भारत में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को एक अलग राह पर ले जा रही है। बढ़ती महंगाई ने जीना मुहाल कर दिया है जिसके चलते देश में अवैध तरीके से पैसा कमाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। भारत में अवैध रूप से चल रहे कॉल सेंटर अमेरिकियों के लिए टेक फ्रॉड के बड़े खतरे के रूप में सामने आये हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दो साल के भीतर इसमें दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। दक्षिण एशिया के छह देशों के लिए एफबीआइ का नेतृत्व कर रहे सुहैल दाऊद के अनुसार अमेरिका में ‘टेक सपोर्ट’ के नाम पर हो रहा फ्रॉड तेजी से बढ़ रहा है। उसी अनुपात में एफबीआइ के पास शिकायतें भी आ रही हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में जहां 347 मिलियन डालर यानी 2000 करोड़ का टेक फ्राड एफबीआइ को रिपोर्ट किया गया वहीं इस साल 30 नवंबर तक 781 मिलियन डालर यानी 6,400 करोड़ रुपये के टेक फ्राड के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में लीगल एटैची, एफबीआइ के रूप में तैनात सुहैल दाऊद के अनुसार दिए गए आंकड़े सिर्फ एफबीआइ में दर्ज फ्रॉड का है, असल में यह कई गुना अधिक हो सकते हैं।
सुहैल दाऊद के अनुसार अमेरिका में टेक फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए एफबीआइ को अपने दो स्क्वाड सिर्फ इसकी जांच के लिए लगाने पड़े हैं। उनके अनुसार एफबीआइ के 80 एजेंट सिर्फ भारत में चल रहे ऐसे अवैध कॉल सेंटरों पर नजर रखने के लिए लगाए गए हैं, जो अमेरिकियों को टेक सपोर्ट की आड़ में चूना लगाते हैं। यही नहीं, भारतीय एजेंसियों के साथ जांच में सुचारु सहयोग बनाए रखने के लिए एफबीआई एजेंट लवजीत को तीन साल के लिए अमेरिकी दूतावास में तैनात किया गया है। वैसे तो इंटरनेट के माध्यम से अमेरिकियों के साथ होने वाले फ्रॉड का दायरा काफी बड़ा है, जिसमें टेक फ्रॉड के साथ-साथ रोमांस, इन्वेस्टमेंट, पर्सनल डाटा ब्रीच, बिजनेस की आड़ में होने वाला फ्रॉड भी शामिल है।
2021 में इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका में 6.9 बिलियन डॉलर यानी 565 अरब रुपये और 2002 में 10.2 बिलियन डॉलर यानी 836 अरब रुपये का था। लेकिन टेक सपोर्ट के नाम पर फ्रॉड का ट्रेंड नया है। यह लगभग एक दशक से चल रहा है। सुहैल दाऊद का कहना है कि रोमांस, बिजनेस, इन्वेस्टमेंट और पर्सनल डाटा ब्रीच के फ्रॉड दुनिया के अन्य देशों से किए जा रहे हैं, लेकिन टेक फ्रॉड के पीछे मुख्य तौर पर भारत में चल रहे अवैध कॉल सेंटर को पाया गया है।
सुहैल के अनुसार अमेरिका में भारत से होने वाले टेक फ्राड की वजह यहां इंटरनेट की सहज उपलब्धता, युवाओं का अच्छा अंग्रेजी ज्ञान और अमेरिकी कंपनियों के कॉल सेंटर में काम करने के अनुभव भी है। अमेरिका अब भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग के साथ इन अवैध कॉल सेंटरों से फ्रॉड करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहता है। इसके लिए एफबीआइ ने पूरी ताकत झोंक दी है। सुहैल दाऊद टेक फ्रॉड के मामलों की जांच में भारतीय एजेंसियों के साथ भरपूर सहयोग मिलने का दावा करते हैं। उनके अनुसार इसी महीने 14 दिसंबर को एफबीआइ ने सीबीआइ और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की मदद से दिल्ली में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन कनाडा और अमेरिका में उनसे संबंधित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
सुहैल दाऊद के अनुसार यह गिरोह 2012 से 2020 के बीच 20 हजार अमेरिकी नागरिकों को लगभग 83 करोड़ रुपये का चूना लगा चुका है। सुहैल दाऊद के अनुसार भारत में हर दिन अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किए जाने की खबरें आती हैं, लेकिन अमेरिका में रह रहे पीड़ित तक पहुंचने में स्थानीय पुलिस की नाकामी के कारण ये लोग छूट जाते हैं। अमेरिका पीड़ित का बयान और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत में गवाही भी दिला सकते हैं। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां देश के कानून के दायरे में काम करती है, जबकि अपराधियों के लिए कोई दायरा नहीं है। इससे निपटने के लिए एजेंसियों के बीच सहयोग अहम है।