एक तरफ जहां केंद्र सरकार देशभर में स्वास्थ्य सुविधा,स्वच्छता और अच्छी सड़कों के लिए नई-नई परियोजनाओं का लोकार्पण कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों से कुछ ऐसी खबरें आती हैं जो इन सभी सरकारी फ्लैगशिप योजनाओं को चिढ़ाती हुई नजर आती हैं
ऐसे ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्तिथ शाक्टी गांव से सामने आया है। जहां 16 फरवरी को सुबह करीब दस बजे सुनीता देवी जिनकी उम्र 27 वर्ष है उनको प्रसव पीड़ा शुरू हुई। गांव में अच्छी सड़क और पास में अस्पताल न होने की वजह से सुनीता देवी के पति देवेन्द्र कुमार को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे में वे क्या करें।
शहर जाने के रास्ते है पर वे पथरीले और सकरे हैं ।ऐसे में देवेंद्र कुमार ने ग्रामीणों की सहायता ली। गांव वालों झट से एक लकड़ी की कुर्सी पर गर्भवती सुनीता को बैठाया और उस कुर्सी को डंडे से बांध दिया।
खड़े और उतराई वाले बर्फीले रास्ते में करीब 18 किलोमीटर पैदल चलकर सुनीता को निहानी स्थान तक पहुंचाया गया। जहां पहुंचने में उन्हें 5 घण्टे लगे। उसके बाद वहां से सुनीता को गाड़ी की मदद से सैंज अस्पताल पहुंचाया गया।
फिलहाल अभी सुनीता की स्तिथि ठीक है। पर क्या होता यदि कोई घटना रास्ते में घट जाती तो जवाब देही किसकी होती? सड़क और अस्पताल न होने की वजह से जच्चा और बच्चा दोनों को यह खतरनाक रास्ता न पार करना पड़ता अगर यहां मूल सुविधाओं पर ध्यान दिया जाता।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब लोगों के जान पर बन आयी हो। बल्कि डेढ़ महीने में इस तरह का यह चौथा मामला है।गाड़ा पारली से दो और रैला पंचायत से एक महिला को कुर्सी में उठाकर सड़क तक पहुंचाया गया था।