कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिरा चुकी बीजेपी अब कुछ असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रही है। तीन सप्ताह से चल रहे एक लम्बे सियासी नाटक के बाद गत गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा स्पीकर द्वारा 3 बागी विधयाको को आरोग्य करार दे दिया गया था। वही अभी भी 14 विधायकों के इस्तीफे पर अटकले जारी है। कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने के लिए उठापटक काफी लंबी चली। विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार द्वारा विश्वास मत के बाद सदन के सदस्यों को बताया कि मुख्यमंत्री एच. डी. कुमार स्वामी विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे। उन्होंने बताया कि विश्वास मत के पक्ष में 99 जबकि इसके खिलाफ 105 मत पड़े थे।23 जुलाई को विधानसभा में हुए शक्ति -परिक्षण के बाद कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ गयी थी। कर्नाटक की सरकार तो गिर गई, लेकिन बीजेपी के स्थानीय नेता अब नेतृत्व की हरी झंडी का इंतजार कर रहे है।
कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार द्वारा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे और उन्हें निष्कासित करने के लिए उनकी पार्टी की याचिकाओं पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। ऐसे में बीजेपी के लिए सावधानी से कदम बढ़ाना ही ठीक है, क्योंकि स्पीकर के फैसले का असर अगली सरकार के भविष्य पर भी हो सकता है। कर्नाटक में 31 जुलाई के पहले वित्त विधेयक भी पारित करना होगा और बताया जा रहा है कि इस माह के अंत तक अगर सरकार वित्त विधेयक नहीं रख पाई तो राष्ट्रपति शासन लगाना संवैधानिक बाध्यता होगी।