नई दिल्ली :जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य के मुख्यधारा के नेता नजरबंद हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। फारूक अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है। इस कानून के तहत उन्हें दो साल तक बिना किसी सुनवाई के हिरासत में रखा जा सकता है।
जम्मू -कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को आज सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में ले लिया गया। इतना ही नहीं, जिस स्थान पर अब्दुल्ला को रखा जाएगा उसे एक आदेश के जरिए अस्थायी जेल घोषित कर दिया गया है। पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। विडंबना यह है कि इस कानून को सबसे पहले फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था।
श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला पांच अगस्त से घर में नजरबंद हैं, जब भारत सरकार ने कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। हाल ही में, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों को फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला से मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस प्रतिबंध के साथ कि वे मुलाकात के बाद मीडिया के साथ बातचीत नहीं कर सकते।
न्यायाधीश संजीव कुमार ने सांसदों जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी (अनंतनाग) और अकबर लोन (बारामूला) द्वारा दायर की गई याचिका के बाद अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज 16 सितंबर को केंद्र और जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन को नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख की नजरबंदी पर नोटिस भी जारी किया।
जिस स्थान पर उन्हें रखा जाएगा उसे अस्थायी जेल घोषित किया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने यह कदम उस समय उठाया जब एमडीएमके नेता वाइको ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फारूक अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा करने की मांग की थी।
क्या है सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए)–सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत सुरक्षा कारणों को देखते हुए सरकार किसी भी व्यक्ति को दो साल तक नजरबंद कर सकती है। यह कानून साल 1978 में फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला द्वारा घाटी में लागू किया गयाथा। इस दौरान शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।तत्कालीन सरकार द्वारा इस कानून को लाने का मुख्य मकसद लकड़ी तस्करी को रोकना बताया गया था। इसके तहत किसी इलाके की सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के मद्देनजर वहां नागरिकों के आने-जाने पर पाबंदियां लगा दी जाती हैं। यह अधिनियम सरकार को अधिकार देता है कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हो, उसे हिरासत में ले सकती है।
एमडीएमके के संस्थापक और राज्यसभा सांसद वाइको ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला को रिहा करने के लिए 11 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी।वाइको ने कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई के जन्मदिन पर कल 15 सितंबर को चेन्नई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें भाग लेने के लिए उन्होंने डॉ. अब्दुल्ला को आमंत्रित किया था । लेकिन पांच अगस्त के आसपास से ही अब्दुल्ला को श्रीनगर में हिरासत में रखा गया है। अनेक प्रयासों के बावजूद वह उनसे संपर्क करने में असमर्थ हैं। वाइको ने कहा कि वह पिछले चार दशकों से अब्दुल्ला के करीबी दोस्त हैं। उन्होंने चार अगस्त को अब्दुल्ला से फोन पर बातचीत कर कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था।