तहत हमने 20 मरीजों को चुना। मरीजों को दवाओं के साथ योग और ध्यान कराया गया। इनमें से एक मरीज का हृदय 20 फीसदी काम कर रहा था।पिछले एक साल में दवाओं के साथ योग करने से उसकी हृदय संचालन क्षमता 30% हो गई। ये नतीजा बेहद सकारात्मक है। अगले दो सालों में हम 100 और मरीजों को योग कार्यक्रम में शामिल करेंगे। प्रदूषण ज्यादा हो तो श्वांस रोगी योग करने से परहेज करें। वहीं, अगर स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी हो तो विशेषज्ञों की देखरेख में योग करें। पीजीआई लखनऊ के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद के अनुसार, योग का गुर्दे की बीमारी पर सीधा असर नहीं है, पर लगातार योग से शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत पैदा होती है। गुर्दे की बीमारी से पीड़ित 60% मरीजों को दिल का रोग लग जाता है। नियमित योग से इन दिक्कतों को टाला जा सकता है। किडनी रोगी डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही योग करें।.