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अंडरवर्ल्ड में नए दाऊद की दस्तक

 

वर्ष 1960 से 1990 तक के दशक में देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में दाऊद इब्राहिम, हाजी मस्तान, करीमलाला, वरदराजन मुदालियर सरीखे अंडरवर्ल्ड सरगनाओं का वर्चस्व हुआ करता था। 90 के दशक में इस अंडरवर्ल्ड का सफाया अभियान चला और मुम्बई को इनकी खूनी पकड़ से मुक्ति मिली। दाऊद इब्राहिम तो मुम्बई बम धमाकों के बाद देश छोड़ फरार हो गया और उसे 2003 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी भी घोषित कर दिया। पंजाब के एक गैंगस्टर ने लेकिन अब मुम्बई के अपराध जगत में जान फूंक दी है। लॉरेंस बिश्नोई नाम के इस कुख्यात अपराधी ने सिनेस्टार सलमान खान की हत्या का बीड़ा उठाया है। महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा चेहरा रहे पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की दिन-दहाड़े हत्या करवा जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई ने अंडरवर्ल्ड के नए सरगना बतौर अपनी दस्तक दे डाली है

अंडरवर्ल्ड के चंगुल से आजाद होने के बाद पिछले करीब तीन दशकों से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शांति थी। राजनीतिक इच्छाशक्ति और पुलिस की सक्रियता की वजह से यहां मौजूद तमाम आपराधिक गैंगस्टरों का सफाया किया गया जो बचे भी वो सभी दुबई सहित अन्य देशों में चले गए। डॉन दाऊद इब्राहिम ने दुबई में बैठकर भी लंबे समय तक ‘डी कंपनी’ को चलाया लेकिन बाद में उसकी जड़ें भी काट दी गई। मगर अब उत्तर भारत में दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में खौफ कायम करने के बाद गत 12 अक्टूबर को मुंबई में लॉरेंस विश्नोई गैंग ने एनसीपी अजित गुट के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या करके जिस तरह की दहशत कायम की है वैसी ही दहशत 80-90 के दशक में अंडरवर्ल्ड गैंग ने फैलाई थी। उस समय दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, अबू सलेम और छोटा राजन जैसे बदमाश कुछ इसी तरह से अपना गैंग संचालित करते थे। अब इनके नक्शे कदमों पर लॉरेंस विश्नोई गैंग भी चलता दिख रहा है।

आज से लगभग तीन दशक पहले 12 अगस्त 1997 को मुम्बई के अंधेरी वेस्ट में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर, टी-सीरीज म्यूजिक कम्पनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या से फिल्म इंडस्ट्री सहित पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था उसी प्रकार अब 12 अक्टूबर 2024 को मुंबई के बांद्रा स्थित ऑफिस से एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी गई।

इन दोनों वारदातों के बीच करीब तीन दशक का फासला है। हैरानी की बात ये है कि इन दोनों की प्लानिंग एक जैसी है। यहां तक कि तारीख और शहर भी एक हैं। गुलशन कुमार को 3 शूटरों ने 16 गोलियां मारी थी तो बाबा सिद्दीकी को 3 शूटरों ने 6 गोलियां मारी। हालांकि दोनों घटनाओं के मास्टरमाइंड और शूटरों के बीच कोई सीधा कनेक्शन नहीं है।

गुलशन कुमार की हत्या का मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को माना जाता है तो वहीं बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है। इसी गैंग ने मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मुसेवाला और कर्णी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की थी। इसी ने बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग भी की थी।

बाबा सिद्दीकी को सलमान खान का करीबी दोस्त माना जाता था और पिछले 6 साल से सलमान खान लॉरेंस गैंग के निशाने पर हैं। इस हत्याकांड के बाद लॉरेंस गैंग की तुलना ‘डी कम्पनी’ से होने लगी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी स्वीकार किया है कि लॉरेंस ने दाऊद इब्राहिम की ‘डी कम्पनी’ की तरह बिश्नोई गैंग खड़ा कर लिया है। इस नए गैंग की एंट्री ने सरकार से लेकर प्रशासन की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।

कौन है लॉरेंस बिश्नोई

लॉरेंस बिश्नोई को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में जो जानकारी उपलब्ध है उसके हिसाब से कुछ जगहों पर उसका जन्मदिन 22 फरवरी, 1992 है तो कुछ जगहों पर 12 फरवरी, 1993 है। यानी इस वक्त लॉरेंस की उम्र 31-32 साल है। पंजाब के फजिल्लका के गांव धत्तरांवाली में जन्मे बिश्नोई परिवार के लड़के का लॉरेंस नाम भी दिलचस्पी का विषय है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक लॉरेंस बिश्नोई का असली नाम सतविंदर सिंह है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बचपन में एकदम गोरा चिट्टा होने के चलते परिवार वालों ने लाड़ में उन्हें लॉरेंस कहना शुरू किया था जो बाद में उनके वास्तविक नाम से ज्यादा मशहूर हो गया। लॉरेंस ने पंजाब के अबोहर से 12वीं की पढ़ाई की और आगे की पढ़ाई के लिए 2010 में चंडीगढ़ पहुंच डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। धीरे-धीरे उसने छात्र राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू की और यहीं उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ से हुई। ये वही गोल्डी बराड़ है जो विदेश में बैठकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है और एक तरह से गैंग को संभाल रहा है। लॉरेंस साल 2011-2012 में पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संगठन (एसओपीयू) बनाकर खुद ही उसका नेता बन गया।

छात्र राजनीति से अपराध तक
पंजाब के फाजिल्का के अबोहर के रहने वाला लॉरेंस बिश्नोई कॉलेज के दौरान छात्र संगठन ‘सोपू’ से जुड़ा था। जिस समय बिश्नोई छात्रों के बीच सक्रिय था उस समय चंडीगढ़ के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्थानीय संगठनों ‘सोपू’ और ‘पुसु’ का बोलबाला था। छात्र राजनीति के दौरान हुई गुटबाजी से शुरू हुआ लॉरेंस बिश्नोई का आपराधिक सफर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग तस्करी और टार्गेट किलिंग तक पहुंच गया है।

लॉरेंस बिश्नोई पर छात्र जीवन में जो पहला मुकदमा दर्ज हुआ वो हत्या की कोशिश में शामिल होने का था। यह बात साल 2011-2012 की है। इसके बाद लॉरेंस बिश्नोई को साल 2014 में पहली बार राजस्थान में गिरफ्तार करके भरतपुर जेल भेजा गया था। जब उसे पेशी के लिए मोहाली (पंजाब) ले जाया जा रहा था तो वो वहां से पुलिस हिरासत से फरार हो गया। साल 2016 में उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि साल 2021 में उसे संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध की दुनिया से रोकने के लिए ‘मकोका’ (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया था।

तिहाड़ लाए जाने से पहले वो पंजाब की बठिंडा जेल में बंद रहा था। साल 2022 में उसे जेल से ही सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद साल 2022 में गुजरात एंटी टेररिस्ट स्क्वायड ने लॉरेंस बिश्नोई को ड्रग तस्करी के मुकदमे में नामजद किया। ये मामला कच्छ में एक पाकिस्तानी जहाज से ड्रग की बड़ी खेप की जब्ती से जुड़ा था। लॉरेंस को दिल्ली की जेल से निकाल कर गुजरात पुलिस 23 अगस्त 2023 में गुजरात के साबरमती जेल ले गई थी। तब से वो इसी जेल में बंद है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि 30 अगस्त 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉरेंस बिश्नोई के ऊपर सीआरपीसी की धारा 268 (1) भी लगा दी थी, ताकि उसे किसी भी हाल में साबरमती जेल से बाहर लाया ही न जा सके।

क्या वाकई नया दाऊद है बिश्नोई
बाबा सिद्दीकी की हत्या बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि लॉरेंस बिश्नोई के नाम का खौफ ज्यादा है या वाकई में वह बहुत खतरनाक है? क्या देश में कोई ऐसी जेल नहीं है जिसका खौफ उसे भी हो? क्या लॉरेंस को इतना बड़ा गैंगस्टर बनाने में पंजाब पुलिस का भी योगदान रहा है? छात्र राजनीति से राजनीति की मुख्यधारा में पांव जमाने की हसरत रखने वाला छात्र इंटरनेशनल डॉन कैसे बन गया? बिश्नोई की इतनी चर्चा क्यों हो रही है?

अपराध की दुनिया पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि बीते लंबे समय से गुजरात की जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई को लेकर कोई खबर जेल के बाहर नहीं आ रही थी, तभी अप्रैल में सलमान के घर के बाहर गोलियां चलीं। अपना खौफ बढ़ाने के लिए बिश्नोई सलमान खान जैसे हाई प्रोफाइल लोगों को धमकी देने की रणनीति अपनाता है।

कुछ साल पहले चंडीगढ़ जिला अदालत में पेशी के दौरान लॉरेंस बिश्नोई ने पुलिस सुरक्षा और तमाशबीनों की भीड़ के बीच पत्रकारों से कहा था कि ‘मैं एक के बाद एक मुकदमेबाजी में फंसता जा रहा हूं। बाकी इस लाइन में बदनामी के मामले में मेरा नाम ऊपर पहुंचाने में मीडिया की भूमिका भी है।’ मीडिया की भूमिका पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी एलएन राव कहते हैं, ‘लॉरेंस बिश्नोई हो या कोई और बड़ा अपराधी, अगर मीडिया इनके बारे में छापना बंद कर दे तो पुलिस और जेल प्रशासन का आधे से ज्यादा काम कम हो जाएगा। जहां तक लॉरेंस बिश्नोई के खौफ की बात है सिर्फ खौफ मान लेना सही नहीं है। उसका खौफ ही है कि ‘जो वो जेल की सलाखों में बंद रहने के बावजूद बाहर मौजूद अपने भरोसेमंद गुंडों और शूटर्स के जरिए जो अपराध चाहे, करवा डालता है। फिर चाहे पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी या फिर कोई और वारदात।’

तिहाड़ जेल के पूर्व महानिदेशक संजय बेनीवाल कहते हैं कि ‘लॉरेंस बिश्नोई की नेटवर्किंग जेल से बाहर जबरदस्त है। उसे खत्म करना पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए बेहद जरूरी है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक लॉरेंस बिश्नोई जैसे अपराधियों पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा।’ रहा सवाल क्या देश की कोई ऐसी जेल नहीं है जिसका खौफ लॉरेंस बिश्नोई को भी हो तो ‘जो शख्स खुद को जेल में ही सुरक्षित समझता हो, जेल से बाहर जाना ही नहीं चाहता हो उसे देश की किसी भी जेल में बंद रहने का खौफ क्यों सताएगा? वो तो चाहता है कि उसे हमेशा हाई सिक्योरिटी वाली जेल में ही रखा जाए ताकि जेल से बाहर मौजूद उसके दुश्मन उस तक न पहुंच सकें। दिल्ली की ही कुछ अदालतों का रिकॉर्ड इस बात का गवाह हैं कि लॉरेंस बिश्नोई के वकील कोर्ट में नहीं पहुंचते और कोर्ट को मजबूरन अगली तारीख देनी पड़ती है।

वकीलों की नियमित गैर-हाजिरी के बारे में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों की पैरवी कर रहे सीनियर क्रिमिनल लॉयर अशोक बेनीवाल का कहना है कि ‘लॉरेंस बिश्नोई को क्या पड़ी है कि वो हर उस मुकदमे में अपनी पैरवी के लिए कोर्ट में वकील खड़ा करे, इनमें से कई मुकदमे ऐसे हैं जिनमें पुलिस ने अपनी वाहवाही के लिए लॉरेंस बिश्नोई का नाम जबरदस्ती एफआईआर में ठूंस दिया है। मुकदमा जब कोर्ट में ट्रायल पर पहुंचता है तब पुलिस अधिकांश मुकदमों में लॉरेंस बिश्नोई का लिंक आपराधिक घटना से जोड़ ही नहीं पाती है।

सलमान खान को धमकी
लॉरेंस बिश्नोई ने साल 2018 में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी थी। मुंबई पुलिस की जांच के मुताबिक उनके शूटरों ने सलमान खान के मुंबई स्थित घर के बाहर गोलीबारी की थी। इस सम्बंध में तीन शूटरों को गिरफ्तार भी किया गया था। उस समय राजस्थान के जोधपुर शहर में जेल में पेश किए जाने के दौरान बिश्नोई ने मीडिया से कहा था, ‘सलमान खान को मार दिया जाएगा, जोधपुर में। तब उन्हें हमारी असली पहचान के बारे में पता चलेगा। सलमान खान पर काले हिरण के शिकार के मामले में मुकदमा चल रहा है। बिश्नोई समुदाय इस प्राणी को पूजनीय मानता है और लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान से दुश्मनी का कारण भी यही बताया था।

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