हाल ही में सऊदी अरब में तेल संयंत्र में हुए हमले के कारण पूरी दुनिया पर असर पड़ा है। इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि सऊदी अरब में तेल संयंत्रों पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया देने के लिए उनका देश तैयार है। यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति ने एक संभावित अमेरिकी सैन्य प्रतिक्रिया का संकेत दिया है। ट्रंप ने ट्वीट किया, “सऊदी अरब मे तेल संयंत्र पर हमला हुआ। हमारे पास यह मानने का वाजिब कारण है कि हम अपराधी को जानते हैं। यदि इसकी पुष्टि हो जाती है तो हम तैयार हैं लेकिन हम इसके बारे में सऊदी अरब से जानना चाहते हैं कि इस हमले का क्या कारण है।“
हालांकि, अमेरिका के विदेशी मंत्री माइक पोम्पियो ने हमलों के लिए सीधे तौर पर ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि हमला यमन द्वारा किया गया है। पोम्पियो के आरोपों को निराधार बताते हुए ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिका इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ कार्रवाई के लिए बहाना ढूंढ रहा है। एक शीर्ष ईरानी कमांडर ने तो यहां तक कह दिया कि हम अमेरिका से पूर्ण युद्ध के लिए तैयार हैं और हमारी मिसाइलों के निशाने में वाशिंगटन के सैन्य अड्डे और युद्ध पोत हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने तेल प्लांटों पर हुए हमले की निंदा की है। साथ ही उन्होंने सभी पक्षों से तनाव बढ़ने से रोकने की अपील भी की है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑन ग्लोबल एनर्जी पॉलिसी के प्रोगाम डायरेक्टर रिचर्ड ने कहा कि अगर तेल प्लाटों पर हमले के पीछे ईरान का हाथ है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर ट्रंप से ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के मिलने की योजना नहीं है। यूएन महासभा की आगामी बैठक से पहले ईरान ने 16 सितम्बर को इसकी जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी ने कहा, ‘हमने इस बैठक के लिए न तो योजना बनाई है और न तो मुझे लगता है कि न्यूयॉर्क में ऐसा कुछ होने जा रहा है।’ ईरान ने कहा कि जब तक अमेरिका उसके ऊपर लगाए आर्थिक प्रतिबंधों को हटाता नहीं है, तब तक वाशिंगटन के साथ कोई वार्ता नहीं हो सकती है।