जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है।14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ हमला खुफिया एजेंसी की विफलता थी।ये बात सीआरपीएफ के आंतरिक रिपोर्ट में कही गई है।इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय के बयान के विपरीत है।गृह मंत्रालय के मुताबिक पुलवामा आतंकी हमला एक खुफिया विफलता नहीं थी।जांच रिपोर्ट बताती है कि आईईडी खतरे के संबंध में एक सामान्य चेतावनी थी, लेकिन कार से आत्मघाती हमले को लेकर कोई विशेष खतरा नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटी में किसी भी खुफिया एजेंसी द्वारा इस तरह के इनपुट को साझा नहीं किया गया था। गृह मंत्रालय ने यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि हमला खुफिया एजेंसी की विफलता थी।
गृह मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर पिछले तीन दशकों से सीमापार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवाद से प्रभावित है।गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने जून महीने में अपने बयान में कहा कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति और सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में आतंकवादियों को निष्प्रभावी कर दिया।उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियां समन्वित तरीके से काम कर रही हैं और खुफिया जानकारी विभिन्न एजेंसियों के बीच साझा की जाती हैं।पुलवामा आतंकी हमले में एनआईए द्वारा की गई अब तक की जांच में आरोपियों की पहचान हुई है।
सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट काफिले की असामान्य लंबाई सहित कई खामियां बताई गई हैं।14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले में 78 वाहन शामिल थे और 2547 यात्रियों के साथ जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे।काफिले के दूर से ही पहचानना आसान था और सूचना भी आसानी से लीक हो गई।आंतरिक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि काफिले की आवाजाही के दौरान नागरिक वाहन को जाने की इजाजत देना सीआरपीएफ के लिए महंगी साबित हुई।
जांच में पता चला कि असामान्य रूप से लंबा काफिला भी कारण था।शाम 3.30 बजे के करीब सीआरपीएफ की बस HR 49F 0637 of 76 पर आत्मघाती हमला हुआ। ये बस काफिले में 5 नंबर पर थी। नियम के मुताबिक हर 4 गाड़ियों के बीच में लंबी दूरी होनी चाहिए।इसका पालन किया गया था और इसी वजह से इसका असर सिर्फ एक गाड़ी पर हुआ।