देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस पार्टी पहले ही अपनी सत्ता गंवा चुकी है और अब जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां भी पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पंजाब के सियासी घमासान के बीच अब छत्तीसगढ़ में भी पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार फिर मोर्चाबंदी होने लगी है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के समर्थक माने जाने वाले एक नेता को जशपुर जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में कथित तौर पर भाषण देने से रोका गया और उनके साथ धक्का-मुक्की की गई। इस घटना से कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई के भीतर मतभेद एक बार फिर खुलकर सामने आ गया।
घटना के समय अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिव सप्तगिरी उलाका के अलावा अन्य नेता भी मौजूद थे। यह सम्मेलन रायपुर से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित जशपुर कस्बे के एक सामुदायिक भवन में आयोजित किया गया था।
घटना के एक कथित वीडियो में जशपुर जिले के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पवन अग्रवाल मंच से समारोह को संबोधित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। अचानक एक अन्य नेता इफ्तिखार हसन, अग्रवाल से माइक छीनने की कोशिश करते और उन्हें धक्का देते नजर आ रहे हैं। अग्रवाल ने फोन पर बातचीत में कहा, 2013 से 2018 के अंत तक जशपुर कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मैंने जिले में पार्टी के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने भाजपा से जिले की तीनों सीटें- पत्थलगांव, जशपुर और कुंकुरी को छीन लिया। पार्टी की जीत की तमाम कोशिशों के बावजूद विधानसभा चुनाव के बाद मुझे जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया।हालांकि हसन ने अग्रवाल के आरोपों को खारिज किया है। वहीं, भाजपा की छत्तीसगढ़ इकाई ने भी घटना का कथित वीडियो साझा कर कांग्रेस पर निशाना साधा है।
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दरअसल, दिसंबर 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस में उस वक्त सीएम पद के दावेदारों में भूपेश बघेल के अलावा टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू भी थे, लेकिन भूपेश बघेल को ही सीएम बनाया गया। उस वक्त कहा गया था कि भूपेश बघेल को सीएम बनाने के साथ ही ढाई साल का करार हुआ है। पहले ढाई साल भूपेश बघेल सीएम रहेंगे और उसके बाद टीएस सिंह देव नेतृत्व संभालेंगे। हालांकि ये चर्चाएं ही थीं, इस पर पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा गया।ये चर्चाएं 17 जून के बाद से फिर शुरू हुईं, जब भूपेश बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया। हालांकि इसके बाद भी भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव यही कहते रहे कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। दोनों नेताओं का कहना है कि इस पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जो भी आदेश होगा, वे उसे मानेंगे। बाहर से भले दोनों नेता आलाकमान पर बात डाल रहे हैं , लेकिन सूत्र बताते हैं कि अंदरखाने दोनों में जबर्दस्त घमासान चल रहा है।