यूं तो पूरे देशभर में कांग्रेस की स्थिति दयनीय हो चली है और उसके दिग्गज नेता एक के बाद एक पार्टी को छोड़ अन्य दलों की शरण में जाते जा रहे हैं। उत्तराखण्ड में विशेषकर पार्टी पूरी तरह डिरेल हो चली है। हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव भाजपा के हाथों हार चुकी कांग्रेस के भीतर भारी घमासान मचा हुआ है। खबर जोरों पर है कि पार्टी के 19 विधायकों में से करीब आठ विधायक कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। धारचूला से विधायक हरीश धामी ने तो कुछ अर्सा पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ देने की बात तक कह डाली थी। जानकारों की मानें तो कांग्रेस के एक बड़े नेता ने मुख्यमंत्री को धारचूला से चुनाव लड़ने की सलाह देते हुए समझाया था कि पूरे प्रदेश में उनके लिए सबसे सुरक्षित सीट धारचूला ही रहेगी जहां न तो उन्हें भितरघात का खतरा होगा, न ही हरीश धामी के भाजपा ज्वाइन करने के चलते कांग्रेस कोई मजबूत प्रत्याशी उनके खिलाफ खड़ा कर पाएगी। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री भी इस प्रस्ताव से सहमत थे लेकिन पेंच हरीश धामी के एडजस्टमेंट पर जा फंसा। ये बड़े नेता हरीश धामी को राज्यसभा भेजे जाने के पक्ष में थे जिसके लिए भाजपा आलाकमान तैयार नहीं हुआ। खबर जोरों पर है कि आज नहीं तो कल कांग्रेस के कई विधायक पाला अवश्य बदलेंगे। नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इन दिनों अपने बिखरते कुनबे को बनाए रखने की जी-तोड़ कोशिश करते नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने करीबी विधायकों को सलाह दे डाली है कि वे अपने भविष्य को देखते हुए जैसा चाहें निर्णय ले सकते हैं।
उत्तराखण्ड कांग्रेस में सब कुछ डिरेल
