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मणिपुर में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा

दो छात्रों की मौत के बाद  से ही मणिपुर में ताजा हिंसा और भी बढ़ती जा रही है। राज्य में जुलाई से लापता दो युवकों के शवों की तस्वीरें 25 सितंबर को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तेजी से प्रदर्शन होने लगे। खबरों अनुसार हिंसात्मक प्रदर्शन इम्फाल के छात्रों की अगुवाई में शुरू किया गया।

अधिकारीयों अनुसार उरीपोक ,यैसकुल ,सगोलबंद ,टेरा इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुई। प्रदर्शनकारियों ने टायरों को जलाकर रास्तों को अवरुद्ध करना चाहा। प्रदर्शनकारियों और स्थिति नियंत्रण करने के लिए सुरक्षा बलों को आंसू गोले छोड़ने पड़े। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा  स्थिति काबू की गई । इम्फाल ईस्ट और वेस्ट में हिंसक प्रदर्शन से निपटने हेतु कर्फ्यू लगाया गया है।

पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने थौबल जिले में बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी। इसके अतिरिक्त पुलिस के एक वाहन को निशाना बनाया गया। पुलिस द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से हथियार छीन मारपीट की। पुलिस अनुसार अपराध में शामिल लोगों पर कार्रवाई की जायेगी। वहीं मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का कहना है कि अगर सुरक्षाबलों ने गोलियां या कुछ भी घातक गोलीबारी की है, तो सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “अगर हमारे बच्चों को हमारे अपने बलों से भी अनुचित व्यवहार मिलता है, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री के कहने अनुसार प्रदर्शन कर रहे छात्रों में शामिल शरारती तत्वों ने सुरक्षाबलों पर लोहे से बनी वस्तुएं फेंकी थी जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। छीने गए हथियारों की बरामदगी और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। मणिपुर बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा सुरक्षा बलों से किशोरों के खिलाफ मनमाने ढंग से लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है।

 

मणिपुर

 

लगातार बढ़ती स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने राज्य को अशांत घोषित कर दिया है। अफस्फा का दायरा 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मणिपुर के 19 पुलिस स्टेशनों को छोड़कर पूरे क्षेत्र को छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित गया है। अफस्पा कानून एक अक्टूबर, 2023 से प्रभावी होगा। जिन इलाकों में अफस्पा नहीं लगाया गया है, वो मैतई बहुल इलाके हैं। अफस्पा से बाहर इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम पुलिस स्टेशनों को रखा गया है।

 

मणिपुर में अर्धसैनिक बलों को किया गया तैनात

 

मणिपुर

 

मणिपुर में विभिन्न अर्धसैनिक बलों की 200 से अधिक कंपनियां तैनात हैं। राज्य में देश के पांच अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ , बीएसएफ , आईटीबीपी , एसएसबी , सीआईएसएफ ) असम राइफल्स और सेना के साथ शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है। हिंदुस्तान टाइम्स अनुसार दिल्ली में एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, ‘एक जिला, एक बल’ व्यवस्था के तहत एक अर्धसैनिक बल के कर्मी एक जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होंगे। इस कदम का उद्देश्य जवाबदेही सुनिश्चित करना और बलों के बीच संघर्ष की संभावना को कम करना भी है। सीपीआरएफ के पास अधिक कर्मी होने से उन्हें एक से अधिक जिलों में तैनात किया जा सकता है।

मणिपुर में मई से हिंसा जारी है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा में अब तक कई लोगों ने अपनी जान गवाई है । कई लोग घायल हुए हैं।  तनाव की स्थिति को देखते हुए बीते दिन फिर से इंटरनेट बैन कर दिया गया।

 

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