फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं। इसके बाद इजराइल ने हमास के ठिकानों और गाजा पट्टी के कई स्थानों पर मिसाइलें दागकर जवाब दिया। इन हमलों के बाद हमास संगठन और इजराइल के बीच भीषण जंग शुरू हो गई है। गाजा पट्टी में युद्ध का कहर जारी है और हमास ने 150 से ज्यादा इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया है। उधर इस हमले से गाजा पट्टी में मरने वालों की संख्या 1 हजार 400 तक पहुंच गई है। इस युद्ध में इजराइल पर गाजा पट्टी पर हमलों के दौरान ‘सफेद फास्फोरस’ का इस्तेमाल करने का आरोप है।
इजराइल पर गंभीर आरोप
न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने इज़राइल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एचआरडब्ल्यू के मुताबिक, इजरायल ने युद्ध के दौरान सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल किया था। सफेद फॉस्फोरस के उपयोग से गाजा पट्टी और लेबनान में रहने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। एचआरडब्ल्यू ने कहा, इस रसायन से पुरानी और गंभीर बीमारियां विकसित होने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि में युद्ध में सफेद फास्फोरस के प्रयोग पर आपत्ति क्यों है? युद्ध के नियम क्या हैं? एचआरडब्ल्यू द्वारा लगाए गए आरोपों पर इज़राइल का स्पष्टीकरण क्या है? मानव शरीर पर सफेद फास्फोरस के दुष्प्रभाव क्या हैं? आइए जानें इन सभी सवालों के जवाब…
इस समय इजराइल देश लेबनान के आतंकवादी समूह हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ लड़ रहा है। युद्ध शुरू होने के बाद इजराइल ने गाजा पट्टी में हवाई हमले किये। इन हमलों में गाजा पट्टी में अब तक सैकड़ों नागरिक मारे जा चुके हैं। ये संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है। वहीं कुछ वीडियो के आधार पर एचआरडब्ल्यू ने आरोप लगाया है कि इजराइल ने युद्ध में हथियार के तौर पर सफेद फॉस्फोर का इस्तेमाल किया था। 11 अक्टूबर को लेबनान और गाजा पट्टी के कुछ वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि की गई है। एचआरडब्ल्यू ने कहा कि इजराइल ने गाजा शहर के बंदरगाह पर और इजराइल-लेबनान सीमा के साथ ग्रामीण इलाकों में दो स्थानों पर सफेद फास्फोरस का विस्फोट किया गया।
एचआरडब्ल्यू ने इजराइल पर ऐसे आरोप लगाते हुए कुछ वीडियो के लिंक भी जारी किए हैं। एचआरडब्ल्यू ने कहा, “कथित तौर पर 155 मिमी सफेद फास्फोरस के गोले का इस्तेमाल स्मोकस्क्रीन, मार्किंग, सिग्नलिंग के लिए किया गया था।” गाजा पट्टी में सफेद फास्फोरस के उपयोग का वीडियो एचआरडब्ल्यू द्वारा साझा नहीं किया गया है। लेकिन फिलिस्तीन के एक टीवी चैनल ने ये वीडियो दिखाया है। इस वीडियो में हमास के नियंत्रण वाले इलाके से सफेद धुआं निकलता देखा जा सकता है।
सफ़ेद फ़ॉस्फ़ोरस क्या है?
सफेद फास्फोरस एक विषैला रसायन है। जाहिर तौर पर यह रसायन मोम जैसा दिखता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया अल-जजीरा के मुताबिक, इस रसायन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान बम, ग्रेनेड, तोप के गोले और मिसाइल के रूप में किया जाता है।
गोला बारूद सफेद फास्फोरस और रबर से बनाया जाता है। यह रसायन वायुमंडल में ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही तुरंत आग पकड़ लेता है। इसी गुण के कारण इस रसायन का उपयोग हथियार के रूप में किया जाता है। इस रसायन का इस्तेमाल इजरायल और अमेरिका जैसे देश हथियार के रूप में करते हैं। सफेद फास्फोरस का उपयोग मुख्य रूप से सटीक लक्ष्य भेद के लिए भी किया जाता है।
सफेद फास्फोरस का उपयोग युद्ध के दौरान धुएँ करने के लिए किया जाता है। क्योंकि सफेद फास्फोरस के विस्फोट से बड़ी मात्रा में धुआं निकलता है। जिससे दुश्मनों को सामने का हिस्सा साफ नजर नहीं आता। सफेद फास्फोरस के विस्फोट के बाद यह धुआं करीब सात मिनट तक रहता है। ब्रिटेन में सुरक्षा परामर्श देने वाली रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के डैन कैसेट ने कहा, ”यही कारण है कि धुआं पैदा करने के लिए यह एक प्रभावशाली हथियार है।”
हृदय, लीवर और किडनी पर प्रभाव
सफेद फास्फोरस के संपर्क में आने पर मानव त्वचा जल जाती है। यह शरीर के टिश्यू को भी जला देता है। सफेद फास्फोरस ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर तुरंत आग पकड़ लेता है। जब तक यह पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाता या ऑक्सीजन से अलग नहीं हो जाता, तब तक यह जलता रहता है। इस रसायन के संपर्क में आने से हृदय, लीवर और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक सफेद फास्फोरस त्वचा, कपड़ों और कई सतहों पर जमा हो जाता है। यह फास्फोरस धोने के बाद भी नष्ट नहीं होता है। सफेद फास्फोरस युक्त हवा में सांस लेना खतरनाक हो सकता है। सफेद फास्फोरस आंखों में जलन पैदा कर सकता है। इस फास्फोरस के संपर्क में आने से लकवा भी हो सकता है।
क्या सफेद फास्फोरस प्रतिबंधित है?
युद्ध में सफेद फास्फोरस के प्रयोग पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। युद्ध के अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में फॉस्फोरस को ‘आग लगाने वाला’ हथियार कहा गया है। जिनेवा में कन्वेंशन में हस्ताक्षरित कुछ पारंपरिक हथियारों पर कन्वेंशन (सीसीडब्ल्यू) के प्रोटोकॉल 3 में कहा गया है कि ‘हथियार का उपयोग आग पैदा करने, धुएं, गर्मी या आग से दोनों के कारण श्वसन संकट पैदा करने के लिए किया जाता है।’
सीसीडब्ल्यू वास्तव में 1983 में लागू किया गया था। ऐसे हवा से छोड़े जाने वाले हथियारों पर उन हथियारों की तुलना में अधिक प्रतिबंध हैं जो आग दागने में सक्षम हैं और जमीन से छोड़े जा सकते हैं।
इजरायली सेना का जवाब
ह्यूमन राइट्स वॉच के आरोपों पर इजरायली सेना ने जवाब दिया है। सेना ने कहा, “हमें इस समय कोई जानकारी नहीं है कि गाजा पट्टी में हमले के दौरान हथियारों में सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल किया गया था या नहीं।” हालाँकि सेना ने लेबनान में इसके इस्तेमाल पर कोई टिप्पणी नहीं की है। यह पहली बार नहीं है कि इजराइल देश पर इस तरह का आरोप लगाया गया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, इज़राइल रक्षा बलों ने गाजा में ऑपरेशन लीड कास्ट के दौरान सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल किया। यह अभियान 27 दिसंबर 2008 से 18 जनवरी 2009 तक चलाया गया। इस अभियान के दौरान इजराइल ने घनी आबादी वाले इलाकों में सफेद फास्फोरस युक्त हथियारों का इस्तेमाल किया। इसमें स्कूल, इमारतें, बाज़ार, गोदाम, अस्पताल नष्ट हो गये।