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जानिए कि इंडोनेशिया ने अपने दूतावास के एक कमरे को क्यों दिया स्वर्गीय बीजू पटनायक का  नाम

इंडोनेशिया ने नई दिल्ली में स्थित अपने दूतावास के एक कमरे को  उड़ीसा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बीजू पटनायक का  नाम  देकर उन्हें  सम्मानित किया । यह सम्मान इंडोनेशिया के स्वतंत्रता आंदोलन में भागी  रहे स्वर्गीय बीजू  पटनायक के योगदान  सम्मान है ।

कौन हैं बीजू पटनायक 

5 मार्च 1916 को उड़ीसा  के गंजाम जिले में जन्मे ऐसे शख्स जिसने राजनीति में क्रांति लाने के साथ-साथ अंग्रेज़ों को भी छक्के छुड़ा दिए थे। इस शख्स का नाम था विजयानंद पटनायक, जिन्हें बीजू पटनायक के नाम से जाना जाता था। बीजू पटनायक ओडिशा के दो बार मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन वह एक स्वतंत्रता सेनानी और जांबाज़ पायलट भी थे। इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम में बीजू पटनायक ने अहम भूमिका निभाई थी। इस वक्त पंडित  नेहरू ने इंडोनेशियाई लड़ाकों को डचों से बचाने के लिए कहा था. नेहरू के कहने पर बीजू पटनायक पायलट के तौर पर 1948 में ओल्ड डकोटा एयरक्राफ़्ट लेकर सिंगापुर से होते हुए जकार्ता पहुंचे थे | .यहां वो इंडोनेशियाई स्वतंत्रता सेनानियों को बचाने पहुंचे थे. डच सेना ने पटनायक के इंडोनेशियाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही उन्हें मार गिराने कोशिश की थी  | . पटनायक को जर्काता के पास आनन-फानन में उतरना पड़ा था. वहां उन्होंने जापानी सेना के बचे ईंधन का इस्तेमाल किया था. इसके बाद उन्होंने कई विद्रोही इलाक़ों में दस्तक दी और वो अपने साथ प्रमुख विद्रोही सुल्तान शहरयार और सुकर्णो को लेकर दिल्ली आ गए थे और नेहरू के साथ गोपनीय बैठक कराई थी | . इसके बाद डॉ. सुकर्णो आज़ाद देश इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने | . इस बहादुरी के काम के लिए पटनायक को मानद रूप से इंडोनेशिया की नागरिकता दी गई और उन्हें इंडोनेशिया के सर्वोच्च सम्मान ‘भूमि पुत्र’ से नवाज़ा गया था| . 1996 में इंडोनेशिया ने 50वां स्वतंत्रता दिवस मनाया और बीजू पटनायक को सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ‘बिंताग जसा उताम’ से सम्मानित किया गया था.

इंडोनिशया के स्वतंत्रा सेनानी थे पटनायक  

इंडोनिशया ने कहा कि  स्वर्गीय बीजू पटनायक ने हमारे देश के कल्याण और स्वतंत्रता में बहुत योगदान दिया है। बीजू पटनायक पर स्थित दूतावास के कमरे को मेहमानों के लिए एक लाउंज के रूप में और अपने कर्मचारियों के लिए एक सम्मेलन कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जहां यह पटनायक के स्वर्गीय चित्रों और यादगार वस्तुओं को प्रदर्शित करता है। इस कमरे को दिग्गज नेता को समर्पित करते हुए, नई दिल्ली में इंडोनेशिया के राजदूत, सिद्धार्थो रेजा सूर्योदिपुरो ने कहा कि इंडोनेशिया की स्वतंत्रता में ओडिशा का योगदान जबरदस्त था। “भारत, विशेष रूप से ओडिसा का इंडोनेशिया की स्वतंत्रता में योगदान बहुत बड़ा था। स्वतंत्रता हमारे लिए एक पवित्र चीज है, यह हमारे नागरिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए एक राष्ट्र के रूप में, हम उन लोगों के आभारी हैं जिन्होंने हमारे इस सपने को साकार करने में योगदान दिया। यह कम से कम हम बहादुर को सम्मानित करने के लिए कर सकते हैं जिन्होंने हमारे  लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। और मुझे उम्मीद है, यह उनकी स्मृति के साथ न्याय करेगा। ”

रिपोर्टों के अनुसार, दूतावास के इस कमरे में बीजू पटनायक के कई चित्र और यादगार चित्र हैं जो एक प्रसिद्ध लड़ाकू पायलट और राष्ट्रवादी के रूप में शामिल हैं, जिसमें इंडोनेशियाई वायु सेना के लोग भी शामिल हैं जिन्होंने आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इंडोनेशिया में जावा और सुमात्रा द्वीपों के लिए स्थापित शास्त्रीय ‘सदा पूजा’ का प्रतिनिधित्व करने वाली बाली यात्रा कमरे के एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन को बनाए रखती है।

इंडोनिशया दूतावास नयी दिल्ली ने 11 जनवरी को एक ट्वीट करते हुए कहाँ की   बीजू पटनायक बहुत कम लोगों में से एक हैं। उसका नाम रखने के लिए, अंब एक कमरा नामित किया गया है, जिसका नाम #BijuPatnaikRoom है।  श्री प्रेम पटनायक, श्री अरुण पटनायक और श्री रविकांत, रेजिडेंट कॉम की उपस्थिति के साथ आज टम्पेंग चावल (Tumpeng Rice)  को काटकर इस कमरे  का उद्घाटन किया गया।

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