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इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहली बार हुई ऑनलाइन सुनवाई

पूरा देश इस वक़्त कोरोना महामारी से लड़ रहा है। देश मे इसे फैलने से रोकने के लिए लॉक डाउन के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं। जिससे सामान्य तौर पर जनजीवन प्रभावित है।
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 मार्च को छह लोगों की जमानत मंजूर की है। इनमें से दो अग्रिम जमानत अर्जियां भी थी। सबसे खास बात ये है कि इन सभी अर्जियों को ईमेल के माध्यम से लिया गया था, साथ ही इसी पर ईमेल के माध्यम से ही कोर्ट ने सुनवाई भी की ।

ई-मेल के जरिए दाखिल की गई जमानत और अग्रिम जमानत अर्जिओं पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने सुनवाई की। प्रदेश सरकार से उसका पक्ष भी ईमेल के जरिए ही लिया गया और आवश्यकता को देखते हुए आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया। ऐसा देश मे पहली बार हुआ है।

हाईकोर्ट ने कौशांबी के मंझनपुर थाने में दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे में रामनिवास, उधो चंद्र और योगेश चंद्र की जमानत मंजूर कर ली है । इन सभी को 2003 में दर्ज कराए गए मुकदमे के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, इस वक़्त सभी जेल में है। जिनकी ओर से हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल कर कहा गया कि याचीगण जेल में है, इसलिए उनकी जमानत अर्जी पर तत्काल सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने कन्नौज के सुभाष शुक्ला को भी जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। सुभाष आत्महत्या के लिए उकसाने के मुकदमे में अदालत द्वारा 319 सीआरपीसी के तहत तलब किए जाने के बाद जेल भेज दिए गए थे। ई-मेल के जरिए दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायमूर्ति गोविन्दे माथुर ने उनकी जमानत मंजूर कर ली है।

हाईकोर्ट ने कानपुर के चौबेपुर थाने में दर्ज मुकदमे में सौरभ शिवहरे और समीर शिवहरे की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है तथा अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख नियत की है। इन दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा 25 मार्च 2020 को दर्ज किया गया। ई-मेल के जरिए मांगी गई जानकारी पर प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि मुकदमा अभी आरंभिक जांच के स्तर पर है। इसे देखते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई तक दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

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