लोकसभा का बजट सत्र इस दृष्टि से शानदार कहा सकता है कि बगैर किसी के हंगामे सत्र चला और कई महत्वपूर्ण बिलों को सदन में पारित करा पाने में सरकार सफल रही। इस बार का लोकसभा सत्र पिछले 20 वर्षों के मुकाबले विधायी कार्यों के निपटारे की दृष्टि से खासा सफल रहा। हालांकि अभी भी कई कानून लंबित हैं। लिहाजा केंद्र सरकार वर्तमान मानसून सत्र की कुछ और बैठकें बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भाजपा की संसदीय दल की बैठक में 14 जुलाई को दिए गए।

एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कहा गया कि सत्र को आगे बढ़ाने की संभावना है। हालांकि इस संबंध में औपचारिक निर्णय कुछ दिनों में हो सकता है। 17 वीं लोकसभा का पहला सत्र अपने निर्धारित समय से अधिक समय से काम कर रहा है, पिछले 20 वर्षों में इसकी उत्पादकता सबसे अधिक भी रही है। इससे पहले भी साल 2016 में बजट सत्र और साल 2014 में शीतकालीन सत्र में सबसे अधिक काम हुआ था। तब लोक सभा की प्रोडक्टिविटी करीब 125 फीसदी थी। 11 जुलाई को लोकसभा में सबसे ज्यादा काम हुआ था। उस दिन लोकसभा की कार्यवाही लगातार 13 घंटे तक चली थी, क्योंकि सदन द्वारा आधी रात तक रेल मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा की गयी थी।

16 जुलाई को भी, निचले सदन द्वारा आधी रात तक कार्य किया गया। सदन के निरंतर कामकाज के बावजूद, पीएम मोदी ने कहा था कि अगर आवश्यकता पड़ी तो सत्र को कुछ दिनों के लिए बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, अगले सत्र से पहले 4-5 महीने का अंतर होगा और सरकार कई प्रमुख बिलों को लंबित नहीं रखना चाहती है, क्योंकि इनमें से कई बिल सरकार के टाप एजेंडे में हैं। अभी तक सत्र में लगभग आठ बिल पास हो चुके है।

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