Country Latest news

एक ऐसा गांव जहाँ हर घर ने पेश की जल संरक्षण की मिसाल

पांच नदियों का दोआब पंजाब, अब बे-आब नहीं होगा।पंजाब के मनसा जिले के कोठे अस्पाल गांव के लोगों ने हर घर के सामने सोख गड्ढे बना कर पानी को संरक्षित करने का बेहतरीन काम किया है । जिसकी विश्वभर में तारीफ हो रही है।
अगर फुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हजारों साल का अफसाना लिखता है, बशीर बद्र द्वारा लिखे इस शेर को मनसा जिले के लोगों ने अपने मेहनत से साकार कर दिखाया है।
अब वो पानी की हर एक बूंद को संरक्षित करते हैं। उन्होंने पानी को कैसे बचाया जाए इस पर एक बेहतरीन कर वहां के हर घर के सामने सोख गड्ढे का निर्माण कराया है। पंजाब के मानसा जिले के एक छोटे से गांव कोठे अस्पाल के लोगों ने पानी संरक्षण कर पानी संकट से जूझ रहे विश्व भर के देशों को एक उम्मीद दी है। मनसा जिला पंजाब के मालवा क्षेत्र के उस हिस्से में पड़ता है जहां भूजल पीने के लिए अयोग्य है। पीने के पानी को बचाने के प्रयोजनों के लिए नहर के पानी के साथ- साथ हर घर के सामने सोख गड्ढों का निर्माण करवाकर एक आदर्श कार्य किया गया है। उस पानी से वहां के लोग अपने घर के कार्यों में इस्तेमाल करते हैं जैसे बर्तन धोना, नहाना, पेड़ो में पानी डालना आदि। तीन वर्ष पहले स्कूलों के सामने जो हैंडपम्प लगे थे उनमें पानी सूख चुका था।लेकिन इस पहल के बाद वहां भी पानी आने लगा है।
गांव के कुछ जागरूक लोगों ने यह छोटी सी शुरुआत 2016 में कई थी। सोख गड्ढे, में पत्थरों की सहायता से वो पानी को साफ तो करते ही हैं बल्कि भूमिगत पानी के स्तर को भी ऊपर उठाने का काम कर रहे हैं।
कोठे अस्पाल गांव के इस प्रयास को राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जा रहा है। यहां तक की केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भी सोख गड्ढों के निर्माण और उनके सफल कार्य के लिए उन्हें सम्मानित किया है।इस परियोजना को देखते हुए मनसा जिले में 53 नये सोख गड्ढों का निर्माण किया जा रहा है।इस परियोजना की शुरुआत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत आवंटित धन से काम किया गया था पर अब भारत पेट्रोलियम कॉपोरेशन लिमिटेड ने भी सहयोग के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है।
हालांकि यह छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण कदम है। वो भी तब जब पंजाब की भू तालिका में कमी आयी है।
हालांकि पंजाब में आर्सेनिक के बाद एक बड़े इलाके के भूजल में यूरेनियम पाया गया है। दक्षिण पश्चिम पंजाब में स्तिथि तो इतनी खराब है कि वहां के बच्चों में सेरेब्रल प्लासी की शिकायत आम बात हो चुकी है। पंजाब में दूषित पानी के हालात पर जर्मनी की एक लैब भी लगातार काम कर रही है।हाल ही में जर्मनी की एक लैब ने फरीदाबाद के एक मंदबुद्धि संस्थान “बाबा फ़रीद केंद्र” के बच्चों के बालों पर शोध के बाद रिपोर्ट दी है।जिसमें लगभग 150 बच्चों के बालों में 82 से लेकर 87 प्रतिशत तक यूरेनियम पाया गया है।
डॉ अम्बेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जालंधर के फिजिक्स विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रोहित मेहरा ने 34 गांवों के विभिन्न हैंडपंपो के पानी का परीक्षण किया।उनके अनुसार पानी में यूरेनियम की उपलब्धता के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति मनसा जिले की है।
 इन सबके बीच कोठे अस्पाल गांव के पानी संरक्षण के इस पहल ने पंजाब में एक उम्मीद जरूर जगा दी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

MERA DDDD DDD DD