Uttarakhand

दिल से दिल की बात-77 : न्याय यात्रा-04

उत्तर प्रदेश के दिनों में भी अल्मोड़ा को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक व बौद्धिक राजधानी के रूप में माना जाता था। श्री वीर बहादुर सिंह जी ने इस नगर को मातखंडे संगीत महाविद्यालय दिया और यहां श्री उदय शंकर जी के नाम पर अकादमी बनी। स्व. श्री गोविंद बल्लभ पंत जी के नाम पर संग्रहालय व गैलरी भी बनाई गई। यह सब कांग्रेस सरकार के समय में स्थापित हुई। मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अल्मोड़ा में जेएनयू के तर्ज पर आवासीय विश्वविद्यालय स्वीकृत किया। जिसे एक वर्ष संचालन के बाद स्व. श्री सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालयी कैम्पस को विश्वविद्यालय का दर्जा देकर उसमें दफन कर दिया गया। शिव महायोगी हैं, जागेश्वर उनका धाम है। हमने जागेश्वर में दो लगातार वर्ष वैश्विक योग महोत्सव आयोजित किए। हमारी सरकार की विदाई के बाद यह आयोजन भी बंद कर दिए गए। कटारमल हो या गुणादित्य का सूर्य मंदिर नंदा देवी है या कसार देवी, गणनाथ हो या जागनाथ, चितई से लेकर स्याही देवी तक अल्मोड़ा व इसके इर्द-गिर्द इतने मंदिरों की श्ृंखला है, हम एक हफ्ते तक पर्यटकों को बहुत कुछ आॅफर कर सकते हैं। कोसी नदी में टम्टा जी के नाम पर बना हुआ जलाशय भी है। मेरी कल्पना थी कि कभी स्वाल नदी पर भी हम इसी तरीके का जलाशय बनाएंगे ताकि यात्री उधर पौधार व जलना, मोरनौला की तरफ भी जाकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकें। मोरनौला बेल्ट पर्यटकों को आकर्षित करने की पूरी शक्ति रखती है। मन में बहुत सारे भाव उमड़ घुमड़ कर आ रहे हैं, अल्मोड़ा की कई पहचानो को विस्मृत करने का प्रयास किया जा रहा है या सरकार द्वारा उनको संरक्षण नहीं दिए जाने या महत्व नहीं दिए जाने के कारण वह पृष्ठभूमि में जा रही है

 

  • हरीश रावत
    पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

शिखर होटल अल्मोड़ा की शान है। रिवर्स पलायन को उत्तराखण्ड की धरती पर उतार कर एक सफल व्यवसायी के रूप में अपने को स्थापित करने वाले स्वर्गीय श्री जगत सिंह बिष्ट का उपहार है ‘शिखर होटल’। शिखर होटल की बालकनी से मैं सुबह स्याली धार व कोसी की तरफ देखने का प्रयास कर रहा था। पहले कोहरा लगा हुआ था, फिर छटा तो स्याली धार, कोसी, कटारमल, खूंट का विहंगम दृश्य देख मन प्रफुल्लित हो गया। आज का स्याली धार वर्षों पहले के स्याली धार से पूर्णतः बदला हुआ है। कभी यहां दो राजाओं की सेना में भयंकर युद्ध हुआ था। कहावत थी कि यहां की धरती मनुष्य के खून से सन गई थी। यहां इतना खून बहा लोगों की धारणा बन गई कि यहां कोई चीज पनप नहीं सकती है। मेरे सांसद के कार्यकाल में पहले यहां एक-दो छोटी इंडस्ट्री खुली। फिर हम यहां सेंट्रल स्कूल भी लाये। विकास भवन भी वहां बना। इंदिरा जी की देन, जिसका शिलान्यास राजीव गांधी जी द्वारा किया गया, वह कटारमल का विश्व प्रसिद्ध हिमालयन इंस्टीट्यूट भी इसी क्षेत्र में स्थापित हुआ। मां नंदा की छत्रछाया में रहने वाले अल्मोड़ा के विकास भवन के साथ-साथ यहां मेडिकल काॅलेज भी स्थापित हुआ है। विज्ञान की एक छोटी सी संस्था भी यहां स्थापित हुई है। अल्मोड़ा के पास एक नहीं दो छोटे काउंटर मैग्नेटिक टाउन बनाने की आवश्यकता है, एक स्यालीधार, कोसी और खूंट के नीचे के हिस्से को लेकर, दूसरा गरुड़ाबाज। हमने गरूड़ाबाज में प्रयास भी किया था, ताकि अल्मोड़ा का बोझ थोड़ा कम हो सके। अल्मोड़ा का विस्तार बिना इस भू-भाग की धारण क्षमता का आकलन क्यों हो रहा है, खत्याड़ी का कुछ भू-भाग पहले ही धंस चुका है। मन में बहुत संतोष का भाव आता है, जब आप इधर की तरफ बेस हाॅस्पिटल, सामने मेडिकल काॅलेज, कटारमल का संस्थान और दूसरे विकास के कार्यों को स्यालीधार के आस- पास देखते हैं। इस विकास की यात्रा के साथ मेरा भी जुड़ाव रहा है। अल्मोड़ा में सैलानियों को आकृष्ट करने के लिए कई चीजे हैं। अल्मोड़ा बहुत कुछ वर्ष भर पर्यटकों को लुभाने के लिए प्रस्तुत कर सकता है। हमारी सरकार ने विवेकानंद जी के अल्मोड़ा आगमन की याद को ताजा करने के लिए काकड़ी घाट से अल्मोड़ा होकर लोहाघाट के मायावती आश्रम तक एक पूरे सर्किट को जीवंत करने का निर्णय लिया और काकड़ी घाट में स्वामी विवेकानंद जी की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई तथा एक गेस्ट हाउस भी बनाया गया। कुमाऊं मंडल विकास निगम का यह गेस्ट हाउस आज बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकृष्ट कर रहा है। हमने काकड़ी घाट में एक विवेकानंद जी के नाम पर जलाशय बनाने का भी निर्णय लिया। इस मुहिम को मेरी सरकार की विदाई के बाद स्थगित कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश के दिनों में भी अल्मोड़ा को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक व बौद्धिक राजधानी के रूप में माना जाता था। श्री वीर बहादुर सिंह जी ने इस नगर को मातखंडे संगीत महाविद्यालय दिया और यहां श्री उदय शंकर जी के नाम पर अकादमी बनी। स्व. श्री गोविंद बल्लभ पंत जी के नाम पर संग्रहालय व गैलरी भी बनाई गई। यह सब कांग्रेस सरकार के समय में स्थापित हुई। मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अल्मोड़ा में जेएनयू के तर्ज पर आवासीय विश्वविद्यालय स्वीकृत किया। जिसे एक वर्ष संचालन के बाद स्व. श्री सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालयी कैम्पस को विश्वविद्यालय का दर्जा देकर उसमें दफन कर दिया गया। शिव महायोगी हैं, जागेश्वर उनका धाम है। हमने जागेश्वर में दो लगातार वर्ष वैश्विक योग महोत्सव आयोजित किए। हमारी सरकार की विदाई के बाद यह आयोजन भी बंद कर दिए गए। कटारमल हो या गुणादित्य का सूर्य मंदिर नंदा देवी है या कसार देवी, गणनाथ हो या जागनाथ, चितई से लेकर स्याही देवी तक अल्मोड़ा व इसके इर्द-गिर्द इतने मंदिरों की श्ृंखला है, हम एक हफ्ते तक पर्यटकों को बहुत कुछ आॅफर कर सकते हैं। कोसी नदी में टम्टा जी के नाम पर बना हुआ जलाशय भी है। मेरी कल्पना थी कि कभी स्वाल नदी पर भी हम इसी तरीके का जलाशय बनाएंगे ताकि यात्री उधर पौधार व जलना, मोरनौला की तरफ भी जाकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकें। मोरनौला बेल्ट पर्यटकों को आकर्षित करने की पूरी शक्ति रखती है। मन में बहुत सारे भाव उमड़ घुमड़ कर आ रहे हैं, अल्मोड़ा की कई पहचानों को विस्मृत करने का प्रयास किया जा रहा है या सरकार द्वारा उनको संरक्षण नहीं दिए जाने या महत्व नहीं दिए जाने के कारण वह पृष्ठभूमि में जा रही है। अल्मोड़ा में बहुत सारे संस्कृति प्रेमी और संस्कृति कर्मी हैं जिनकी प्रतिभा और क्षमता लोगों की एकजुटता के साथ अल्मोड़ा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है, नंदा देवी महोत्सव, दशहरे का प्रसिद्ध पुतला प्रदर्शन इसकी एक वानगी है। शिखर होटल की बालकनी से अल्मोड़ा का भव्य विहंगम दृश्य देखते हुए मन में इतिहास के कई पन्ने खुल रहे हैं। मैंने मन के भावों को झटका। मुझे आज फिर आगे न्याय यात्रा पर जाना है। अल्मोड़ा में पार्टी के नेतागणों से बातचीत के बाद हम स्थानीय विधायक श्री मनोज तिवारी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री जमन सिंह बिष्ट जी एवं प्रदीप टम्टा जी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में साथियों के साथ कटारमल की ओर चल पड़े।

कटारमल का सूर्य मंदिर, जिस गांव की सीमा में स्थित है, उस गांव का नाम ही कटारमल है। वहां के प्रवेश द्वार पर स्थानीय लोगों ने बहुत उत्साह पूर्वक हमारा स्वागत किया। मंदिर गांव के ऊपर शीर्ष में स्थापित है। साथियों के बड़े समूह के साथ हम सूर्य मंदिर की ओर चल पड़े। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना का प्रयास कत्यूरी राजाओं ने किया था। कालांतर में कत्यूरी राजवंश लगभग समाप्त हो गया तो उनका स्थान चंद्र राजवंशी राजाओं ने लिया। चंद्रवंशी राजाओं ने कटारमल के सूर्य मंदिर को एक भव्य आकार दिया। यह मंदिर कत्यूरी शैली में ही बना है। कत्यूरी स्थापत्य शैली अद्भुत है। पत्थरों से बने इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसके सामने एक छोटा-सा झरोखा बना है, उस झरोखे से वर्ष में 2 दिन सूर्य की पहली किरण मंदिर में स्थापित सूर्य देव की प्रतिमा के मस्तक पर पड़ती है। कहा यह जाता है कि किन्हीं कारणों वश जिस समय इस मंदिर का शीर्ष बनाया जा रहा था, उस समय स्थानीय प्रमुख कारीगर कुछ क्षुब्ध हो गया, कुछ ऐसा छेद छोड़ दिया, जहां से अब बराबर पानी रिसता रहता है। जिसे ढूंढना व भरना सम्भव नहीं हो पा रहा है। स्थानीय लोगों ने मुझसे मांग की कि इसके ऊपर एक बड़ी कैनोपी बना दी जाए, मगर उस मंदिर का आकार इतना बड़ा है कि उसके ऊपर कैनोपी किस तरीके बनवाई जाए जिससे मंदिर के सौंदर्य पर भी दुष्प्रभाव न पड़े, यह सब देखना पड़ेगा। मैंने उनसे कहा कि मैं आपके सुझाव को आगे बढ़ाऊंगा। कटारमल का सूर्य मंदिर हमारी स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। हमारी सरकार के वक्त हमने यहां मार्ग बनाने, सड़क के सुधारीकरण आदि के लिए पैसा दिया था और यहां पर कुमाऊं मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस भी बनाया गया। हमने मंदिर की सीढ़ियों में सूर्य देव से न्याय याचना की और कहा कि आप प्रखर प्रतापी हैं। राज्य में जो झूठ का कुहासा है वह हटना चाहिए। झूठ, लूट और फूट पर आधारित वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करने के लिए हमको शक्ति दीजिए और आभा दीजिए।

हमारे एक कार्यकर्ता साथी हैं श्री महेश चंद्र, अधिवक्ता हैं। इस क्षेत्र से जेष्ठ ब्लाॅक प्रमुख भी रहे हैं। एक अच्छी सोच और समझ रखने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने एक बड़ा अच्छा होटल कम रिजाॅर्ट बनाया है। मुझे खुशी हुई कि एक स्थानीय गांव के व्यक्ति ने अपने गांव की भूमि में अच्छा प्रयास किया है। मेरा मन व सोच यही चाहती है। उत्तराखण्डी व्यंजनों का हमारे साथियों ने जमकर के लुफ्त उठाया और उसके बाद हम ऐतिहासिक गांव खूंट की तरफ बढ़े। यह खूंट वही गांव है जहां गोविंद बल्लभ पंत जी का बचपन में पालन पोषण हुआ था। खूंट श्री पंत के नैनिहाल का गांव है और हमारी सरकार ने ही खूंट में श्री गोविंद बल्लभ पंत जी का जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया था। अब उनका जन्मदिन भी बहुत नजदीक आ रहा है। मैं पिछले एकाध साल को छोड़कर लगातार यहां आता रहा हूं। धामस उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा गांव है। धामस गांव के साथ मेरी बहुत सारी स्मृतियां हैं। जब मैं पहला चुनाव लड़ा था तो उस समय यह गांव जन संघ का गढ़ था। इस अंचल में जनसंघ के संस्थापक श्री शोबन सिंह जीना के साथ इस क्षेत्र व गांव का गहरा जुड़ाव था। धीरे-धीरे प्रयास कर मैंने गांव के अंदर पहचान बनाई। स्व. थोकदार साहब बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे उनका आशीर्वाद पाने में मैं सफल हुआ। अब तो धामस से लेकर शीतलाखेत तक हमने बहुत सारे काम करवाए हैं, जिनमें डिग्री काॅलेज भी सम्मिलित है। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में डिग्री काॅलेज खोलने से बालिका उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय मानकों में राज्य का स्तर बढ़ा है व ग्रामीण, गरीब घर की लड़कियां भी उच्च शिक्षित हुई हैं। धामस के लोगों में प्यार
निरंतर हमारे साथ बढ़ता गया है। बहुत उत्साह पूर्वक उन्होंने हमारा स्वागत किया। खूंट के लोग भी यहां आ गए। विकास पर चर्चा हुई, फिर धामस के कुछ कार्यकर्ताओं को साथ लेकर हम शीतलाखेत की तरफ बढ़ गए। कुछ ही देर में हम शीतलाखेत पहुंच गए। पहुंचते ही वर्षा भी स्वागतार्थ आ गई। हमारे कार्यकर्ता साथी मुख्य बाजार से बहुत आगे नीचे की चढ़ाई तक हमारे स्वागतार्थ आ गए थे। थोड़ा मिलते-मिलते लोगों को नमस्कार करते हम कुमाऊं मंडल विकास निगम के खुले हाल की ओर चले। हाल में बड़ी संख्या में बहनें व बुजुर्ग हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। न्याय यात्रा के सोमेश्वर सोपान के दौरान मुझे श्री मोहन पाठक मिले थे। शीतलाखेत क्षेत्र में श्री भोला दत्त पाठक जी हमारी पार्टी के नेता थे। श्री मोहन उनके पौत्र हैं। उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं मां स्याही देवी के प्रांगण शीतलाखेत अवश्य आऊं। श्री मोहन व श्री घनानंद पाठक जी, गणेश पाठक जी के साथ सारे आयोजन का संचालन कर रहे थे। आयोजन बड़े उत्साह पूर्ण वातावरण में संचालित हुआ। एक बड़ी सी माला के साथ हमारे न्याय यात्रियों का सम्मान किया गया। इस औपचारिकता के बाद लगभग दो दर्जन गौरवशाली पूर्व सैनिकों व चार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों के सम्मान के साथ हमने कृषि क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे श्री जी.डी. जोशी का भी सम्मान किया। संचालक गणेश जी वर्तमान सरकार से बहुत नाराज लग रहे थे। उन्होंने सरकार पर ढेरों आरोप लगाए। उनके प्रत्येक कटाक्ष का बड़ी संख्या में वहां उपस्थित स्थानीय लोगों ने ताली बजाकर स्वागत किया। झूठ-लूट-फूट की भाजपा सरकार पर स्थानीय कार्यकर्ता जिनमें हमारी दो बहनें भी सम्मिलित हैं, बहुत बरसी। क्षेत्र के विकास की अवहेलना के साथ सरकारी मशीनरी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर ढेरों बातें हुई। श्री जमन सिंह बिष्ट एडवोकेट इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। उन्होंने शीतलाखेत व कांडरखुआ क्षेत्र में मेरे द्वारा करवाए गए विकास कार्यों का जिक्र किया। जिला अध्यक्ष श्री गुड्डू भोज व विधायक श्री मनोज तिवारी ने लोगों से पंचायत के चुनाव में कांग्रेस जनों व पार्टी समर्पित उम्मीदवारों को विजयी बनाने की अपील की। पूर्व सांसद श्री प्रदीप टम्टा ने देश व प्रदेश की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश की सत्ता में संविधान विरोधी लोगों का कब्जा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह शक्तियां गरीब व गांव, दोनों की विरोधी हैं। सभा में उपस्थित लोगों के उत्साह देखते हुए हमने श्री महेश चंद्र एडवोकेट, श्री बलबीर सिंह बिष्ट, श्री गोपाल सिंह कनवाल आदि के भी भाषण सुने, सबके मन में गुस्सा था।

क्रमशः
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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