जहां एक ओर अमेरिका में इसी हफ्ते नवंबर की शुरुआत में ही राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं वहीं दूसरी तरफ भारत में बिहार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।इन चुनावों से ठीक पहले भारत – अमेरिका के बीच आज तीसरी टू प्लस टू की मंत्री स्तरीय बैठक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होनी है । जिसका प्रभाव इन चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच कई महीनों से तनाव चल रहा है। इस सब के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर अपने भारतीय समकक्षों एस. जयशंकर और राजनाथ सिंह के साथ वार्ता करेंगे। इसमें रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब भारत का चीन के साथ सीमा पर तनाव जारी है और इस मुद्दे पर चर्चा होने की भी संभावनाएं हैं ।
भारत और अमेरिका के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट ऑन जिओस्पैशिअल कोऑपरेशन (बीका) को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता होना है। इस समझौते से भारत को अमेरिकी क्रूज मिसाइलों व बैलिस्टिक मिसाइलों से जुड़ी तकनीक मिलने का रास्ता आसान हो जाएगा। साथ ही भारत अमेरिका से संवेदनशील सेटेलाइट डाटा भी ले सकेगा इससे दुश्मन देशों की हर गतिविधि पर करीब से नजर रखी जा सकेगी।
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर से हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वार्ता पर संतुष्टि जताई। माइक पोंपियो ने कहा कि दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते हो रहे हैं।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बताया, दोनों मंत्रियों ने इस बात पर संतोष जताया कि इस यात्रा के दौरान ‘बीका’ पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने मालाबार सैन्य अभ्यास में आस्ट्रेलिया के शामिल होने का स्वागत किया। इसके अलावा दोनों मंत्रियों के बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच और संयुक्त स्तर पर सहयोग के नए क्षेत्रों पर विचार विमर्श हुआ।
उधर, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत एक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय लीडर है। अमेरिका चाहता है कि उसके साथ चौतरफा करीबी संबंध विकसित हों। भारत को बड़ी अर्थव्यवस्था, उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने की सरकार की नीति और विश्व की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बताते हुए अमेरिका ने कहा कि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भी एक समान मत रखते हैं।