किसानों के मुद्दें पर केंद्र सरकार पूरी तरह घिरी हुई है। 26 जनवरी की घटना के बाद आंदोलन बिखर गया था, लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने दोबारा आंदोलन को संजीवनी देने का काम किया। तीनों कृषि कानूनों पर विपक्ष भी हर दिन सत्ताधारी सरकार पर सवालों से प्रहार कर रहा है। आज 3 फरवरी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दें को लेकर प्रेस कान्फ्रेंस की। उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि सरकार को इस तरह किलेबंदी नहीं करनी चाहिेए।
वायनाड सांसद ने आगे कहा कि दिल्ली किसानों से घिरी हुई है। ये वे लोग हैं, जो हमें जीविका दे रहे हैं । दिल्ली को दुर्ग में क्यों बदला जा रहा है? हम उन्हें धमकी, पिटाई और हत्या क्यों कर रहे हैं? सरकार उनसे बात क्यों नहीं कर रही है और इस समस्या का समाधान क्यों नहीं कर रही है? यह समस्या देश के लिए अच्छी नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 साल के लिए कानूनों को स्थगित करने की पेशकश अभी भी मेज पर है। इसका क्या मतलब है? या तो आप मानते हैं कि आपको कानूनों से छुटकारा पाने की जरूरत है या आप नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को जितनी जल्दी हो सके हल करने की जरूरत है और सरकार को सुनने की जरूरत है क्योंकि किसान दूर नहीं जा रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने बजट को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने बजट से उम्मीद की थी कि सरकार भारत की 99% आबादी को सहायता प्रदान करेगी। लेकिन यह बजट 1% जनसंख्या का है। आपने लघु और मध्यम उद्योग, कामगारों, किसानों, बलों के लोगों से धन छीन लिया और इसे 5-10 लोगों की जेब में डाल दिया। आप निजीकरण की बात करें जिससे उन्हें लाभ होगा। भारत को अपने लोगों के हाथ में पैसा लगाने की जरूरत है। क्योंकि अगर हम अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करना चाहते हैं, तो यह केवल खपत के माध्यम से होगा । यह आपूर्ति की ओर से संभव नहीं है।

