भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमारे देश की शान का प्रतीक है। पता चला है कि किसानों के आंदोलन में इसका कुछ गलत इस्तेमाल किया गया है। आंदोलन में गए पीलीभीत के एक युवक की 2 फरवरी को दुर्घटना में मौत होने पर शव तिरंगे में लपेटकर अंतिम यात्रा निकाली। पुलिस ने इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान मानते हुए युवक के भाई तथा परिवार के तीन लोगों पर केस दर्ज कर दिया है। जानकारी के अनुसार पीलीभीत पूरनपुर के बारीबुझिया गांव के निवासी बलजिंदर सिंह कुछ ग्रामीणों के साथ किसान आंदोलन में शामिल हुए।
दिल्ली के नजदीक गाजीपुर बार्डर गए थे। 25 जनवरी की रात को गाजीपुर के नजदीक मयूर विहार फेस-3 के पास पेपर मिल मार्केट में घूमने गये। वाहन की टक्कर से उनकी मौत हो गई। मौके पर कुछ पूखता सबूत न मिलने पर पुलिस ने शव को अज्ञात में मोर्चरी में रखा दिया था। 27 जनवरी तक बलजिंदर का कोई पता नहीं चला तो साथ के युवक शाम को गुमशुदगी दर्ज कराने थाने पहुंचे। दो दिन बाद पुलिस ने हादसे में मरे युवक व गुमशुदगी में दर्ज जानकारी का मिलान किया। हुलिया आदि के आधार पर गुमशुदगी दर्ज कराने वाले साथियों को बुलाकर शव दिखाया तो उन्होंने शिनाख्त बलजिंदर के रूप में की।
दो फरवरी को वहां की पुलिस ने पीलीभीत पुलिस को फोन कर बलजिंदर के घर सूचना भेजी। तीन फरवरी को स्वजन शव गांव ले आए। परिवार के लोगों ने किसान आंदोलन का शहीदी बताते हुए शव तिरंगा ध्वज में लपेट दिया। इसी तरह अंतिम यात्रा निकाली गई। शाम को इसका वीडियो वायरल होने लगा। तीन फरवरी की रात करीब 10 बजे सेहरामऊ उत्तरी के थाना प्रभारी आशुतोष रघुवंशी ने वीडियो देखा तो इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना गया। उन्होंने तिरंगे के अपमान की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।