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कम्युनिस्ट शासन की 70वीं सालगिरह

1 अक्तूबर 1949 के दिन माओत्से तुंग ने चीन के गणराज्य बनने की घोषणा की थी ।  चीन ने 1 अक्टूबर को साम्यवादी शासन की 70वीं वर्षगांठ मनाई ।   इस मौके पर बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के बीच भव्य परेड निकाली गई जिसमें उसने परमाणु और हाइपरसोनिक मिसाइलों समेत अपने सबसे आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया. इसमें DF-41 भी शामिल थी, यह दुनिया की उन मिसाइलों में शामिल है जो सबसे अधिक मारक क्षमता रखती हैं।
यह मिसाइल कुछ ही मिनटों में चीन से यूएस पहुंच सकती है.  वर्षगांठ के आधिकारिक समारोह की शुरुआत 30 सितंबर को हो गई थी जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के संस्थापक माओ जेडोंग की संरक्षित रखी गई पार्थिव देह को श्रद्धांजलि दी।

चीन में कम्युनिस्ट शासन के 70 साल की याद में शानदार जलसा किया |  बीजिंग के तिएनेन्मन स्क्वायर पर टैंकों, मिसाइल लॉन्चरों और 15,000 सैनिकों के मार्च से ज़मीन थर्राएगी और इसकी कंपन लोग महसूस करेंगे और कम्युनिस्ट पार्टी के वर्तमान नेता शी जिनपिंग देश की ताकत, समृद्धि और वैभव के प्रदर्शन का मुआयना करेंगे|

चीन में भी कोई इसे देखने से अछूता न रह जाए इसके लिए सरकार ने 32 इंच के 6 लाख 20 हजार टीवी सेट मुफ्त बांटे। ये सेट गरीब तबके के लोगों को दिए गए। इसका जिम्मा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के प्रचार विभाग ने संभाला है। इसके अलावा केंद्रीय आयोग, राष्ट्रीय रेडियो व टेलीविजन प्रशासन और चीन मीडिया ने भी सहयोग किया।

इस परेड में वही शामिल हो सकता है जिसे न्योता मिला हो. यह बात मानो साबित कर रही हो कि इस अधिकारवादी देश का अंकुशों भरा इतिहास अब भी वर्तमान को प्रभावित कर रहा है.

तिएनेन्मन स्क्वायर एक और बड़ी घटना की सालगिरह का गवाह है । कम्युनिस्ट पार्टी की नींव हिला देने वाले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को बेरहमी से कुचले जाने के भी 30 साल हो गए हैं ।

परेड के दौरान सैनिक उसी जगह पर कदमताल कर रहे होंगे जहां पर कभी टैंकों के सामने छात्रों ने प्रदर्शन किया था और छात्रों पर गोलियां चलाई गई थीं ।

1949 से सत्ता में कम्युनिस्ट पार्टी

चीन में 1921 में कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ था। 1949 में सत्ता हासिल की। चीन में 1946 से 1949 तक गृहयुद्ध हुआ। इसी दिन चीनी सरकार आजादी भी मनाती है।

 

सरसरी निगाह से देखें तो चीन में आया बदलाव असाधारण नज़र आता है ।

1 अक्तूबर, 1949 के दिन चेयरमैन माओ तियानेन्मन चौक पर खड़े थे और अपने भाषण से युद्ध से तहस-नहस, अर्ध-सामंती देश से नए दौर में प्रवेश करने की अपील कर रहे थे । उस समय हुई परेड ख़ास नहीं थी ।

मगर बताया जा रहा है कि इस सप्ताह होने वाली परेड में दुनिया की सबसे अधिक रेंज वाली इंटर-कॉन्टिनेंटल परमाणु मिसाइल और सुपरसोनिक जासूसी ड्रोन को उस समृद्ध और उभरती दबंग सुपरपावर के प्रतीक के तौर पर दर्शाया जाएगा जिसके पास मध्यमवर्ग की 40 करोड़ आबादी की ताक़त है ।

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