इसी साल अप्रैल – मई में पांच राज्यों पश्चिम बंगाल , असम ,तमिलनाडु ,केरल और पुड्डुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों के चुनावों में परचम लहराने के लिए राजनीतिक पार्टियों की ओर से हर संभव दांव -पेंच अपनाए जाने लगे हैं। दल – बदल का खेल जोरों पर है । पश्चिम बंगाल में तो हालत यह हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को एक के बाद एक झटका लग रहा है। राज्य में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि कहीं चुनाव से पहले पूरी टीएमसी ही भाजपा में न तब्दील हो जाए। पार्टी में टूट की शुरुआत बीते दिसंबर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीबी रहे पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे से हुई थी । अब डायमंड हार्बर से दो बार के विधायक दीपक हलदर ने टीएमसी को झटका दिया है। उन्होंने कल एक फरवरी को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
बीते दो महीनों के भीतर ही लगभग दर्जन भर विधायक तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। स्थानीय खबरों के मुताबिक हलदर ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफ़ा स्पीडपोस्ट की मदद से पार्टी कार्यालय को भेजा।
हलदर ने एक बयान में कहा कि मैं दो बार विधायक रह चुका हूं , लेकिन 2017 के बाद से मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि मैं जनता के लिए काम नहीं कर पा रहा हूं । शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में सूचित करने के बावजूद कोई बदलाव नजर नहीं आया। मुझे किसी पार्टी कार्यक्रम के बारे में सूचित नहीं किया जाता है। मेरी अपने क्षेत्र और अपने लोगों के प्रति जवाबदेही है, इसलिए मैंने पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है। बहुत जल्द मैं पार्टी के जिलाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को भी अपना इस्तीफा भेजूंगा।
हालांकि दीपक हलदर ने अपने भविष्य को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है। लेकिन खबर है कि वो आज 2 फरवरी को बरुईपुर में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक़ हलदर पिछले काफी समय से संगठन से नाराज़ चल रहे थे और सार्वजनिक रूप से नेतृत्व की आलोचना करते थे। 2015 के दौरान दीपक हलदर को पार्टी से निलंबित किया गया था, जब एक कॉलेज में छात्रों के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच टकराव में शामिल होने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कुछ समय बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इसके पहले टीएमसी के 6 विधायकों ने 72 घंटों के भीतर भाजपा में शामिल हुए थे। इनमें पश्चिम बंगाल के पूर्व वन मंत्री राजीब बनर्जी, बाली से तृणमूल विधायक बैशाली डालमिया, उत्तरपारा विधायक प्रबीर घोषाल, हावड़ा मेयर रथिन चक्रवर्ती और पूर्व विधायक सारथी चटर्जी भाजपा में शामिल हुए थे। 5 जनवरी 2021 को पश्चिम बंगाल युवा सेवा और खेल मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भी पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। हालांकि वह बतौर विधायक अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। कुल मिला कर तृणमूल कांग्रेस के कुल 17 विधायकों और 1 सांसद ने पार्टी का दामन छोड़ा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी को लगातार झटकों से काफी नुकसान हो सकता है।
दरअसल टीएमसी के कई बागी विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इन बागी नेताओं ने एक दिन पहले दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी और बीजेपी में शामिल हो गए। टीएमसी के पूर्व नेता राजीब बनर्जी, विधायक बैशाली डालमिया, प्रबीर घोषाल, रुद्रनील घोष और रथिन चक्रवर्ती ने अमित शाह से मुलाकात की थी।
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस और लेफ्ट साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। सीट शेयरिंग को लेकर सीपीआई एम के नेतृत्व वाले लेफ्ट और कांग्रेस के बीच कई दौर की बैठकें हुई। इससे पहले हुई बैठक में कुल 77 सीटों को लेकर बातचीत हुई थी , जिनमें तय हुआ था कि 44 सीटें कांग्रेस को और 33 सीटें लेफ्ट को दी गई।