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‘पीरियड लीव’ पर स्वास्थ्य मंत्रालय कर सकता है विचार : कार्मिक मंत्रालय

महिलाओं को मासिक धर्म दौरान सरकारी संस्थानों में अवकाश मिलना चाहिए या नहीं इसे लेकर कई बार सवाल उठाये जा चुके हैं। पिछले दिनों भी यह मुद्दा उठा था जिसपर अब सोमवार यानि 3 दिसंबर को कार्मिक मंत्रालय ने संसद में एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि, महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष ‘पीरियड लीव’ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है।

 

स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर सबसे अच्छी तरह विचार कर सकता है।संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी पिछली रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि कार्मिक मंत्रालय को हितधारकों से बात करके एक ‘पीरियड लीव’ नीति बनानी चाहिए, जिसमें माहवारी के समय परेशानियों का सामना करने वाली महिलाओं को छुट्टी की अनुमति हो। लेकिन अब कार्मिक मंत्रालय द्वारा यह मुद्दा स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया गया है। जिसके कारण एक बार फिर पीरियड लीव का ये मुद्दा बीच में ही अटक गया है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि केंद्रीय सिविल सेवा नियम, 1972 के तहत केंद्र सरकार की महिला कर्मियों के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार के सवैतनिक अवकाश के रूप में विविध प्रोत्साहन का प्रावधान है। इनमें मातृत्व अवकाश और बाल देखभाल अवकाश भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को अपनी व्यक्तिगत आवश्यताओं को पूरा करने के लिए साल में 30 दिन का अर्जित अवकाश और आठ दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है।

 

सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है फैसला

 

देश के उच्चतम न्यायालय में पीरियड्स लीव को लेकर एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी । इसमें मांग की गई थी कि फीमेल स्टूडेंट्स और कामकाजी महिलाओं को पीरियड के समय छुट्टी दी जाए। लेकिन इस पर 24 फरवरी को याचिका ख़ारिज कर कहा गया कि यह मुद्दा सरकार की नीति के तहत आता है, इसलिए इस पर यहां चर्चा नहीं की जा सकती। मासिक धर्म अवकाश प्रदान करने का मुद्दा केंद्र और राज्य सरकारों के नीतिगत निर्णय का हिस्सा है। हम इसके लिए निर्देश नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि याचिकाकर्ता इस बयान को महिला एवं बाल कल्याण विभाग को सौंप दें।

यह जनहित याचिका दिल्ली के वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने अभिज्ञा कुशवाहा के माध्यम से दायर की थी। मासिक धर्म के दौरान लड़कियों और महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान काफी दर्द सहना पड़ता है। इसलिए याचिका के जरिए मांग की गई थी कि राज्य सरकारों को मासिक धर्म के लिए छुट्टी देने का निर्देश दिया जाए। याचिका में यह भी मांग की गई कि बिहार राज्य में मासिक धर्म के लिए विशेष अवकाश दिया जाता है, बिहार की तरह अन्य राज्यों को भी ऐसा निर्णय लेना चाहिए।

 

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