भारत और कनाडा के मध्य रिश्तों में तनाव गहराता जा रहा है। गत् वर्ष मई में भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया में हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या का आरोप भारतीय खुफिया एजेंसियों के सिर मड़ दोनों देशों को एक-दूसरे के आमने- सामने ला खड़ा किया था। खालिस्तान समर्थक निज्जर की हत्या के आरोप से तिलमिलाई भारत सरकार ने ट्रूडो को करारा जवाब दे स्पष्ट कर दिया कि वह किसी विदेशी ताकत के अनर्गल आरोपों से दबने वाली नहीं है। तभी से दोनों देशों के मध्य जुबानी जंग जारी है
गत् वर्ष कनाडा निवासी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही कनाडा और भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। भारतीय मूल के तीन नागरिकों को हाल ही में कनाडा पुलिस ने 3 मई को हिरासत में लिया है। दावा किया जा रहा है कि ये तीनों संदिग्ध एक कथित समूह के सदस्य हैं, जिन्होंने 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारा के बाहर निज्जर की हत्या की साजिश को अंजाम दिया था। इसकी सुनवाई कनाडा की एक अदालत में 7 मई को हुई। यह पहली बार था जब कोई भारतीय नागरिक कनाडा के कटघरे में था। निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय नागरिकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में सरे प्रांतीय अदालत में पेश किया गया था। सुनवाई के दौरान भारतीय नागरिकों पर कनाडाई नागरिकों की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। आरोप के मुताबिक एक मई 2023 से हत्या की तारीख के बीच सरे और एडमोंटन प्रांत में हत्या की साजिश रची गई थी।
पिछले साल ही नवंबर महीने में कनाडा के एडमॉन्टन में एक सिख शख्स और उसके 11 वर्षीय बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक की पहचान 41 साल के हरप्रीत सिंह उप्पल के रूप में हुई थी। इस हत्या के पीछे भी इन्हीं को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस दिन सरे के गुरुनानक सिख गुरुद्वारे पर निज्जर की हत्या हुई थी, उस दिन गिरफ्तार गुट के सदस्यों ने कथित तौर पर शूटर, ड्राइवर और जासूस के रूप में अलग-अलग किरदार निभाए थे। जांच टीम के सूत्रों ने खुलासा किया कि कथित हत्यारों की पहचान कुछ महीने पहले की गई थी और तब से उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी। कनाडा पुलिस का कहना है कि इन आरोपियों के अलावा कई अन्य लोगों के हत्या में शामिल होने का संदेह है। स्थानीय पुलिस मुताबिक कथित हत्यारों ने पिछले पांच वर्षों में कनाडा में प्रवेश किया। उन पर नशीले पदार्थों की तस्करी और हिंसा में शामिल होने का अंदेशा है। अदालती दस्तावेजों के अनुसार इन पर फर्स्ट डिग्री की हत्या और साजिश सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं।
दरअसल पिछले साल ही कथित तौर पर 18 जून को इन आरोपियों ने खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में गोली मार कर हत्या कर दी थी। कनाडा सिख समुदाय का निज्जर से लगाव इसलिए भी था क्योंकि वे कनाडा के वैंकूवर स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा के अध्यक्ष भी थे। कनाडा की इंटीग्रेटेड होमिसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम द्वारा तीन अप्रैल को हिरासत में लिए गए आरोपियों की पहचान भारतीय मूल के 22 वर्षीय करण बराड़, 22 वर्षीय करणप्रीत सिंह और 28 वर्षीय कमलप्रीत सिंह के रूप में हुई है।
कौन है भारतीय मूल के कनाडाई आरोपी
बीबीसी की एक रिपोर्ट अनुसार 22 वर्षीय करण बराड़ पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले हैं। करणप्रीत गुरदासपुर के मूल निवासी हैं, जबकि तीसरे अभियुक्त कमलप्रीत जालंधर जिले के रहने वाले हैं। करण स्टडी परमिट पर कनाडा गए थे। करण बराड़ ने कोटकपुरा में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, फिर वो 2020 में स्टडी परमिट पर कनाडा गए। पंजाब पुलिस का कहना है कि करण एक जमींदार परिवार से हैं। करण के दादा बलबीर सिंह बराड़ स्थानीय कारोबारी हैं। वे अपने माता- पिता के इकलौते बेटे हैं। करण बराड़ की मां रमन बराड़ काम के सिलसिले में सिंगापुर रहती थीं। उसके पिता मंदीप बराड़ का पिछले महीने 18 अप्रैल को निधन हो गया था, जिसके चलते करण की मां भी भारत आ गई थीं। पंजाब पुलिस के मुताबिक करण का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
दूसरा अभियुक्त करणप्रीत सिंह गुरदासपुर जिले के सुंदल गांव का रहने वाला है। गांव सरपंच के बेटे और करणप्रीत सिंह के चाचा रणजीत सिंह राणा का कहना है कि करणप्रीत का पालन पोषण साधारण परिवार में हुआ। वह वर्क परमिट पर कनाडा गया था। उन्होंने कहा कि करणप्रीत पिछले तीन साल से कनाडा में थे, जहां वह ट्रक चलाते थे। उनका यहां कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि उनका स्वभाव काफी मिलनसार है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी से गांव वाले काफी हैरान हैं।
कनाडा की नजरो में भारतीय मूल का एक और आरोपी कमलप्रीत सिंह जालंधर जिले के गांव चककलां का रहना वाला है। पंजाब पुलिस की ओर से जुटाई गई जानकारी के तौर पर साल 2019 में बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्टडी वीजा पर कनाडा चले गए। परिवार आर्थिक रूप से मजबूत है। गांव में अच्छी जमीन है, पंजाब पुलिस के एक अधिकारी मुताबिक कमलप्रीत की बहन भी कनाडा में रहती हैं। जालंधर ग्रामीण के वरिष्ठ पुलिस कप्तान अंकुर गुप्ता के अनुसार कमलप्रीत सिंह का जालंधर जिले में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। कमलप्रीत के पिता सतनाम सिंह का कहना है कि हमें अपने बेटे की गिरफ्तारी के बारे में खबरों से ही पता चला। यह हमारे लिए दुखद है। कमलप्रीत 2019 में स्टडी वीजा पर कनाडा गया था। वह दो साल से गुरदासपुर के कमलप्रीत के साथ रह रहा था। हमने करण बराड़ के बारे में कभी नहीं सुना।
लगातार बढ़ रहा है तनाव
खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर के हत्या के पीछे कनाडा भारत पर लगातार आरोप लगाता रहा है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल ही कनाडाई संसद में दावा किया था कि इसके पीछे भारत सरकार के खुफिया एजेंटों का हाथ है। लेकिन भारत ट्रूडो के इस आरोप को बेतुका और बेबुनियाद ठहराता रहा है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि भारत कनाडाई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन भारतीय नागरिकों के बारे में जानकारी साझा किए जाने का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा ‘क्या वहां इन लोगों का कोई आपराधिक गिरोह सक्रिय था, हम इंतजार करेंगे कि कनाडा पुलिस हमें इसके बारे में बताए। विदेश मंत्री के मुताबिक कनाडा ने खुद ही भारत से कनाडा में, विशेषकर पंजाब से संगठित अपराध की अनुमति दी है।
बयान बाजी से झलकती तनाव की स्थिति
इस मामले में दोनों देशों के बीच चल रही बयान बाजी से तनाव की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। भारतीय मूल के नागरिकों की गिरफ्तारी पर बात करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा एक कानून सम्मत देश है, यहां मजबूत और स्वतंत्र न्याय प्रणाली है, हम अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा के नागरिक की उसी के सरजमीं पर हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। वहीं भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि कनाडा उन लोगों को वीजा देता है जो भारत में वांटेड हैं। निज्जर मामले में तीन भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद 4 मई को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खालिस्तान समर्थक निज्जर की ओर इशारा करते हुए कहा कि संगठित अपराध से जुड़े पंजाब के लोगों का कनाडा में स्वागत किया जाता है।
उस दौरान उन्होंने कहा कि कनाडा पुलिस ने जांच में किसी को गिरफ्तार किया होगा, लेकिन फैक्ट ये है कि संगठित अपराध से जुड़े पंजाब के लोगों का कनाडा में स्वागत किया जाता है और उन्हें वीजा दिया जाता है। आप उन्हें वीजा दे रहे हैं जो भारत में वांटेड हैं। कई तो झूठे दस्तावेजों के साथ आ रहे हैं, फिर भी आप उन्हें रहने की अनुमति दे रहे हैं। राजनीतिक फायदे के लिए आप उन्हें रहने दे रहे हैं। आपके वहां भी दिक्कत होगी। कुछ मामलों में दिक्कत हुई भी है, हमें क्यों डरना चाहिए,वहां कुछ होता है तो उन्हें सोचने की जरूरत है। एस जयशंकर ने अमेरिका का उदहारण देते हुए कहा कि अमेरिका में हमारे लिए समस्या नहीं है, हमारे लिए समस्या कनाडा में है। कनाडा में जो पार्टी पावर में है उसने और विपक्ष ने चरमपंथ और हिंसा के समर्थकों को फ्री स्पीच के नाम पर मान्यता दे रखी है। कनाडा के मामले में यह प्रतिक्रिया विदेश मंत्री ने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम के दौरान दी थी।
अखंडता पर बुरी नजर डालना लक्ष्मण रेखा को पार करने जैसा
भारतीय विदेश मंत्री के प्रतिक्रिया के बाद कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जोली ने कहा कि उनका देश अभी भी भारतीय एजेंटों द्वारा कनाडा की धरती पर उनके नागरिकों की हत्या किए जाने वाले आरोपों पर कायम है। कनाडाई विदेश मंत्री मेलनी जोली का कहना है कि कनाडा का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है। हमारा कर्तव्य कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा करना है और हम अपने इस आरोप पर कायम हैं कि एक कनाडाई शख्स की हत्या भारतीय एजेंटों ने कनाडा की सरजमीं पर की है। कनाडाई विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने जांच पूरी कर ली है और इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है। भारत के साथ रिश्तों से जुड़े सवाल पर मेलनी जोली ने कहा, ‘कूटनीति हमेशा पर्दे के पीछे बेहतर होती है। कनाडा हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा, अपनी संप्रभुता को बनाए रखने और कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं, कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा द्वारा भी इस मामले में टिप्पणी की गई। उन्होंने कहा दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए प्रयास जारी हैं। मॉन्ट्रियल काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर डालना लक्ष्मण रेखा को पार करने जैसा है। खालिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कनाडा की धरती पर ऐसे मुद्दे फिर से उभर रहे हैं जो भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा है। कनाडा द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के संदर्भ में संजय वर्मा ने कहा कि इन सबके मूल में भारतीय चिंताओं के प्रति कम समझ होना है। द्विपक्षीय संबंधों में जब हम एक-दूसरे को दोस्त कहते हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझें, चिंताओं को समझें।
सांस्कृतिक विविधता को समझें। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ मसले हैं और इसमें कुछ नया नहीं है, ये दशकों पुराने मसले हैं जो फिर से उभरे हैं। कोई विदेशी भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर डालेगा तो ये हमारे लिए लक्ष्मण रेखा पार करने जैसा है।
खालिस्तान समर्थक झाकियां निकालने पर भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने 7 मई को कनाडा के माल्टन में, नगर कीर्तन परेड में खालिस्तान समर्थक झांकियां निकाले जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कनाडा में रह रहे अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की। इन झांकियों में भारतीय राजनेताओं का हिंसक चित्रण करने को लेकर भारत ने विरोध जताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा उस दौरान कहा था कि कनाडा में अतिवादियों की ओर से हमारे राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ जैसी हिंसक छवियां (झांकियां) इस्तेमाल की जाती हैं, उसे लेकर हमने कई बार अपनी चिंताओं को मजबूती से उठाया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक बीते साल एक झांकी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दिखाया गया था। इसके अलावा भारतीय राजनयिकों के खिलाफ पूरे कनाडा में धमकी भरे पोस्टर भी लगाए गए थे। रणधीर जायसवाल ने कहा ‘हिंसा का जश्न किसी भी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
लोकतांत्रिक देशों को कानून का पालन करना चाहिए और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कट्टरपंथी तत्वों को डराने-धमकाने नहीं देना चाहिए।’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कनाडा में मौजूद राजनायिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और उम्मीद करता है कि कनाडाई सरकार ये सुनिश्चित करे कि ये लोग बिना किसी डर के अपनी जिम्मेदारियों को निभा पाएं।
दो देशों के बीच निज्जर बना तनाव का कारण
भारत के खिलाफ कनाडा सरकार द्वारा लगाए आरोपों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को काफी प्रभावित किया है। यही कारण रहा कि कनाडा ने मुक्त व्यापार चर्चा और व्यापार संबंधी मिशन को निलंबित कर दिया था। वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ने भारत में 41 कनाडाई राजनायिकों के लिए राजनयिक सुरक्षा खत्म कर दी थी। ट्रूडो द्वारा भारतीय एजेंटों पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद से ही भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव गहराता जा रहा है। गौरतलब है कि जालंधर के भारसिंह पुरा गांव का रहने वाला हरदीप सिंह निज्जर अलगाववादी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। हरदीप सिंह निज्जर, खालिस्तान टाइगर फोर्स के सदस्यों के संचालन, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देने में सक्रिय रूप से शामिल था। अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए ऑनलाइन अभियान ‘सिख रेफरेंडम 2020’ चलाने के मामले में साल 2020 में पंजाब में निज्जर की संपत्ति कुर्क की गई थी। निज्जर भारत में प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से भी जुड़ा था। पिछले साल भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में ट्रूडो भाग लेने आए थे। यहां से लौटने के तुरंत बाद ही 18 सितंबर को कनाडा की संसद में उन्होंने बयान दिया कि निज्जर की हत्या के पीछे ‘भारत सरकार की संभावित संलिप्तता के आरोपों’ की जांच की जा रही है। हालांकि मोदी सरकार ने कनाडा और अमेरिका में गैरकानूनी तरीकों से की जा रही हत्याओं में शामिल होने के आरोपों से इनकार किया। इसके बाद अक्टूबर में भारत ने 41 कनाडाई राजनायिकों की छूट रद्द कर दी थी। इसके चलते कनाडाई दूतावास के करीब दो-तिहाई स्टाफ को भारत से वापस जाना पड़ा। भारत ने कहा था कि कनाडा सिख अलगाववादियों को जो छूट दे रहा है, वह भारत के लिए ही नहीं, बल्कि कनाडा के लिए भी सही नहीं है। इस साल फिर भारत ने एक बार फिर इस मामले में आपत्ति जताई।