सूत्रों के अनुसार जिस सेल में ये दोषी बंद हैं, वहां की जा रही अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था ने भी इन्हें बेचैन कर दिया है। इनके सेल में सीसीटीवी लगाने के अलावा देर रात तक जेलकर्मी भी वहां आते रहते हैं। रात का खाना भी सेल में ही पहुंचाया जा रहा है। इन सबके चलते चारों दोषियों को भी अब यह लगने लगा है कि उन्हें जो खबर मिल रही है, वह सही है।
अभी तक चारों दोषियों के डेथ वारंट जारी नहीं हुए हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि इन पर किसी भी वक्त साइन हो सकते हैं। निर्भया के चार दोषियों में से एक पवन को मंडोली की जेल नंबर-14 से तिहाड़ की जेल नंबर-2 में शिफ्ट कर दिया गया है। इसी जेल में निर्भया के चार दोषियों में से दो अक्षय और मुकेश भी बंद हैं। चौथे आरोपी विनय शर्मा को जेल नंबर-4 में रखा गया है। तिहाड़ की जेल नंबर 3 में फांसी दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक, फांसी वाले प्लेटफार्म पर कई बदलाव किए जा रहे हैं। खासतौर से लीवर खींचने के उपकरण और लकड़ी वाले फट्टे को भी बदलने की बात कही गई है।
लीवर के हैंडल और शॉफ्ट, जैसे उपकरण जो पानी आने के कारण जाम हो चुके थे, उन्हें दोबारा से खोलकर ठीक किया जा रहा है। फांसी का प्लेटफार्म खुले में स्थित है और इस वजह से यहां बरसात का पानी आता रहता है। लंबे समय से यहां कोई फांसी नहीं दी गई है, इसलिए लीवर आदि उपकरण जंग खा चुके हैं। रस्सी का ऑर्डर भी दे दिया गया है।फांसी की खबर सुनकर चारों दोषी अपने- अपने सेल में देर रात तक चक्कर काटते रहते हैं। अब इनका खाना भी अलग से आता है, प्रतिदिन सेल की मैनुअल जांच हो रही है, इन सबके चलते ये चारों इतना तो समझ गए हैं कि अब किसी भी वक्त कोई आदेश आ सकता है। सूत्र बताते हैं कि दोषी अक्षय और पवन तो खाना ठीक से नहीं पा रहे हैं। इन चारों को जेल मैनुअल के हिसाब से ही खाना दिया जा रहा है। दो सप्ताह पहले तक दोषी मुकेश और विनय शर्मा की जो डाइट थी, अब उसमें कुछ बदलाव देखा गया है।
जेल अधिकारियों का कहना है कि जब तक दया याचिका प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक ब्लैक वारंट नहीं लिया जा सकता है।
फांसी के फंदे बनाने के लिए प्रसिद्ध बिहार की बक्सर जेल को इस सप्ताह के अंत तक फांसी के 10 फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। इस निदेर्श के साथ ही बक्सर जेल में फांसी के फंदे बनाने का काम शुरू हो गया है। बक्सर जेल फांसी के फंदे बनाने के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए रस्सी के जिस फंदे का इस्तेमाल किया गया था, वह इसी जेल में तैयार किया गया था।
बक्सर जेल के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा का कहना है कि , “हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से फांसी के 10 फंदे तैयार करने के निदेर्श मिले थे। हमें नहीं पता कि इनफंदों का इस्तेमाल कहां होगा। अभी तक चार से पांच फंदे बनकर तैयार हो गए हैं।” उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए यहां के बने फंदे का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह उन्हें नहीं पता है, लेकिन उन्हें सिर्फ यह याद है कि उस समय भी यहां से रस्सी के फंदे बनवाकर मंगाए गए थे। बक्सर जेल में फांसी के फंदे तैयार किए जाने का इतिहास कफी पुराना है। फंदे तैयार करने के लिए खास किस्म के धागों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे बनाने में जिन कैदियों को लगाया जाता है, उसकी निगरानी की जाती है। उन्हीं की निगरानी में फंदे तैयार किया जाते हैं और फिर जहां जरूरत होती है, वहां भेज दिया जाता है।
जेल अधीक्षक अरोड़ा ने बताया कि फंदे बनाने के लिए पिछली बार जिस रस्सी का इस्तेमाल किया था, उसे 1725 रुपये की दर पर बेचा गया था। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि महंगाई और इसमें इस्तेमाल होने वाले धागों की कीमतें बढ़ी हैं, इसलिए इस बार फंदे वाली रस्सियों की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती है। उन्होंने बताया, “बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। इसे तैयार करने में थोड़ा मशीन का भी उपयोग किया जाता है।” यह रस्सी आम रस्सियों से ज्यादा मुलायम रहती है तथा इसकी क्षमता 150 किलोग्राम वजन उठाने की रहती है। बहरहाल, कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि दिल्ली में सात साल पहले हुए निर्भया कांड के दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है, जिसमें यहां बन रही रस्सियों का उपयोग हो सकता है।
दुष्कर्म मामलों में सजा में देरी को लेकर चिंता जताते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि पिछली बार एक दुष्कर्मी एवं हत्यारे को 14 अगस्त 2005 को पश्चिम बंगाल में फांसी दी गई थी। हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा, “तब से देश में मौत की सजा सुनाए गए किसी भी इस तरह के दोषी को फांसी की सजा नहीं दी गई है। वर्तमान में 426 दोषी फांसी की सजा का इंतजार कर रहे हैं।”हजारे ने कहा, “लोगों ने महसूस करना शुरू कर दिया है कि प्रणाली के माध्यम से न्याय पाने में देरी, बाधाएं और कठिनाइयां अपने आप में अन्याय है। हैदराबाद मुठभेड़ के जनसमर्थन का यही कारण है। लोग अब चाहते हैं कि इस तरह के ‘मुठभेड़ों’ में अपराधियों को खत्म कर दिया जाए।”