पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए एक ओर जहां सर्वदलीय प्रतिनिधिमंल दुनियाभर में दौरे पर है, वहीं दूसरी तरफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश के सियासी दलों में वोट बटोरने की मुहिम के आरोप- प्रत्यारोपों और पोस्टर वाॅर की जंग से आपसी एकता भी तार-तार हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राष्ट्रभक्ति को दिखाने नहीं, बल्कि साबित करने की होड़ लगी है। कोई यात्रा निकाल रहा है तो कोई प्रतीकों के माध्यम से हमलावर है। आलम यह है कि बीजेपी ने राहुल गांधी के फेस के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को लगाया तो इसके जवाब में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को लगा सियासत की हदें पार कर दी हैं
देश में इन दिनों एक ओर जहां दुनियाभर में पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी ऑल पार्टी डेलिगेशन टीम की घोषणा कर उन्हें दुनिया के अलग-अलग मुल्कों के लिए रवाना कर दिया है, वहीं देश में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सियासी जंग चरम पर है। इस जंग में खासकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राष्ट्रभक्ति को दिखाने नहीं, बल्कि साबित करने की होड़ लगी है। कोई यात्रा निकाल रहा है तो कोई प्रतीकों के माध्यम से हमलावर है। आलम यह है कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला कर उन पर देश के सैन्य अभियान को कमजोर करने का आरोप लगाया है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें राहुल गांधी के फेस के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को लगाया गया है जिसके बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। इसके जवाब में कांग्रेस ने भी बीजेपी को आड़े हाथ लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को लगा पाकिस्तान दौरे की याद दिलाई है।
कांग्रेस-भाजपा में पोस्टर वाॅर
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक विपक्ष पाकिस्तान को उसकी हरकत के लिए मुहंतोड़ जवाब देने के लिए केंद्र सरकार का साथ दे रहा था। लेकिन अब दोनों देशों के बीच सीजफायर हो चुका है तो देश के भीतर की राजनीति पुराने ढर्रे पर लौट चुकी है। ऑपरेशन सिंदूर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच पोस्टर वाॅर जारी है। इसकी शुरुआत भाजपा नेता अमित मालवीय ने की। उन्होंने दो पोस्टर जारी किए। एक में राहुल गांधी चेहरा पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ मिक्स किया। हालांकि पोस्ट में उन्होंने मुनीर के नाम का जिक्र नहीं किया। मालवीय ने दूसरा पोस्टर जारी करते हुए राहुल को आज के समय का मीर जाफर बताया।
भाजपा के राहुल गांधी को मीर जाफर बताने के जवाब में कांग्रेस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को जयचंद करार दिया है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को लगाया।
कांग्रेस : सिंदूर की सौदागर है भाजपा कहा
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में भाजपा को ‘सिंदूर का सौदागर’ कहा। उन्होंने कहा कि ट्रम्प दावा करते रहे कि उन्होंने युद्ध रुकवाया। भारत को व्यापार बंद करने की धमकी दी। यानी सिंदूर का सौदा होता रहा और पीएम चुप रहे।
कांग्रेस के आरोप
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह ‘आॅपरेशन सिंदूर’ से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि मोदी ने केवल एनडीए के मुख्यमंत्रियों से मिलने का कार्यक्रम तय किया है जो उनकी पार्टी के लिए एक सियासी कदम हो सकता है। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि पीएम मोदी ने संसद में ‘आॅपरेशन सिंदूर’ पर एक विशेष सत्र बुलाने की मांग को नजरअंदाज कर दिया है, जबकि पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को समझाने के लिए विभिन्न देशों में बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल भेजा गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों को सियासी फायदे के लिए ऐसी बयानबाजी करनी चाहिए?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह राजनीतिक लाभ लेने का समय नहीं है। प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को मौजूदा स्थिति में जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए फिर चाहे सत्तापक्ष हो या विपक्ष। राहुल गांधी बहुत महत्वपूर्ण पद पर हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनकी बातें बहुत से लोग सुनते हैं। ऐसे में जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियान के बीच इस तरह का बयान आता है तो यह सवालिया निशान खड़े करता है। इस तरह के बयान देना गैरजिम्मेदाराना है।
दूसरी बात यह कि जब इस तरह के बयान जाने-माने लोगों द्वारा दिए जाते हैं तो इससे निश्चित रूप से सशस्त्र बलों का मनोबल कम होता है। तीसरी बात इस समय हमें बहुत सावधान रहना होगा कि हम क्या बयान दे रहे हैं, ताकि सशस्त्र बलों का मनोबल न गिरे। अगर पूरे मामले को देखें तो जो भी बयान दिए गए हैं, वे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश से अधिक लगते हैं। ऐसे संवेदनशील समय में हमें एकजुट होना चाहिए। हमें सशस्त्र बलों पर भरोसा होना चाहिए। हमें नेतृत्व पर भरोसा होना चाहिए। हमें इस उद्देश्य से एकजुट होना चाहिए कि दुश्मनों की नापाक हरकतें सफल न होने पाएं।
जिम्मेदारी वाले पदों पर बैठे सभी लोगों को ऐसे बयान देने चाहिए जिससे सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़े। उनका बयान ऐसा होना चाहिए जिससे हमारी एकता प्रदर्शित हो। पाकिस्तान इस तरह के बयान का फायदा उठा सकता है और इसलिए इसे टाला जाना चाहिए।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उस समय सियासत ने तूल पकड़ा जब राहुल गांधी की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर सवाल उठाया गया। राहुल ने इसे न केवल एक चूक, बल्कि एक अपराध बताया। उन्होंने कहा, ‘विदेश मंत्री जयशंकर की चुप्पी न केवल बता रही है, बल्कि यह निंदनीय है। इसलिए मैं फिर से पूछूंगा, हमने कितने भारतीय विमान खो दिए क्योंकि पाकिस्तान को पता था? यह कोई चूक नहीं थी। यह एक अपराध था और देश को सच्चाई जानने का हक है।’ असल में एस जयशंकर ने बताया था कि उन्होंने पाकिस्तान पर हमले से पहले उसे चेतावनी दी थी कि वह उसके ऊपर हमला करने जा रहे हैं।
पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं राहुल गांधी
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, ‘यह आश्चर्य की बात नहीं है कि राहुल गांधी पाकिस्तान और उसके हितैषियों की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए बधाई नहीं दी। वह बार-बार पूछते हैं कि हमने कितने जेट खो दिए है। इस सवाल का जवाब पहले ही डीजीएमओ दे चुके हैं। उन्होंने एक बार भी यह नहीं पूछा कि युद्ध के दौरान कितने पाकिस्तानी जेट तबाह किए गए या कितनी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी एयरबेस पर बमबारी की? क्या राहुल गांधी के लिए अगला टारगेट निशान-ए-पाकिस्तान है?
निशान-ए-पाकिस्तान के हकदार हैं जयशंकर
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बीजेपी नेताओं के पाकिस्तान के साथ संबंधों के ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए अमित मालवीय पर हमला बोला। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निशान-ए-पाकिस्तान पुरस्कार और अन्य राजनयिक घटनाओं का उल्लेख किया है। खेड़ा ने कहा, ‘हम इस देश के राजनीतिक नेतृत्व से पूछना चाहते हैं कि आपने पाकिस्तान को पहले से सूचित किया था, क्या यही कारण है कि अजहर मसूद और हाफिज सईद बच निकले? जहां तक निशान-ए-पाकिस्तान का सवाल है, उनके नेता मोरारजी देसाई एकमात्र भारतीय राजनेता थे जिन्हें यह पुरस्कार दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘कुछ और लोग निशान-ए-पाकिस्तान के हकदार हैं, जैसे लाल कृष्ण आडवाणी और वह व्यक्ति जो बिना बुलाए नवाज शरीफ के साथ बिरयानी खाने गया था। हमें लगता है कि उन्हें निशान-ए-
पाकिस्तान मिलेगा। एक और व्यक्ति डाॅक्टर एस जयशंकर हैं जो निशान-ए -पाकिस्तान का हकदार है। उन्ही के शब्द हैं कि पाकिस्तान को सूचित किया कि हम केवल आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई कर रहे हैं। अमेरिका के साथ उनके बहुत करीबी सम्बंध हैं तो अब देखते हैं कि उन्हें किस देश से क्या पुरस्कार मिलता है।
‘तिरंगा यात्रा’ निकाल रही है भाजपा
बीजेपी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को जनता के बीच ले जाने के लिए पूरे देश भर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है। उसके नेता और कार्यकर्ता गांव, शहर, कस्बों में जाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का जश्न मना रहे हैं।
‘तिरंगा यात्रा का सियासी मकसद नहीं’
भाजपा की इस तिरंगा यात्रा पर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप विपक्ष लगा रहा है। हालांकि भाजपा ने विपक्ष के आरोप को खारिज किया है। भाजपा का कहना है कि इस यात्रा का मकसद सिर्फ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और देश की सुरक्षा-सम्प्रभुता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसके साथ तिरंगा यात्रा के जरिए बीजेपी समाज के विभिन्न समुदायों से जुड़ेगी। देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और तिरंगे के सम्मान के संदेश को उन तक पहुंचाएगी।
कांग्रेस निकाल रही ‘जय हिंद’ रैलियां
कांग्रेस भारतीय ‘सेना के शौर्य को सलाम’ की थीम पर जय हिंद रैलियों, नुक्कड़ सभाओं और प्रेस काॅन्फ्रेंसों का ऐलान पहले ही कर चुकी है। अब पार्टी की ओर से बीजेपी और केंद्र सरकार से बड़े सवालों की
फेहरिस्त भी तैयार की गई है जिसे जनता के बीच ले जाया जाएगा।
पार्टी ने अपने सभी दिग्गज नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसके लिए ताकीद भी की है कि सेना के शौर्य को सर्वोपरि रखते हुए सवालों के जरिए सरकार और बीजेपी को जनता के सामने घेरा जाए। अगर इसके इधर-उधर जाकर पार्टी लाइन से अलग जाने की कोशिश की गई तो अनुशासनहीनता माना जाएगा और इसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
विपक्ष : अधूरा है ‘ऑपरेशन सिंदूर’
सीजफायर के बाद कांग्रेस ने बीजेपी के इस कदम का विरोध प्रतीक के माध्यम से किया है। प्रतीक के रूप में झंडे के आधे भाग को दिखाते ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अधूरा बताने की कोशिश की है। इसके साथ ही पहलगाम हमले में शामिल चार आतंकियों की तस्वीर जारी करते ये लिखा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अधूरा है, जब तक पहलगाम के दरिंदे जिंदा हैं। कांग्रेस ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया लेकिन देश जानना चाहता है कि जो चार दरिंदे पहलगाम की घटना में शामिल थे उनका क्या हुआ? क्योंकि वो अभी जिंदा हैं।
सरकार से कांग्रेस के सवाल
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पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया विफलता गंभीर मामला है। इससे सवाल खड़े हो रहे हैं, जो परेशान करने वाले हैं। क्षेत्र में बढ़ते तनाव और खतरों के बावजूद आतंकी बड़े हमले को अंजाम देने में कामयाब रहे।
अभी तक कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है। हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों को गिरफ्तार किया जाए, उनके खिलाफ केस चलाया जाए। सरकार पहलगाम हमले में हुई चूक पर स्पष्टीकरण दे।
पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई का अचानक समाप्त होना (सीजफायर) भी बहुत हैरान करने वाला है। इससे भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान परेशान करने वाला है। केंद्र सरकार की ट्रम्प के बयान पर चुप्पी समझ से परे है। हमें ये स्वीकार्य नहीं है।
डीजीएमओ : ऑपरेशन के बाद दी पाकिस्तान को चेतावनी
डीजीएमओ राजीव घई ने कहा था कि ऑपरेशन शुरू होने के बाद हमने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि हम आतंक के अड्डों पर हमला करेंगे। पाकिस्तान ने बातचीत से इनकार कर दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी।