संसद में हुई सुरक्षा की चूक को लेकर पिछले कुछ दिनों से सरकार के पक्ष और विपक्ष में विवाद जारी था। जिसके कारण शीतकालीन सत्र रुकावट की बात कहते हुए सोमवार यानि 18 दिसंबर को लोकसभा और राजयसभा के कुल 78 सांसदों को सदन से पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। जिसमें राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 सांसद शामिल हैं।
इस फैसले के आधार पर देखा जाये तो अब तक वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र से पुरे 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। क्योंकि 14 दिसंबर को भी संसद की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हुए हंगामे की वजह से लोकसभा के 13 और राज्यसभा के एक सांसद को निलंबित किया गया था। जिसके बाद से निलंबित किये गए विपक्षियों का गुस्सा चरम पर है और वे सरकार के विरोध में नजर आ रहे हैं उनका कहना है की ये लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष का कहना है की उनके द्वारा में केवल यह मांग की जा रही थी की गृहमंत्री अमित शाह संसद की सुरक्षा में होने वाली चूक पर बयान दें या बात करें। देखा जा रहा है कि इस निलंबन के कारण एक नया विवाद जन्म ले रहा है। इस आदेश का विरोध करते हुए निलंबित सांसदों नें आज (19 दिसंबर ) संसद परिसर में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने संसद के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया। जिसमें कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार सहित कई सांसद शामिल हुए। जिसके बाद हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
क्या कह रहा विपक्ष व निलंबित सांसद
सत्र से निलंबित किए जाने वाले सांसदों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हैं जिनका कहना है कि, ‘‘हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सुरक्षा चूक के विषय पर गृह मंत्री सदन में आकर बयान दें। वह क्यों भाग रहे हैं, मुझे मालूम नहीं है। संसद का सत्र जारी है, लेकिन वह सदन के बाहर बयान दे रहे हैं। ऐसा कभी नहीं होता है। जो बातें सदन में बोलनी हैं, वह बाहर बोली जाती हैं तो इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचती हैं।” इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि भाजपा के पास सदन चलाने का नैतिक अधिकार नहीं है। तो अगर वे सभी सांसदों को निलंबित कर देंगे तो सांसद अपनी आवाज़ कैसे उठाएंगे? वो तीन महत्वपूर्ण विधेयक पास कर रहे हैं। लोकतंत्र में एक व्यवस्था होती है। लोगों की आवाज़ को दबा दिया गया है। विपक्ष को पूरी तरह निलंबित करने के बाद उन्हें सदन चलाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भाजपा पर आरोप लगते हुए कह रहे हैं कि सांसदों का निलंबन लोकतांत्रिक प्रणाली को खत्म करने का षड्यंत्र है और पहले गुजरात में भी इसी तरह से विधानसभा चलाई जाती थी।
निलंबित हुए सांसद
लोकसभा : लोकसभा में होने वाले हंगामें को देखते हुए लोकसभा के कई सांसदों को सत्र से निलंबित किया गया है जिसमे अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, सौगत रॉय, प्रतिमा मंडल, मोहम्मद वसीर, जी सेलवम, सीएन अन्नादुरैय, डॉ टी सुमती, के नवासकानी, के वीरस्वामी, शताब्दी रॉय, असिथ कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, एनटो एंटनी, एस एस पलनामनिक्कम, तिरुवरुस्कर, काकोली घोष, के मुरलीधरन, प्रतिमा मंडल, ए. राजा, एनके प्रेमचंद्रन, दयानिधि मारन, अपूर्वा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, सुनील कुमार मंडल, एस राम लिंगम, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई और टीआर बालू शामिल हैं।
राजयसभा : राज्यसभा से निलंबित होने वाले सांसदों में प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याज्ञिक, नारणभाई जे राठवा, सैयद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्तिसिंह गोहिल, केसी वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी और रणदीप सिंह सुरजेवाला , सुखेन्दु शेखर रे, मोहम्मद नदीमुल हक, वंदना चव्हाण, रामगोपाल यादव, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाइक, , रामनाथ ठाकुर, अनिल प्रसाद हेगड़े, कनिमोझी एनवीएन सोमू और आर गिरिराजन को भी निलंबित किए गया है. इसके अलावा निलंबित किए गए सदस्यों में मनोज कुमार झा, फैयाज अहमद,समीरुल इस्लाम, एम. शनमुगम, एन.आर. एलानगो, वी. शिवदासनजावेद अली खान, महुआ माजी, जोस के. मणि और अजीत कुमार भुइयां शामिल हैं। वहीं 11 सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है जिसमें जेबी माथेर हिशाम, एल. हनुमंथैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी.सी. चन्द्रशेखर, बिनय विश्वम, संतोष कुमार पी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए.ए. रहीम शामिल हैं।
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