लोकसभा चुनाव 2019 के महासमर में चुनाव प्रचार के दौरान छोटे नेताओं से लेकर बड़े -बड़े नेताओं की आक्रमक बयानबाजी पर चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद भी आपत्तिजनक बयानबाजी जारी है। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री जो ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं वो भी ऐसी आपत्तिजनक बयानबाजी से गुरेज नहीं कर सके। और आदर्श आचार संहिता का उलंघन करने में पीछे नहीं रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने इस मामले में याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से दोनों नेताओं के खिलाफ की गई शिकायत पर बिना किसी दबाव निर्णय लेने के लिए चुनाव आयोग को निर्देशित करने की मांग की थी । सांसद का आरोप है कि मोदी और शाह नफरत फैलाने वाले भाषण देते हैं और राजनीतिक प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
कल यानी सोमवार को वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया था। देव की ओर से आरोप लगाया गया है कि दोनों भाजपा नेताओं ने पिछले चार सप्ताह में कई बार आचार संहिता का उल्लंघन किया है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस की ओर से इस बारे में की गई 40 शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट रूप से मना किए जाने के बावजूद दोनों नेताओं ने नफरत फैलाने वाले भाषण दिए और राजनीतिक प्रचार के लिए सेना का इस्तेमाल किया। याचिका में आचार संहिता उल्लंघन के उदाहरण भी दिए गए हैं।गौरतलब है कि महाराष्ट्र में लातूर के औसा में नौ अप्रैल को एक रैली में मोदी ने युवा मतदाताओं से बालाकोट हवाई हमले के नायकों के नाम पर वोट डालने की अपील की थी। जिससे समझा जाता है कि महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने यहां निर्वाचन आयोग से कहा है कि प्रधानमंत्री की टिप्पणियां प्रथम दृष्टया उसके आदेशों का उल्लंघन है जिसमें उसने पार्टियों से अपने प्रचार में सशस्त्र सेनाओं का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा है।
पश्चिम बंगाल में ‘मोदी के वायु सेना’ पर शाह के कथित बयान पर भी फैसला आज लिया जाएगा। राहुल गांधी की मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी भी निर्वाचन आयोग की जांच के घेरे में है और इस पर भी आज ही फैसला होना है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक इन तीनों नेताओं पर कुल 11 मामलों में आज सुनवाई होगी। चुनाव आयोग पर लगातार यह आरोप लग रहे हैं कि वह पीएम और आला नेताओं पर कार्रवाई में लगातार देरी कर रहा है।
जिन मामलों में सुनवाई होनी है। उसमें छह मामले पीएम पर दो अमित शाह और तीन मामले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हैं। उपनिर्वाचन अधिकारी चंद्र भूषण ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ मामलों की जांच के बाद शिकायतों पर सुनवाई 1 मई को होगी। आयोग की मीडिया ब्रीफिंग में डाक्टर संदीप सक्सेना ने कहा कि इन मामलों में जानबूझ कर देरी की कोई वजह नहीं है। चुनाव आयोग में एमसीसी का काम कई श्रेणियों में कई अधिकारियों के मध्य बंटा है। इस कारण जांच में समय लगा है। उन्होंने किसी प्रभाव में देरी संभावना को लेकर आयोग का बचाव किया।
इससे पहले पांच बड़े नेताओं पर चुनाव आयोग ने कार्यवाई की थी। इनमे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्पा नेता आजम खान ,केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के नाम शामिल थे। सीएम योगी और आजम खान के प्रचार करने पर 72 घंटे जबकि मेनका गांधी और मायावती के चुनाव प्रचार करने पर चुनाव आयोग ने 48 घंटे की पाबंदी लगाई थी। इन चारों पर पाबंदी लगने के बाद चुनाव आचार संहिता उलंघन के आरोप में बिहार के कटिहार में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर भी भी मामला दर्ज किया गया था।
उधर पीएम मोदी और अमित शाह के मामले को लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। कांग्रेस ने मांग की है कि आयोग को 24 घंटे के भीतर पीएम मोदी और अमित शाह के ऊपर एमसीसी उल्लंघन में कार्रवाई करने के लिए आदेशित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में आज सुनवाई करेगा।