Sargosian / Chuckles

गांधी परिवार बिना संगठन या संगठन बिना कांग्रेस?

कांग्रेस की विडम्बना यह है कि वह गांधी परिवार के बिना चुनाव नहीं जीत पाती और गांधी परिवार के साथ संगठन नहीं चला पाती। यह असमंजस दशकों पुराना है। राजीव गांधी की हत्या के बाद जब सोनिया गांधी को आगे लाया गया था तो संगठन ने राहत की सांस ली थी। लेकिन अब जब राहुल गांधी बार-बार चुनावी असफलताओं के शिकार हो रहे हैं तो फिर से नेतृत्व को लेकर गुपचुप हलचलें शुरू हो गई हैं। प्रियंका गांधी को यूपी में लाॅन्च किया गया, लेकिन अपेक्षित करिश्मा नहीं दिखा। अब सवाल यह है कि क्या पार्टी वयोवृद्ध खड़गे के स्थान पर किसी गैर-गांधी को अध्यक्ष बनाने का काम करेगी या फिर पार्टी की कमान एक बार फिर से गांधी परिवार को सौंद दी जाएगी। वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा अब नेतृत्व को सामूहिक बनाने के पक्ष में है। कांग्रेस के लिए यह आत्मचिंतन का समय है – लेकिन वो कब तक सिर्फ ‘चिंतन शिविर’ करते रहेंगे? दिल्ली के सत्ता गलियारों में यह भी चर्चा गर्म है कि ताकतवर पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगेापाल की जगह प्रियंका गांधी को संगठन महासचिव बनाया जा सकता है ताकि पार्टी की कमान ‘परिवार’ के हाथों में ही रहे।

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