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महाराष्ट्र कहीं हरियाणा न हो जाए

हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद ‘इंडिया गठबंधन’ का आत्मविश्वास डगमगा गया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (पवार) के दमदार प्रदर्शन बाद इस गठबंधन के नेताओं को लगने लगा था कि अब राज्य की सत्ता उनके हाथों में आनी तय है। हरियाणा ने लेकिन माहौल अब बदल डाला है। चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से एक दिन पहले यानी 14 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं संग लम्बी बैठक की। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में राहुल ने चेतावनी देते हुए महाराष्ट्र के नेताओं को चेताया कि कहीं महाराष्ट्र हरियाणा न हो जाए। यह अतिउत्साही कांग्रेसी नेताओं को एक तरफ से राहुल की नसीहत भी है और चेतावनी भी। सम्भवतः राहुल को हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के दिए गए कथन की याद आ गई होगी। मोदी ने कहा था, ‘हरियाणा कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश होने जा रहा है।’ मोदी ने यह तंज इसलिए कसा था क्योंकि कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपनी जीत को लेकर बेहद आश्वस्त थी। इतनी आश्वस्त कि उसके नेता कमलनाथ अपने शपथ ग्रहण की तैयारी तक करने लग गए थे। नतीजे लेकिन हैरतनाक आए और हार की कगार पर पहुंची भाजपा दो तिहाई बहुमत पा तीसरी बार सत्ता में आ गई। हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही हुआ। कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव प्रचार में ध्यान देने के बजाय इस लड़ाई में उलझ गए कि सीएम कौन बनेगा। हुड्डा अपनी दावेदारी ठोक रहे थे तो कुमारी शैलजा भी। रणदीप सिंह सुरजेवाला इन दोनों की नूरा-कुश्ती में खुद का भविष्य तलाश रहे थे। राहुल को चिंता है कि महाराष्ट्र भी कहीं गठबंधन नेताओं के अति आत्मविश्वास और मुख्यमंत्री कौन के मकड़जाल में फंस हाथ से न निकल जाए।

लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया गठबंधन’ को 48 में से 31 सीटें मिली थी जबकि सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन मात्र 17 सीटों पर सिमट गया था। सीटों के लिहाज से यह बड़ा अंतर जरूर है लेकिन वोट प्रतिशत को देखें तो यह अंतर मात्र 3 प्रतिशत का है। भाजपा गठबंधन को 41 प्रतिशत तो कांग्रेस गठबंधन को 44 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे। जीत की दृष्टि से ‘इंडिया गठबंधन’ लोकसभा चुनाव में आगे जरूर रहा है लेकिन मत दृष्टि का अंतर इतना भी अधिक नहीं कि उसमें उलट-फेर न हो सके। शिंदे सरकार ने इस दौरान एक से बढ़कर एक कल्याणकारी योजनाओं की बाढ़ ला दी है। महिलाओं को ‘लाडली बहन’ योजना के अंतर्गत 1500 रुपया प्रतिमाह दिया जा रहा है और अब ‘लाडला भाई’ योजना का एलान शिंदे ने कर दिया है। इस योजना में 12वीं पास युवाओं को प्रतिमाह 6 हजार, डिप्लोमाधारी युवाओं को 8 हजार और डिग्रीधारियों को 10 हजार रुपया प्रतिमाह की रेवड़ी बांटी जा रही है। पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को सिफारिश भेजी है कि क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख सालाना से बढ़ाकर 15 लाख कर दी जाए और प्रदेश की 7 जातियों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल कर लिया जाए। महायूति सरकार की इन योजनाओं ने भी ‘इंडिया गठबंधन’ की चिंताएं बढ़ाने का काम कर दिया है। खबर गर्म है कि राहुल गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को स्पष्ट कह डाला कि अति आत्मविश्वास से उन्हें बचना होगा और गठबंधन धर्म का पालन करते हुए शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी (पवार) के साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा अन्यथा सत्ता वापसी का सपना हरियाणा और मध्य प्रदेश की तरह सपना ही बनकर रह जाएगा।

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