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चिन्मयानंद रेप कांड में अभी हटेंगे कई चेहरो से नकाब

 

पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद रेप केस मामले में अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है । उत्तर प्रदेश की एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम अभी कई चेहरों से नकाब उतारने की तैयारी कर रही है । सूत्रों की मानें तो अभी कम से कम 5 लोग ऐसे हैं जिनके इर्द-गिर्द एसआईटी की जांच चल रही है । एसआईटी इन लोगों के खिलाफ फिलहाल साक्षय एकट्ठा करने में जुटी है । हो सकता है कुछ दिनों में ही आरोपियों को एसआईटी जेल के अंदर डाल देगी । हालांकि अभी तक चिन्मयानंद और पीड़ित छात्रा सहित कुल 5 लोग इस मामले में जेल की सलाखों के पीछे हैं ।

याद रहे कि छात्रा से दुराचार के आरोप में पीडिता और चिन्मयानंद जेल में हैं। चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने में छात्रा, संजय सिंह, विक्रम सिंह और सचिन सेंगर भी जेल में हैं। पर इसके बाद भी कई ऐसे आरोपी हैं, जो दोनों ही केसों में अब सहआरोपी की भूमिका में सामने आ सकते हें। गौरतलब है कि चिन्मयानंद पर दुराचार का आरोप है, इस स्वामी मामले में छात्रा ने एसएस लॉ कालेज के प्रिंसिपल पर गंभीर आरोप लगाए थे।

उसने कहा था कि वह जानबूझ का देर तक आफिस में काम के लिए रोकते थे। उन पर तो ऐसा भी आरोप है कि वह जबरिया चिन्मयानंद के पास उसे भेजते थे। इसी तरह से एसएस कालेज के प्रिंसिपल डा. अवनीश मिश्रा पर भी कड़ा शिकंजा कस सकता है, क्योंकि वह एसएस लॉ कालेज प्रबंध कमेटी में महत्वपूर्ण पद पर हैं। कालेज का हास्टल भी इनकी ही केयरटेकिंग में था। बाद में इस हास्टल का वार्डन पद झरना को दे दिया गया। इसी तरह से रंगदारी मामले में अब तक केवल छात्रा, संजय, विक्रम और सचिन का नाम ही सामने आया और उन्हें जेल भी हो गई।

 


रंगदारी मांगने के आरोपी संजय सिंह की जमानत पर बहस पंद्रह अक्टूबर को होनी है। इस बहस के बाद एसआईटी सेकेंड राउंड में कार्रवाई की तगड़ी तैयारी कर रही है। इस सेकेंड राउंड में दोनों केसों में शामिल सह आरोपियों की धरपकड़ की तैयारी मानी जा रही है। एसआईटी दोनों ही केसों में उन सभी को कानून के दायरे में लाने की तैयारी में है जो लोग अब तक किसी की नजर में नहीं हैं।

चिन्मयानंद पर दुराचार का केस दर्ज हुआ। पर्याप्त सबूत के बाद ही एसआईटी ने चिन्मयानंद पर दुराचार की धारा 376 सी लगाई। इस केस में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वह क्या कर रहे हैं, यह बात कालेज के कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को पता थी। वह जानते थे कि चिन्मयानंद जो कुछ कर रहे हैं, वह गैरकानूनी है, पढ़े लिखे होने और कानून का ज्ञान होने के बाद भी उन्हें रोका नहीं गया, इसलिए महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग कानून के दायरे में आ रहे हैं। इन लोगों ने चिन्मयानंद को रोकने के बजाए उनका सहयोग ही किया, ऐसा सूत्र बताते हैं।

बताया जा रहा है कि चिन्मयानंद खुद भी पीएचडी हैं और वह मुमुक्षु के सर्वेसर्वा हैं। उन्हें उनके ही कुछ लोगों ने ऐसा घेरा कि वह उसी में फंस कर रह गए। उन्हें उलझा कर उनके ही लोग अपना काम करते रहे। वह भी नहीं चाहते थे कि चिन्मयानंद का ध्यान कहीं और जाए, इसलिए वह चिन्मयानंद को रोकने के बजाए, उन्हें उलझाते ही चले गए। अब चिन्मयानंद जेल में हैं। अब लोगों को डर भी लग रहा है कि अगर चिन्मयानंद जेल से बाहर आए तो कई लोगों का बोरिया बिस्तर सिमट सकता है

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