Uttarakhand

जमरानी बांध का चुनावी जिन्न फिर निकला बोतल से बाहर…

  जमरानी बांध की फाइलों को धूल फांकते फांकते लगभग 44 साल बीत चुके है। चुनाव में जिन्न की तरह मुद्दा उठता है और फिर चुनाव निपटते ही बांध का मुद्दा ठंडे बस्ते में अपना सफर जारी करता है। जमरानी बांध जैसी महत्त्वपूर्ण योजना को जल्द ही पंख लगने की बात फिर से उड़ने लगी है। पर्यावरणीय स्वीकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्दी आगे बढ़ सकता है। जिस बांध को लगभग 44 साल पहले 61 करोड़ में बनना था आज उसी परियोजन की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुँच गयी है।
लगभग 44 साल का वक़्त कम नही होता, क्योंकि 61 करोड़ में बनने वाली परियोजना 2600 करोड़ में पहुंच गई लेकिन जामरानी बांध का काम एक इंच भी आगे नही बढ़ पाया, इतने सालों से जामरानी बांध केवल कागज़ों में बार बार बनता जा रहा है। हर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान एक ही मुद्दा की जामरानी बांध बनेगा, अब तक नेताओ के इस बयान में भी कोई कमी नही आई, जामरानी बांध परियोजना से जुड़े लोग रिटायर हो गए, लेकिन जामरानी की नाव कागज़ों पर ही तैर रही थी, हालांकि अब इस परियोजना के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति की मंजूरी मिलने की बात कही जा रही है, हालांकि अब सरकार को वित्तीय संसाधन जुटाने होंगें।
जमरानी बांध के निर्माण से उत्तराखण्ड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिचाई की सुविधा मिलेगी, इस बांध से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है, जबकि उत्तराखण्ड को 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा, वही उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बटेगा, उम्मीद है की इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी, लेकिन इन सब के बीच देखने  वाली बात यह है की 45 सालो से भी ज्यादा सालो के इंतजार के बाद जामरानी बांध कागजों से उतरकर ज़मीन पर बनना कब शुरू होगा। वहीं नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने दो माह पूर्व जमरानी क्षेत्र का भ्रमण किया था और डूब क्षेत्र में आने वाले स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी, उन्होंने तब जल्दी ही बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने की बात कही थी, जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने इसी वर्ष के फरवरी में मीडिया को दिए गए बयानों में पर्यावरणीय स्वीकृति की बात कह डाली थी तो फिर अब दुबारा यह स्वीकृति कही चुनावी एजेंडा तो नहीं।  जमरानी बांध का मंत्र जाप कर कई नेता संसद और विधानसभा की पारिया खेल चुके है। लेकिन धरातल पर जमरानी बांध आज तक उतर नहीं पाया।  देखने वाली बात ये है आखिर कब जमरानी बांध की नीव का पत्थर स्थापित होगा।
अब तक जमरानी बांध परियोजना एक नज़र में-
1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति,
करीब 9 किलोमीटर की लंबाई में 130 मीटर ऊँचा और 480 मीटर चौड़ा बांध,
45 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़
वर्तमान में बांध परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास, यानी 45 सालो में लागत 39 गुना बढ़ गयी।

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