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चुनाव आयोग ने किए करोड़ों रुपए जब्त

अगले महीने तीन दिसंबर को पांच राज्यों के चुनावी नतीजे सामने आएंगे। पांच राज्यों में से तीन राज्यों के चुनाव हो चुके हैं वहीं दो राज्यों में चुनाव होने बाकी है। ये चुनाव लोकतांत्रिक और निष्पक्ष तरीके से हुए हैं यह नहीं कहा जा सकता। दरअसल इस पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के दौरान चुनाव आयोग द्वारा करोड़ों रूपये जब्त किए गए हैं। राजनेताओं के पास यह धन कहां से आया इसका रेकॉर्ड न तो उनके पास है न चुनाव आयोग के पास। इस वजह से आरोप लगाया जा रहा है कि पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के दौरान काले धन का इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है।

 

छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश ,मिजोरम में चुनाव हो चुके हैं। वहीं राजस्थान और तेलंगाना में ये चुनाव होने हैं ,चुनाव आयोग द्वारा नगद ही नहीं बल्कि कई मूल्यवान धातु ,ड्रग्स ,शराब जिनकी कीमत करोड़ो रूपये है इन राज्यों से जब्त किया गया है। साल 2018 में इन्ही राज्यों में जब चुनाव हो रहे थे तो उस दौरान चुनाव आयोग द्वारा कुल 239.15 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे। चुनाव आयोग द्वारा इन्ही राज्यों से जब्त की गई राशि का आकड़ा इस साल 2018 से सात गुना ज्यादा है। इस बार चुनाव आयोग ने 1760 करोड़ रूपये जब्त किए हैं।

 

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चुनावी राज्यों में कौन से राज्य से कितनी ज्यादा राशि चुनाव आयोग द्वारा जब्त की गई तो उसमें सबसे पहला नाम तेलंगाना का आता है। आयोग ने यहां से 659 करोड़ रूपये का नगद बरामद किया है। वहीं राजस्थान से 650 करोड़ रुपए ,मध्य प्रदेश से 333 करोड़ की कुल जब्ती हुई है जिसमें 33 करोड़ नगद ,69 करोड़ रूपये की शराब ,15 करोड़ का ड्रग्स जब्त किया गया है। छत्तीसगढ़ में 20 करोड़ रुपए नगद ,शराब ,ड्रग्स ,कीमती धातुओं को मिलालें तो कुल 36 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं। मिजोरम से 49 करोड़ रूपये की जब्ती हुई है।

 

चुनाव

 

गौरतलब है कि लोकतांत्रिक और निष्पक्ष माने जाने वाले चुनावों में काले धन का प्रयोग मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पहले भी होता आया है। पिछले साल 2022 में 6 राज्यों हिमाचल  ,गुजरात , त्रिपुरा , नागालैंड , मेघालय और कर्नाटक में चुनाव हुए थे। उस समय भी कई करोड़ रूपये जब्त किए गए थे। इससे पहले 2018 में इन्ही राज्यों में जब चुनाव हुए थे तब उस दौरान भी हिमाचल में 9 करोड़ की जब्ती हुई थी। हिमाचल में  2018 और 2022 में हुई यह जब्ती कुल मिलाकर 57 करोड़ की हो गई। वहीं गुजरात में दोनों सालों में जब्त की गई कुल राशि 801 करोड़ है, त्रिपुरा में कुल 45 करोड़ ,नागालैंड में 2018 के दौरान 4500 करोड़ की जब्ती हुई थी। जो कि 2022 में कुल मिलाकर 50 करोड़ की हुई। 2018 के दौरान कर्नाटक में 83 करोड़ ,2022 में कुल 384 करोड़ रुपये चुनाव आयोग द्वारा जब्त किया गया था।

 

कितना किया जा सकता है चुनावी खर्च

 

चुनाव के दौरान सभी दल धड़ल्ले से रूपये खर्च करते हैं। शराब ,गहने ,जरूरी समानों को देकर मतदाताओं को लुभाया जाता है। जो कि गलत और अलोकतंत्रीय है। इन्ही चीजों के कारण मानसिकता  बनती जा रही है कि चुनाव केवल करोड़ पति या अरब पति ही लड़ सकते है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित की गई राशि के अंदर ही वभिन्न दलों को अपना चुनाव प्रचार करना होता है।

 

चुनाव आते ही नेता प्रचार में जुट जाते हैं। जिसमें नेताओं के करोड़ो रूपये खर्च होते हैं उपर्युक्त आधार पर जाना जा सकता है। लेकिन चुनाव आयोग के नियम के अनुसार तय की गई सीमा से ज्यादा कोई नेता खर्च नहीं कर सकता। चुनाव आयोग की तरफ से चुनावी खर्चे करने की एक सीमा तय की जाती है। चुनाव आयोग के मुताबिक इस साल विधानसभा चुनाव में कोई भी विधायक 40 लाख रुपये तक ही खर्च कर सकता है।  इसके अलावा पैसा खर्च करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक इन 40 लाख में से कैश में सिर्फ 10 हजार रुपये खर्च किए जा सकते हैं। बाकी का ट्रांजेक्शन ऑनलाइन तरीके से होगा।

 

इससे पहले चुनाव आयोग द्वारा विधायकों के लिए खर्चे की सीमा 28 लाख की गई गई थी, जिसे बढ़ाकर अब 40 लाख किया गया है। हालांकि छोटे राज्यों के लिए ये सीमा 28 लाख है, जो पहले 20 लाख रुपये तक थी। पिछले साल यानी 2022 में चुनाव आयोग ने ये सीमा बढ़ाई थी।

 

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