नागरिकता को लेकर कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। लम्बी बहस और चर्चा के बाद नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 राज्यसभा में पारित होने के साथ ही संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया। अब ये विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 में नागरिकता से संबंधित कई अहम प्रावधान किये गए है। नागरिकता संशोधन बिल क्या है?
इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पकिस्तान से आये हिन्दुओं,सिखों, बौद्धों,जैनों,ईसाइयों को नागरिकता के लिए पात्र बनाने का प्रावधान किया गया है।
- कैसे भारत की नागरिकता मिलना होगा आसान?
इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।
- नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विवाद क्यों?
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह विधेयक मुस्लमानों के ख़िलाफ़ है और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। बिल का विरोध यह कहकर किया जा रहा है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव कैसे कर सकता है? आरोप ये भी है कि मौजूदा सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है