हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में भीतर ही भीतर फिर हलचल शुरू हो गई है। चर्चा है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में यदि फेरबदल होता है तो सोलन जिला उसका केंद्र बिंदु बनेगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि सोलन जिले के अर्की, सोलन व दून निर्वाचन क्षेत्रों में उठापटक की संभावना है। सोलन जिले का इतिहास है कि यहां पूरे जिले से कभी भी ब्राह्माण नेता को मंत्री पद नहीं मिला है। आज तक या तो राजपूत समुदाय का बोलबाला रहा है या फिर आरक्षित सीटों से विजयी विधायक मंत्री पद पर बैठे हैं। इसके अलावा दो बार खत्री बिरादरी के नेताओं को मंत्री पद प्राप्त हुआ है। विडंबना यह है कि प्रदेश की राजनीति में सोलन जिले से कभी भी किसी भी पार्टी से निर्वाचित विधायक को कैबिनेट या राज्य मंत्री का पद नहीं मिला है। प्रदेश मंत्रिमंडल में पद रिक्त चल रहा है। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार छह संसदीय सचिवों को पहले ही पदच्युत किया जा चुका है। इन संसदीय सचिवों में से अर्की निर्वाचन क्षेत्र से संजय अवस्थी व दून से रामकुमार चौधरी शामिल हैं। दोनों नेताओं को ही मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भविष्य में मंत्रिमंडल में एक रिक्त पद को भरने व अपने खास नेताओं को जगह देने के लिए उठापटक होने की आशंका है। वर्तमान में सोलन जिले से एकमात्र मंत्री डॉ. कर्नल धनीराम हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या सोलन जिले को एक और मंत्री मिल सकता है? डॉ. शांडिल को कोई और महत्वपूर्ण पद देकर किसी और को मंत्री पद पर बैठाया जा सकता है? राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि दिल्ली दरबार में भी सोलन जिले का एक नेता कसरत कर रहा है ताकि मंत्री पद की दौड़ में वह भी कायम रह सके। यदि ब्राह्माण नेता की बात करें तो इस बार सोलन जिले के अर्की निर्वाचन क्षेत्र से संजय अवस्थी विधायक के रूप में विधानसभा में हैं और मुख्यमंत्री का बेहद करीबी होने के कारण उन्हें भी भविष्य में किसी उच्च पद पर बैठाया जा सकता है।

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