दिल्ली के तुगलकाबाद में तोड़े गए भगवान संत रविदास मंदिर का फिर से निर्माण किया जाएगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार 400 गज जमीन देगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पहले के मुकाबले दोगुना जमीन आवंटित करने की बात भी कही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि इसके लिए 400 वर्गमीटर जमीन दी जा सकती है। संत रविदास के भक्तों के लिए सबसे अच्छी बात यह होगी कि मंदिर का पुनर्निर्माण उसी जगह पर किया जाएगा, जहां पर पहले मंदिर स्थित था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मंदिर की आड़ में लोगों ने जंगल क्षेत्र में बड़ी जगह घेर रखी थी, जो लगभग 2000 वर्ग मीटर थी और वे लोग ट्रक पार्क करते थे। लेकिन सरकार उन्हें 400 वर्गमीटर ही मंदिर के लिए दे सकती है। पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने मात्र 200 वर्ग मीटर जमीन देने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने ही 5 अक्टूबर को मंदिर का समाधान निकालने के लिए केंद्र से कहा था। आज उसी की अगली तारीख थी, जिसपर केंद्र सरकार ने जमीन देने की बात कही। तब कोर्ट दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह याचिका डीडीए के खिलाफ थी।
यह भी पढ़े : अब दलित मंदिर के नाम पर राजनीति शुरू
गत शुक्रवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और एस रविंद्र भट की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल के.के वेणुगोपाल के प्रस्ताव को दर्ज किया और मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे पक्षकारों से कहा कि यदि उन्हें कोई आपत्ति है तो वे सोमवार तक इसे दर्ज कराएं।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मामले की संवेदनशीलता और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए सरकार उसी जगह पर 200 वर्ग मीटर की जमीन मंदिर निर्माण के लिए देगी। मंदिर के लिए तब रामलीला मैदान में देश के विभिन्न हिस्सों से आए दलितों ने एक विशाल प्रदर्शन किया था।
यह मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हटाया गया था। 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद जंगली इलाके को खाली नहीं करके गंभीर उल्लंघन किया है। गुरु रविदास जयंती समारोह समिति बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस में सर्वोच्च अदालत ने डीडीए से 10 अगस्त तक वहां से निर्माण को हटाने का आदेश दिया था।