यूरोपीय यूनियन के चुनाव में कट्टर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी को बड़ी कामयाबी मिलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने अपने देश में मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर सबको चौंका दिया है। राष्ट्रपति ने नागरिकों से अपील की है कि वो ‘कट्टरपंथियों को तवज्जो न दें लेकिन तमाम सर्वे रिपोर्ट इशारा कर रहे हैं कि नेशनल रैली मधयावधि चुनाव के बाद देश की संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने जा रही है
टोलुना हैरिस इंटरएक्टिव नाम की एक संस्था के अनुसार 30 जून और 7 जुलाई दो चरणों में होने जा रहे फ्रांस के आम चुनाव में नेशनल रैली 235 से 265 के बीच सीटें जीत सकती है। हालांकि नेशनल रैली को बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटें मिलने की उम्मीद कम जताई गई है लेकिन नई संसद में नेशनल रैली बाकी दलों की तुलना में सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है। जबकि मैक्रो की रेनेसां पार्टी और उनके सहयोगी दलों को 125 से 155 के बीच सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि यूरोपीय संसद के लिए हुए चुनावों में धुर दक्षिणपंथियों का जनाधार फ्रांस और जर्मनी में साफ तौर पर बढ़ा है जिसका असर फ्रांस में होने जा रहे मधयावधि आम चुनाव में एक बड़े उलटफेर के रूप में देखने को मिल सकता है। यहां तक कहा जाने लगा है कि फ्रांस अब दक्षिणपंथ की ओर अग्रसर हो चला है।
गौरतलब है कि 6 से 9 जून तक यूरोपीय यूनियन के 27 देशों में हुई वोटिंग में 18 करोड़ लोगों ने मतदान किया। 720 में से 184 सीटों पर जीत के साथ कभी उदारवादी लेकिन अब दक्षिणपमंथी यूरोपियन पीपल्स पार्टी सबसे बड़ा दल बन उभरी है। इस चुनावों के नतीजों बाद धुर दक्षिणपंथी पार्टियों की बढ़ती ताकत चर्चा के केंद्र में है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
दक्षिणपंथी पार्टियों की बढ़ती ताकत के चलते ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने देश में मधयावधि चुनाव करवाने का फैसला लिया है। साल 2017 और 2022 में हुए फ्रांस के चुनाव में नेशनल रैली दल की लोकप्रियता और यूरोपीय संघ (ईयू) में इसी दल से हार जाने के परिणाम स्वरूप फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने 30 जून और 7 जुलाई को दो चरणीय चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके लिए फ्रांस के राष्ट्रपति ने 9 जुलाई तक नेशनल असेंबली भंग कर दी है। इसी दौरान संसद भंग करने की घोषणा करते हुए उन्होंने मरीन ली पेन की दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली को ज्यादा तवज्जो न देने की अपील की। जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने देश में संसदीय चुनाव कराने का फैसला लिया है, इसलिए मैं नेशनल असेंबली को भंग कर रहा हूं। राष्ट्रपति के इस घोषणा के बाद से ही सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियां में जुट गई हैं।
क्या मैक्रो ने मोल ले लिया बड़ा खतरा
फ्रांस के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मधयावधि चुनाव करवा कर मैक्रो ने बहुत बड़ा खतरा अपने और अपनी पार्टी के लिए मोल लिया है। यह चुनाव मैक्रो के लिए एक बहुत बड़ा दांव है। मैक्रो के प्रति कोलोमिय में समर्थन कम देखने को मिल रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि हमें नेशनल रैली को एक मौका देना चाहिए। फ्रांस की हालत खराब होती जा रही है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी सुरक्षित नहीं है। हालांकि चुनाव का परिणाम जो भी हो लेकिन मैक्रो अगले तीन साल तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। लेकिन दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली की यूरोपीय संघ के चुनावों में लोकप्रियता देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार होगा कि कोई धुर दक्षिणपंथी दल की सरकार फ्रांस की सत्ता में आए। मरीन को यह विश्वास है कि वे साल 2027 तक मैक्रो राष्ट्रपति पद से हटा कर खुद राष्ट्रपति बन सकती हैं।
मैक्रो के कार्यकाल पर नहीं पड़ेगा कोई असर इससे पहले साल 2022 में ही फ्रांस में चुनाव हुए थे लेकिन तीन साल पहले ही चुनाव को कराया जा रहा है। हालांकि इससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो के कार्यकाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे अगले तीन साल तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। मैक्रो ने 2022 में दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीता था और उनका कार्यकाल 2027 तक रहेगा। लेकिन इस चुनाव में यदि विपक्षी पार्टी को बहुमत प्राप्त होता है तो फ्रांसीसी राष्ट्रपति को सरकार का नेतृत्व उस दल के हवाले करना पड़ेगा और उसी दल का प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में फ्रांसीसी राष्ट्रपति को विरोधी दल के प्रधानमंत्री के साथ तालमेल करके सरकार चलानी पड़ेगी जिससे विरोधी दल के नेता के साथ राष्ट्रपति मैक्रो के लिए फ्रांस में अपने सियासी एजेंडे को आगे बढ़ाना काफी मुश्किल हो सकता है। उन्हें ऐसी नीतियों को भी स्वीकार करना पड़ सकता है जिनसे उन्हें बुनियादी तौर पर असहमति हो।
यह चुनाव राष्ट्रपति को कमजोर कर सकता है। फ्रांस का संविधान राष्ट्रपति अधिकार देता है कि वो नेशनल असेंबली भंग कर सकता है, यही नहीं बहुमत हासिल करने वाली पार्टी में से अपने पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री के लिए नॉमिनेट भी कर सकता है। इसके अलावा पब्लिक बैठक बुलाने के अलावा संसद की बैठक बुलाने का भी अधिकार राष्ट्रपति रखता है। फ्रांस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की शक्तियां बंटी होती है। इसीलिए राष्ट्रपति ज्यादातर बाहरी मामले या विदेश नीति को देखते हैं, वहीं फ्रांस का प्रधानमंत्री आंतरिक देश के मुद्दों को देखता।
गौरतलब है कि फ्रांस में सामान्यतः राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव आस-पास होते हैं। ऐसे में एक ही पार्टी के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन इस चुनाव में विरोधी दल के प्रधानमंत्री के आने के ज्यादा आसार हैं। चुनाव पूर्व कई रिपोटों के अनुसार नेशनल रैली दल के 28 साल के जॉर्डन बर्डेला इस चुनाव में प्रधानमंत्री बन सकते हैं। जॉर्डन बर्डेला लगातार युवा समर्थकों का दिल जीत रहे हैं। उनका उद्देश्य जीवन यापन के खर्च पर मरीन ले पेन के साथ काम करना है। इसके अलावा उस पार्टी की छवि सुधारने पर काम करेंगे जो एक समय तक चुनाव लड़ने के काबिल तक नहीं समझी जाती थी।
गौरतलब है कि भंग की गई संसद में राष्ट्रपति मैक्रो की रेनेसां और उसके गठबंधन के साथियों के पास नेशनल असेंबली में 250 सीटें थीं यानी मैक्रो के पास पूर्ण बहुमत नहीं था, इसलिए उन्हें अक्सर अपनी पार्टी के एजेंडे से जुड़े क़ानून या विधेयक पास कराने के लिए दूसरे दलों की मदद लेनी पड़ी थी या फिर मैक्रो को राष्ट्रपति के आदेश के जरिए वो प्रस्ताव लागू करने पड़े थे। संसद के निचले सदन में समाजवादियों, ग्रीन पार्टी और अन्य वामपंथी दलों को मिलाकर बने गठबंधन फ्रांस इनसोमीस (न झुकने वाला फ्रांस) के पास 149 सीटें थीं। पिछली संसद में मधयमार्गी दक्षिणपंथी रिपब्लिकन पार्टी के पास 61 सीटें थीं। जब इसके नेता एरिक सियोत्ती ने नेशनल रैली के साथ गठबंधन करने की कोशिश की थी तो उन्हें पार्टी के समर्थकों ने मतदान के जरिए पद से हटाने का प्रयास किया था। दूसरी तरफ नेशनल रैली की हाल ही में भंग की गई संसद में 88 सदस्य थे। इस दल के प्रमुख प्रमुख जॉर्डन बार्देला हैं और संसदीय दल की नेता मरीन ले पेन हैं। इससे पहले उन्होंने अपने पिता, ज्यां मारी ले पेन से इस दल की बागडोर अपने हाथ में ली थी। इसके बाद ही मरीन ले पेन ने इस दल का नाम नेशनल फ्रंट से बदलकर नेशनल रैली कर दिया था। संभावना जताई जा रही है कि नेशनल रैली में असल ताकत मरीन ले पेन के पास ही है, और 2027 के राष्ट्रपति चुनाव में वो ही अपनी पार्टी की तरफ से प्रत्याशी होंगी और भारी बहुमत से चुनाव जीत सकती हैं। इससे पहले साल 2022 में हुए चुनाव और साल 2017 के चुनाव के दौरान मरीन ने मैक्रो के खिलाफ मुकाबले को दूसरे दौर तक ले जाने में सफल रही थी। साल 2017 के चुनाव में उनकी पार्टी को 34 तो 2022 में 41 प्रतिशत मत मिले थे।
क्या है यूरोपीय यूनियन चुनाव